नहीं रहे एन डी तिवारी: पहले नेता थे जो दो राज्यों के रहे मुख्यमंत्री
यूपी और फिर बाद में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी का 93 साल की उम्र में दिल्लीके मैक्स हॉस्पिटल में निधन हो गया है। कांग्रेस नेता एनडी तिवारी काफी दिनों सेबीमार चल रहे थे।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी (एनडी तिवारी) का निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली के साकेत के मैक्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। वे 93 साल के थे। पिछले साल 20 सितंबर को ब्रेन स्ट्रोक के बाद साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। एनडी तिवारी की गिनती देश के दिग्गज राजनेताओं में होती थी। वे दो राज्य के मुख्यमंत्री रहने वाले देश के एकमात्र राजनेता थे।
एनडी तिवारी का जन्म एक कुमाऊं परिवार में 1925 को नैनीताल जिले के बलुती गांव में हुआ था। उनके पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अफसर थे। उनकी शिक्षा अविभाजित यूपी में ही हुई। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पर्चे बांटने के आरोप में 1942 में एनडी तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें उसी जेल में रखा गया, जहां उनके पिताजी बंद थे। उनके पिताजी ने खिलाफत आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। कॉलेज की राजनीति से तिवारी का राजनीतिक सफर शुरू 15 महीनो तक जेल में रहने के बाद उन्हें जेल से मुक्ति मिली।
शुरुआती पढ़ाई के बाद साल 1944 वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी गए, जहां से उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए और फिर एलएलबी की। वह 1947 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। यह उनके सियासी जीवन की पहली सीढ़ी थी। आजादी के बाद 1950 में उत्तर प्रदेश के गठन और 1951-52 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नैनीताल (उत्तर) सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा लिया।
एनडी तिवारी तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। वे 1976-77, 1984-85, 1988-89 तक राज्य के मुख्यमंत्री पद का संभाला। इसके अलावा वे 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के सीएम रहे। वह राजीव गांधी कैबिनेट में विदेश मंत्री भी रह चुके थे। साल 2007 से 2009 तक एनडी तिवारी आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे।
एनडी तिवारी के राजनैतिक सफर में कुछ विवादों से भी भरा रहा। साल 2008 में रोहित शेखर ने उन्हें जैविक पिता बताते हुए कोर्ट में मुकदमा कर दिया था। जिस पर कोर्ट ने डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया तो एनडी तिवारी ने अपना नमूना ही नहीं दिया। बाद में कोर्ट के आदेश के बाद एनडी तिवारी ने जहां रोहित को अपना कानूनी रूप से बेटा मानते हुए संपत्ति का वारिस बनाया, वहीं उज्जवला से 88 साल की उम्र में शादी की। दरअसल उज्जवला से एनडी तिवारी के पुराने प्रेम संबंध रहे, मगर उन्होंने शादी नहीं की थी। एनडी तिवारी ने 1954 में सुशीला तिवारी से विवाह किया। 1991 में सुशीला का निधन हो गया। 14 मई 2014 को उन्होंने उज्ज्वला तिवारी से 88 साल की आयु में दूसरी शादी की।
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