नीतीश के नए शिक्षा मंत्री की पत्नी की मौत का मुद्दा गर्माया, पूर्व आईपीएस ने उठाई जांच की मांग
मेवा लाल की पत्नी और पूर्व विधायक नीता चौधरी 27 मई 2019 को अपने घर पर जलने के बाद गंभीर हालत में मिली थीं। इसके बाद दो जून 2019 को उनकी मृत्यु हो गई थी। पूर्व आईपीएस ने कहा है कि उनकी मौत भर्ती घोटाले से जुड़ी और गहरी राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकती है।
बिहार की अपनी नई सरकार के मंत्रिमंडल में मेवा लाल चौधरी को शामिल करने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले को लेकर आरोपों में घिरे मेवा लाल अब अपनी पत्नी की मौत के मामले को लेकर नए विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं। इस मामले को उठाते हुए एक पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने बिहार के डीजीपी को पत्र लिखकर चौधरी की पत्नी की कथित रहस्यमय मौत की विस्तृत जांच की मांग कर दी है।
बिहार कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने मेवा लाल चौधरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उनकी पत्नी नीता की रहस्यमयी मौत चौधरी द्वारा किए गए कथित भर्ती घोटाले के लिंक के साथ एक राजनीतिक साजिश हो सकती है।
बता दें कि मेवा लाल की पत्नी और पूर्व विधायक नीता चौधरी 27 मई, 2019 को अपने घर पर जलने के बाद गंभीर हालत में मिली थीं। इसके बाद दो जून 2019 को उनकी मृत्यु हो गई थी। साल 2018 में नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके अमिताभ कुमार दास ने डीजीपी को भेजे पत्र में कहा है, "मुझे नीता चौधरी की रहस्यमय मौत के बारे में जानकारी है। उनकी मौत किसी गहरी राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकती है। उनकी मौत भर्ती घोटाले से जुड़ी हुई है।"
पूर्व आईपीएस दास ने आगे कहा, "बिहार पुलिस ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत पर त्वरित कार्रवाई की। मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार पुलिस इस मामले में भी ऐसा ही करेगी। मैं बिहार पुलिस से उम्मीद कर रहा हूं कि इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा।"
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने बिहार के डीजीपी ए. के. सिंघल को पत्र क्यों लिखा, इस पर दास ने कहा, "मैंने बिहार में आईपीएस अधिकारी के रूप में 24 वर्षों तक सेवा की है। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर यह मेरा कर्तव्य है कि समाज में गलत कार्य को इंगित करूं।"
गौरतलब है कि मेवा लाल चौधरी को नीतीश कुमार कैबिनेट में शिक्षा मंत्री की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दो उपमुख्यमंत्रियों और 11 अन्य मंत्रियों के साथ राजभवन में शपथ ली है। मेवा लाल चौधरी 2012 में 161 सहायक प्रोफेसर-सह-जूनियर वैज्ञानिकों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं को लेकर निशाने पर हैं। जब वह भागलपुर जिले में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे, तब यह कथित घोटाला सामने आया था।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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