भारत के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा के वो पांच बड़े कारोबारी फैसले, जिनसे वो बने व्यापार जगत के हीरो
रतन टाटा ने 1991 से लेकर 2012 तक लगातार 21 वर्षों तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया और कई ऐसे अधिग्रहण किए जिसने समूह को विश्व पटल पर ला दिया।
भारत के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने 1991 से लेकर 2012 तक लगातार 21 वर्षों तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया और कई ऐसे अधिग्रहण किए जिसने समूह को विश्व पटल पर ला दिया।
जेएलआर अधिग्रहण: रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप की ओर से लग्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) का अधिग्रहण किया गया था। यह अधिग्रहण 2008 में टाटा मोटर्स की ओर से फोर्ड मोटर से 2.3 अरब डॉलर में किया गया था।
इसे रतन टाटा का फोर्ड मोटर से बदला माना जाता है, क्योंकि 1999 में टाटा मोटर्स के पैसेंजर वाहन सेगमेंट को फोर्ड मोटर ने खरीदने से माना कर दिया था। इस दौरान फोर्ड के एक अधिकारी की ओर से रतन टाटा को कहा गया कि जब आपको कार बिजनेस का ज्ञान ही नहीं था, तो आपने इस सेगमेंट में क्यों एंट्री की। अगर हम इसे खरीद लेते हैं तो यह आप पर एहसान होगा।
इसने रतन टाटा को गहरी चोट पहुंचाई और उन्होंने अपनी कार को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया। इसके नौ साल बाद 2008 में जब फोर्ड मोटर वित्तीय संकट का सामना कर रही थी, जब टाटा मोटर्स की ओर से फोर्ड मोटर से जगुआर लैंड रोवर को खरीदा गया। उस समय फोर्ड ने कहा कि जेएलआर को खरीद कर आपने हमें राहत दी है।
नैनो लॉन्च: देश में आम लोगों तक कार पहुंचाने के लिए रतन टाटा की ओर से केवल एक लाख रुपये की कीमत में नैनो को 2008 में लॉन्च किया गया था। हालांकि, यह कार इतनी सफल नहीं हुई। 2012 में इसकी अधिकतम 74,527 यूनिट्स की बिक्री हुई। बाद में कम बिक्री के कारण इसका उत्पादन 2018 में बंद कर दिया गया था।
टेलीकॉम: रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कंज्यूमर टेलीकॉम में प्रवेश किया। उनकी कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज और जापानी कंपनी एनटीटी डोकोमो ने मिलकर नवंबर 2008 में टाटा डोकोमो को लॉन्च किया। अपने कम ट्रैरिफ के कारण टाटा डोकोमो तेजी से भारतीय बाजार में लोकप्रिय हो गया।
हालांकि, लगातार नुकसान के कारण एनटीटी डोकोमो इस संयुक्त उपक्रम से बाहर हो गया। फिर 2017 में कंपनी ने अपने ऑपरेशन बंद कर दिए और कारोबार का भारती एयरटेल द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया।
रक्षा क्षेत्र: रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड (टीएएसएल) के माध्यम से 2007 में रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया। यह रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने वाली शुरुआती निजी कंपनियों में से एक थी।
एयर इंडिया अधिग्रहण: रतन टाटा के मार्गदर्शन में टाटा ग्रुप की ओर से 2022 में एयर इंडिया का अधिग्रहण किया गया था। यह अधिग्रहण 18,000 करोड़ रुपये में किया गया था। टाटा ग्रुप की ओर से फिलहाल एयर इंडिया का कायाकल्प किया जा रहा है। वित्त वर्ष 24 में एयर इंडिया का नुकसान 60 प्रतिशत कम होकर 4,444 करोड़ रुपये हो गया है।
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