सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन, सुबह तिरंगा फहराते समय बिगड़ी थी तबीयत

देश में स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से बहुत पहले ही बिंदेश्वर पाठक ने स्वच्छता को लेकर ऐतिहासिक पहल की थी। देश भर में आज जितने भी सुलभ शौचालय दिखाई देते हैं, वे डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक की दूरगामी दृष्टि का नतीजा हैं।

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन
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नवजीवन डेस्क

देश भर में सुलभ शौचालय के निर्माण के जरिये सार्वजनिक शौचालय की अवधारणा को कामयाब बनाने वाले सुलभ इटंरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे। आज सुबह स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के अपने ऑफिस में तिरंगा फहराने के दौरान वे अचानक गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

सुलभ इंटरनेशनल से जुड़े बिंदेश्वर पाठक के एक सहयोगी ने बताया कि उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज सुबह अपने ऑफिस में एक समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और उसके तुरंत बाद वहीं गिर गए। उन्हें फौरन दिल्ली के एम्स ले जाया गया। लेकिन पाठक को दोपहर 1.42 बजे मृत घोषित कर दिया गया। मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया जा रहा है।


बिंदेश्वर पाठक के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बना लिया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन दिया। उनका काम कई लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।

हालांकि, बता दें कि देश में स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से बहुत पहले ही बिंदेश्वर पाठक ने स्वच्छता को लेकर ऐतिहासिक पहल की थी। देश भर में आज जितने भी सुलभ शौचालय दिखाई देते हैं, वे डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक की दूरगामी दृष्टि का नतीजा हैं। उन्होंने कई वर्षों पहले सार्वजनिक शौचालय के मिशन पर काम शुरू किया था और देश भर में शौचालयों का निर्माण कराया।


भारत में सार्वजनिक शौचालय के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले बिंदेश्वर पाठक बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले थे। 80 वर्षीय बिंदेश्वर पाठक को साल 1999 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें साल 2015 में ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया। 2003 में विश्व के 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की सूची में भी उनका नाम शामिल था। पाठक को कई दूसरे चर्चित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।

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