बिहार में कृषि कानूनों के खिलाफ हुई पहली किसान महापंचायत, आंदोलन को गांव-गांव फैलाने का लिया गया संकल्प

इस मौके पर बिहार के अन्य जिला मुख्यालयों में भी किसान मार्च निकाला गया और इस दौरान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमसपी पर कानूनी बनाने, एपीएमसी एक्ट पुनर्बहाल करने, छोटे और बटाईदार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ देने की मांग की गई।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

आजादी की लड़ाई के दौरान जमींदारी प्रथा के खिलाफ किसानों को संगठित करने वाले महान किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर गुरुवार को बिहार के बिहटा में अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा-माले ने किसान महापंचायत का आयोजन किया, जिसमें किसान आंदोलन को मजबूत करते हुए गांव-गांव फैलाने का संकल्प लिया गया।

सहजानंद सरस्वती के आश्रम स्थल बिहटा में आयोजित किसान महापंचायत में भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य सहित कई प्रमुख किसान नेताओं ने भाग लिया। इस मौके पर राज्य के अन्य जिला मुख्यालयों में भी किसान मार्च निकाला गया। मार्च के दौरान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमसपी को कानूनी दर्जा देने, एपीएमसी एक्ट पुनर्बहाल करने, छोटे और बटाईदार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ देने की मांग की गई।

बिहटा में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज हम सहजानंद सरस्वती की जयंती पर यहां जमा हुए हैं, उनकी जो जीवन यात्रा थी, उस पर कुछ बात करनी आज बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने किसानों की दुर्दशा देखी। सहजानंद ने असली किसानों की पहचान की और इसी स्थान पर 1929 में बिहार प्रदेश किसान सभा का गठन किया। सहजानंद ने कहा था कि जमींदारी से किसानों और अंग्रेजों से पूरे हिंदुस्तान की मुक्ति की लड़ाई साथ-साथ चलेगी।

दिपंकर भट्टाचार्य ने कहा, "दिल्ली में जो किसान बैठे हैं, पूरे सम्मान के साथ हम उन्हें याद कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जो अन्नदाता हैं, जो उत्पादन करने वाले हैं, वही इस देश के अंदर कानून बनाए, शासन का सूत्र मेहनतकशों के हाथ में हो, यह बहुत बड़ी लड़ाई है। बिहार का यह आंदोलन उनके मुगालते को तोड़ देगा। आज के किसान महापंचायत से हमें संकल्प लेकर जाना है कि चल रहे देशव्यापी किसान आंदेालन में बिहार के गरीबों को उतना ही भागीदार बनाना है, जितना पंजाब के किसान संगठन इस आंदोलन में शामिल हैं।"

किसान महापंचायत को स्थानीय नेताओं ने भी संबोधित किया। अंत में एक प्रस्ताव पास कर लोगों से 18 मार्च को विधानसभा मार्च और 26 मार्च को होने वाले भारत बंद को सफल बनाने की अपील भी की गई।

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