अगले तीन महीने विनिर्माण सेक्टर में भर्ती की संभावना नहीं, फिक्की के ताजा सर्वे के नतीजे भयावह
विनिर्माण क्षेत्र देश का एक बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। भारतीय विनिर्माण क्षेत्र पर अप्रैल-जून तिमाही के लिए किए गए फिक्की के तिमाही सर्वेक्षण में इस क्षेत्र की लगभग 85 प्रतिशत इकाइयों ने अगले तीन माह तक अतिरिक्त श्रम शक्ति की भर्ती से इंकार किया है।
कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन से बिगड़े रोजगार परिदृश्य में सुधार की संभावना निकट भविष्य में नहीं दिखाई देती, क्योंकि फिक्की द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चला है कि विनिर्माण क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां अगले तीन महीनों में श्रमिकों की भर्ती नहीं करने वाली हैं। वहीं सर्वे में शामिल विनिर्माण क्षेत्र के मात्र 10 प्रतिशत प्रतिभागियों ने वित्त वर्ष 2020-21 की प्रथम तिमाही में उत्पादन में वृद्धि की बात कही है।
विनिर्माण क्षेत्र देश का एक बड़ा रोजगार देने वाल क्षेत्र है। भारतीय विनिर्माण क्षेत्र पर अप्रैल-जून तिमाही के लिए किए गए फिक्की के तिमाही सर्वेक्षण में पता चला है कि इस क्षेत्र के लगभग 85 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अगले तीन महीनों तक अतिरिक्त श्रम शक्ति की भर्ती करने से इंकार किया है। सर्वे में इस सेक्टर की बहुत खराब तस्वीर सामने आई है, क्योंकि मात्र 10 प्रतिशत प्रतिभागियों ने वित्त वर्ष 2020-21 की प्रथम तिमाही में उत्पादन में वृद्धि की बात कही है।
फिक्की के सर्वे में कहा गया है, "वित्त वर्ष 2020-21 की प्रथम तिमाही में उच्च उत्पादन दर्ज कराने वाले प्रतिभागियों का प्रतिशत वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही की तुलना में काफी घट गया है। अप्रैल-जून 2020 के दौरान उच्च उत्पादन दर्ज कराने वाले प्रतिभागियों का अनुपात घटकर मात्र 10 प्रतिशत हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में यह 15 प्रतिशत था।"
इस सर्वे में बड़े और एसएमई खंड, दोनों में 300 से अधिक इकाइयों को शामिल किया गया, जिनके वार्षिक संयुक्त कारोबार 2.5 लाख करोड़ रुपये के हैं। सर्वे में 2020-21 की प्रथम तिमाही में कम या समान उत्पादन की उम्मीद करने वाले उत्तरदाताओं की संख्या 90 प्रतिशत रही, जबकि 2019-20 की अंतिम तिमाही में यह 85 प्रतिशत थी।
विनिर्माण क्षेत्र में कुल क्षमता दोहन 2019-20 की चौथी तिमाही में घटकर 61.5 प्रतिशत हो गई जबकि 2019-20 की तीसरी तिमाही में यह 76 प्रतिशत था। इस क्षेत्र में आने वाले दिनों में निवेश परिदृश्य भी धुंधला दिखता है, क्योंकि मात्र 22 प्रतिशत प्रतिभागियों ने ही अगले छह महीनों में क्षमता बढ़ाने की बात कही है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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