हरियाणा: पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह ने अपनी ही सरकारको दी नसीहत, कहा-किसानों-आढ़तियों से करें बात
हरियाणा में किसानों और आढ़तियों की दिक्कत का मुद्दा विपक्ष के साथ-साथ अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह ने भी उठाया है। उन्होंने सरकार को नसीहत दी है कि खट्टर सरकार तुरंत किसानों और आढ़तियों से बात करे।
हरियाणा सरकार किसी और की नहीं तो कम से कम अपने वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह की ही सुन ले। वीरेंद्र सिंह ने मंडियों में गेहूं खरीद को लेकर अव्यवस्था पर अपनी ही सरकार को नसीहत दे डाली है। उन्होंने कहा है कि सरकार को आढ़तियों और किसानों के साथ बैठकर बात करनी चाहिए, जिससे गेहुं की खरीद सुचारू तरीके से हो सके। वीरेंद्र सिंह ने इसको लेकर लगातार ट्वीट किए हैं। वीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व आईएएस अफसर बृजेंद्र सिंह हिसार से बीजेपी के सांसद हैं। बेटे को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए वीरेंद्र सिंह ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि सरकार को आढ़ती, किसान के साथ मिलकर त्रि-पक्षीय वार्ता करनी चाहिए। गेहूं खरीद में देरी चिंता का विषय है। उन्होंने दो ट्वीट किए हैं। पहले ट्वीट में लिखा है कि हरियाणा में गेहूं की ख़रीद में हो रही देरी अत्यंत चिंता का विषय है। ना केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था और किसान को मौसम की मार का डर है। देश की मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में यह विषय और भी गंभीर हो जाता है।
दूसरे ट्वीट में वीरेंद्र सिंह ने लिखा है कि मेरा सुझाव है कि सरकार आढ़ती व किसान वर्ग के साथ तुरंत त्रि-पक्षीय वार्ता बुलाए व आम-सहमति व अनुकंपा की भावना को सम्मिलित कर एक घोषणा पत्र जारी करे, जिसके आधार पर तुरंत गेंहु की ख़रीद शुरू हो सके।
दूसरी तरफ, गुरुवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने हरियाणा में रबी फसल की खरीद का मुद्दा उठाया। सैलजा ने बैठक में कहा कि हरियाणा में कोरोना महामारी और लॉकडाउन के समय में किसानों की फसल खरीद में बड़ी समस्या आ रही है। सरकार द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के माध्यम से ही फसल की खरीद करना, एक बार में फसल खरीद की सीमा तय करना, खरीद बेहद ही धीमी गति से करना, फसल में नमी बताकर उसमें कई किलो तक काटने जैसे फैसलों ने किसानों के सामने घोर संकट खड़ा कर दिया है। प्रदेश में 50 फीसदी ऐसे किसान हैं, जिन्होंने अपनी फसल का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। उनकी फसल खरीद अधर में लटक गई है।
सैलजा ने कहा कि सरकार द्वारा बेहद ही धीमी गति से फसल की खरीद की जा रही है, इससे फसल की खरीद होने में कई महीने लग जाएंगे। पहले ही किसानों की फसल कटाई के लिए मशीनें और मजदूर उपलब्ध नहीं हो पाए थे। वहीं अब प्रदेश में कई स्थानों पर सरकार के गलत फैसलों के कारण आढ़ती हड़ताल पर चले गए हैं और फसल की खरीद बंद है, जिसके कारण किसानों को कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।
वहीं, हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल ने कहा है कि सरकार अपने वायदे के अनुसार गेहूं व सरसों खरीद का भुगतान आढ़तियों के माध्यम से 24 घंटे के अंदर करने के आदेश सभी सरकारी खरीद एजेंसियों को दे।
सरकार बार-बार कह रही है कि किसान की फसल का एक-एक दाना खरीदा जाएगा। फिर उसे फसल का ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल में रजिस्ट्रेशन करने और खरीद ऑनलाइन करने की क्या जरूरत है। व्यापार मंडल का कहना है कि आढ़ती व किसान का पारिवारिक संबंध है और सदियों से लेनदेन चलता आ रहा है। व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग का कहना है कि आढ़तियों का पिछले साल का बाकी पड़ा सरसों खरीद का कमीशन, धान खरीद व उसका कमीशन और पल्लेदारों की करोड़ों रुपये बकाया मजदूरी का भुगतान सरकार को जल्द कर देना चाहिए, जिससे आढ़तियों को कुछ राहत मिल सके।
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