गरीबी खत्म करने के साथ ही अर्थव्यवस्था के ठप पड़े इंजन को भी स्टार्ट करेगी ‘न्याय’ योजना: मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने न्याय योजना पर एक बयान में कहा है कि इससे न सिर्फ देश में बची हुई 20 फीसदी गरीबी खत्म होगी, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था का ठप पड़ा इंजन भी फिर से स्टार्ट हो जाएगा। डॉ मनमोहन सिंह का पूरा बयान यहां पढ़ें:
25 मार्च, 2019 को कांग्रेस अध्यक्ष, श्री राहुल गांधी ने न्याय - ‘न्यूनतम आय योजना’ प्रस्तुत की। यह योजना दोहरे उद्देश्य वाली एक शक्तिशाली योजना है, जो एक तरफ हमारे देश से बची खुची गरीबी हटाएगी वहीं रुकी हुई अर्थव्यवस्था को पुनः गति देगी। न्याय के तहत भारत के 20 प्रतिशत सर्वाधिक गरीब परिवारों में से प्रत्येक परिवार को 72,000 रु. प्रतिवर्ष की सहयोग राशि दी जाएगी। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि न्याय योजना को देश के नागरिकों ने बहुत पसंद किया और इस योजना पर पूरे देश में विस्तृत चर्चा हो रही है।
जब 1947 में भारत को ब्रिटिश राज से आजादी मिली, उस समय लगभग 70 प्रतिशत भारतीय नागरिक गरीबी सीमा के नीचे थे। आजादी के बाद पिछले सात दशकों में बनी विभिन्न केंद्र सरकारों द्वारा अपनाई गई मजबूत नीतियों के चलते गरीबी का स्तर 70 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत पर आ गया। अब समय है, जब हम बची हुई गरीबी को दूर करने के लिए अपना संकल्प पुनः दोहराएं।
न्याय योजना हर भारतीय परिवार के लिए उसकी गरिमा व सम्मान सुनिश्चित करेगी। सीधे आय का सहयोग प्रदान कर, न्याय गरीबों को आर्थिक स्वतंत्रता व सम्मान प्रदान करेगी। न्याय योजना के साथ भारत न्यूनतम आय गारंटी के युग में प्रवेश करेगा और नए कल्याणकारी राज्य के लिए नए सामाजिक अनुबंध का निर्माण करने में मदद करेगा।
न्याय हमारे आर्थिक इंजन को पुनः प्रारंभ करने में मदद करेगा, जो आज ठहराव की स्थिति में आ गया है। जरूरतमंद लोगों के हाथ में पैसा पहुंचने से अर्थव्यवस्था में मांग उत्पन्न होगी और आर्थिक गतिविधि बढ़कर नौकरियों का निर्माण होगा। इस प्रभाव को अर्थशास्त्रियों द्वारा कीनेशियन प्रभाव कहा जाता हैं। जब निजी निवेश और औद्योगिक उत्पादन कम है, उस समय न्याय योजना अर्थव्यवस्था को पुनः जीवित करेगी और नई फैक्ट्रियों एवं नौकरियों का निर्माण करेगी।
कांग्रेस वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए समर्पित है। न्याय योजना पर भारत की जीडीपी का ज्यादा से ज्यादा 1.2 प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत खर्च होगा। लगभग 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हमारी अर्थव्यवस्था यह खर्च वहन करने में समर्थ है। न्याय के कारण मध्यम वर्ग पर किसी भी प्रकार का कोई नया टैक्स बोझ डालने की जरूरत नहीं होगी। न्याय योजना द्वारा अर्थव्यवस्था को मिली गति से यह वित्तीय अनुशासन बनाने में बल्कि ज्यादा मदद मिलेगी। न्याय योजना काफी विचार-मनन और विशेषज्ञों द्वारा परामर्श लिए जाने के बाद बनाई गई है।
जिस प्रकार हमने 1991 में डि-लाईसेंसिंग नियम, फिर मनरेगा के तहत सभी को काम के अधिकार के साथ भारत के विकास के नए कीर्तिमान बनाए थे, उसी प्रकार मुझे विश्वास है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार न्याय योजना का क्रियान्वयन भी सफलतापूर्वक करेगी और सामाजिक न्याय एवं बुद्धिमत्तापूर्ण अर्थव्यवस्था के नए मॉडल की शुरुआत करेगी। मेरा विश्वास है कि न्याय में भारत को विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाते हुए दुनिया में ‘गरीबी-मुक्त’ देशों की सूची में लाने की सामर्थ्य है। मुझे उम्मीद है कि मेरे सामने ही हमारा देश यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर लेगा।
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