खौफ-गुस्से से उबल रहे हैं चिनाब घाटी के डोडा और किश्तवाड़, पाबंदियां जारी रहने से युवाओं का भविष्य अंधेरे में

जम्मू क्षेत्र में हाल में आंतकियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद पाबंदियां कड़ी कर दी गई है। इससे लोगों के बीच जबरदस्त खौफ है। वहीं इंटरनेट बंद होने से युवाओं का भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है।

फाइल फोटो
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गुलजार बट

“इस साल हमारे लिए न ईद आई न जन्माष्टमी....” यह कहना है डोडा जिले में चिनाब नदी के किनारे पत्थरों पर आशंकित भाव में बैठे युवाओं का। इन सबने इनके नाम लिखने का अनुरोध किया। उनका कहना है कि, “अब हमें हर वक्त अपने शिनाख्ती कार्ड साथ रखने पड़ते हैं और सुरक्षा बलों को चेक पोस्ट पर दिखाने पड़ते हैं।” इनके मुताबिक डोडा से किश्तवाड़ के रास्ते में कम से कम पांच बार उनके वाहनों की जांच की जाती है और गहनता से तलाशी ली जाती है। इन युवाओं का कहना है कि, “हमारे माता-पिता जैसा 90 के दशक का हाल बताते हैं, वैसा ही इन दिनों हम महसूस कर रहे हैं।”

युवाओं के मुताबिक उनके माता-पिता उन्हें बताते हैं कि, उस दौर में सुरक्षा बल किसी भी गांव वाले को बिना किसी वजह उठा ले जाते थे और अपने कैम्प में ले जाकर यातन देते थे। इन हालात के चलते जम्मू क्षेत्र के डोडा और किश्तवाड़ पर्वतीय जिलों में लोगों के बीच खौफ का माहौल है।

केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा बीते 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के बाद से पूरा इलाका जबरदस्त सुरक्षा घेरे में हैं। कश्मीर की ही तरह इन दोनों जिलों में भी सुरक्षा बलों की भारी तैनाती है। आम स्थानीय लोगों को आवागमन पर कड़ी पाबंदी है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि शुरु में दोनों जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था और कुछ दिन बाद धारा 144 लागू कर दी गई, जो अभी तक जारी है। बीते 22 दिनों से इलाके में संचार सेवाएं अभी तक बंद हैं। हालांकि 27 अगस्त को कुछ मोबाइल फोन चालू हुए थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर के बाकी हिस्सों की तरह यहां भी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं ठप हैं।

इन पाबंदियों के चलते न तो ईद मनाई जा सकी और न ही जन्माष्टमी, क्यंकि अधिकारियों को किसी सांप्रदायिक अनहोनी की आशंका थी, जिसके कारण कड़ी पाबंदियां लगा दी गई थीं। इन दोनों मौकों पर डोडा और किश्तवाड़ में दर्जनों धार्मिक लोगों को हिरासत में ले लिया गया था और निजी मुचलका भरने के बाद ही उन्हें रिहा किया गया।

हाल की मुठभेड़ों के बाद बढ़ गया है खौफ

हाल ही में जम्मू-किश्तवाड़ मार्ग पर बतोते के पास आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद स्थानीय लोगों में खौफ और ज्यादा बढ़ गया है। अभी 28 सितंबर को करीब 9 घंटे चली मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन की एक टॉप कमांडर मारा गया था। डोडा जिले के असर गांव के अब्दुल रशीद बताते हैं कि, “मुठभेड़ के बाद इलाके में सुरक्षा बलों का पहरा बढ़ गया है और स्थानीय लोगों की तलाशी ली जा रही है।” स्थानीय लोग मानते हैं कि अगर आतंकी गतिविधियां बढ़ती हैं तो इसका खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ेगा।

लोगों के मुताबिक मारा गया आतंकी पुलिस के अनुसार बतोते गांव से आया था। 55 साल के एक बुजुर्ग बताते हैं कि, “क्या होगा कि अगर कल को आतंकी हमारे दरवाजों पर आ गए। फिर सुरक्षा बलों के कहर से हमें कौन बचाएग?”

उधर युवाओं में इंटरनेट बंद होने से बेहद गुस्सा है। डोडा और किश्तवाड़ में इस संवाददाता से बात करने वाले तमाम युवाओं ने लगातार इंटरनेट बंद होने पर रोष जताया। उनका कहना है कि इंटरनेट बंद होने से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है और आने वाला प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों पर असर पड़ रहा है।

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे डोडा के ताथरी गांव के मोइन बागवान बताते हैं कि इंटरनेट बंद होने के चलते वे अपनी तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। मोईन न बताया, “अगर यूपीएससी जैसी परीक्षा पास करन है तो आपको देश-दुनिया में हो रहे बदलावों से खुद अपडेट रखना पड़ता, और आज के दौर में बिना इंटरनेट के यह संभव नहीं है।”

वहीं इंजीनियरिंग कर चुके सचिन का कहना है कि इंटरनेट न होने की वजह से वे रेलवे भर्ती बोर्ड में जूनियर इंजीनियर के पद के लिए आवेदन तक नहीं कर पाए। सचिन कहते हैं कि, “मैंने प्रीलिम पास कर लिया था, लेकिन अब मुझे फिर नए से तैयारी करन होगी, क्योंकि इंटरनेट न होने से मेरी मेहनत बरबाद हो गई।“ सचिन की तरह ही बहुते युवा हैं जिनका भविष्ट इंटरनेट शटडाउन के कारण अंधकारमय दिखने लगा है।


डोडा और किश्तवाड़ में राजनीतिक नेताओं के आवागमन पर भी पाबंदी है। सूत्रों का कहना है कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टियों कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं को या तो हिरासत में ले लिया गया है या फिर उन्हें उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया है। उन्हें कहीं भी आने जाने की इजाजत नहीं है।

नेशनल कांफ्रेंस के नेता खालिद नजीब सुहरावर्दी को 5 अगस्त से ही घर में नजरबंद किया हुआ है, जबकि डोडा के एक अहम कांग्रेस नेता को उनके निर्वाचन क्षेत्र में जाने की अनुमित नहीं दी जा रही है। नेशनल कांफ्रेंस के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बीजेपी पूरे देश में सिर्फ एक पार्टी चाहती है। लेकिन ऐसा नहीं होने वाला।

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