विदेश नीति को निजी पीआर-मार्केटिंग बनाने से नहीं मिलेगा भारत को दुनिया में उसका असली मुकाम: शशि थरूर

पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की विदेश नीति में थोड़ी ऊर्जा जरूर लेकर आए हैं, लेकिन पड़ोसी देशों के साथ उनकी रणनीति ढुलमुल है, जिसमें तटस्थता नहीं है।

फोटोः सोशल मीडिया
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IANS

कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने खासतौर पर पाकिस्तान और चीन का जिक्र करते हुए कहा है कि भारत के दो सबसे करीबी पड़ोसियों के साथ पीएम मोदी का रुख ढुलमुल रहा है, जो प्रधानमंत्री की भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक नीति को खोखला साबित करता है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा भारत की विदेश नीति को एक पीआर और मार्केटिंग गतिविधि तक समेट देना दुनिया में भारत के असली मुकाम के अनुरूप नहीं है।

थरूर ने कहा, "मोदी ने विदेश नीति के मामले में काफी ऊर्जा और गतिशीलता का संचार किया है। वह लगातार यात्रा करते हैं और यह अच्छा है। वह जहां भी जाते हैं, वहां जोश से भरपूर छाप छोड़ते हैं। यह एक सकारात्मक पहलू है। लेकिन कई ऐसे पहलू भी हैं, जो चिंतनीय हैं।" उन्होंने कहा, "इनमें से एक यह है कि पाकिस्तान के मामले में उनकी नीति में कोई तटस्थता नहीं है, जो बेहद उथल-पुथल और बहुत उलझन भरी है।"

कांग्रेस सांसद ने कहा कि एक ओर जहां मोदी बार-बार दोहराते हैं कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद खत्म नहीं हो जाता, तब तक पाकिस्तान के साथ कोई संपर्क नहीं होगा, वहीं दूसरी ओर अचानक ही बैंकाक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात की घोषणा कर दी जाती है। थरूर ने जम्मू एवं कश्मीर में लागातार आतंकी गतिविधियों के बारे में कहा कि पिछले दो सालों में हालात 'बदतर' हो गए हैं। उसके बावजूद पिछले साल 25 दिसंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फिर से अपने पाकिस्तानी समकक्ष नसीर खान जांजुआ से बैंकाक में मुलाकात की।

उन्होंने कहा, "दुखद है कि हम आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि देख रहे हैं। इस सबसे मुझे लगता है कि भारत की पाकिस्तान नीति में स्थिरता की कमी है।" उन्होंने कहा, "विदेश नीति केवल पीआर और मार्केटिंग तक ही सीमित रह गई है, जो कि हमने घरेलू मुद्दों में भी देखा है। घरेलू मुद्दों में इसका ज्यादा नुकसान नहीं होता, लेकिन विदेश नीति में इसका भारी नुकसान होता है, क्योंकि यह दुनिया में भारत के दर्जे और भारतीयों की सुरक्षा को भी प्रभावित करता है।"

पूर्व विदेश राज्यमंत्री ने चीन के साथ डोकलाम विवाद के संदर्भ में कहा, "पता चला है कि चीनी सैनिक वहां से केवल 200 मीटर ही हटे और उन्होंने खुद को उसी पठार पर स्थापित कर लिया है, ताकि जब भी बर्फ पिघले और हम हिलना चाहें तो युद्ध की बात किए बिना हम विरोध न कर पाएं।"

थरूर ने कहा, “सितंबर 2016 में पाकिस्तान में आतंकवादी लॉन्च पैड्स के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को भी एक बड़ी जीत कहा गया। दावा किया गया कि इससे आतंकवाद पर लगाम लगी है। लेकिन असल में उसके बाद से आतंकवाद में और सीमा पार घुसपैठ की वजह से होने वाली मौतों में इजाफा हुआ है।"

थरूर ने कहा कि किसी भी भारतीय सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जनता के साथ ईमानदार रहे।

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Published: 12 Feb 2018, 7:59 AM