कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी संसद कूच करेंगे किसान, लखनऊ में होगी महापंचायत, संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान
संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन में अब तक 670 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। केंद्र सरकार ने अपने अड़ियल और अहंकारी व्यवहार के कारण किसानों के भारी मानवीय कीमत को स्वीकार करने से भी इनकार किया है।
मोदी सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा ने आगामी कार्यक्रमों की रूप रेखा की घोषणा कर दी है। शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर 9 मेंबर कमिटी की मीटिंग हुई जिसमें यह निर्णय लिया गया कि किसानों के जो प्रोग्राम पहले से तय थे वह वैसे ही रहेंगे। इनमें 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत होगी। वहीं 29 नवंबर से हर दिन 500 प्रदर्शनकारियों का ट्रैक्टर ट्रॉलियों में संसद कूच भी होगा।
वहीं किसानों के मुताबिक, एमएसपी पर अब तक सरकार ने कोई बात नहीं मानी है। ये हमारी मांग है कि सरकार एमएसपी पर कानून लेकर आये। दरअसल शनिवार को हुई बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि किसान आंदोलन की सभी मांगें पूरी हो जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। वहीं जो रूप रेखा तैयार की गई थी उसे योजनाबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि, 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में किसान शामिल होंगे और हम किसानों से शामिल होने के लिए अपील भी कर रहे हैं। वहीं किसानों ने कहा कि 29 नवंबर से प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों में संसद तक शांतिपूर्ण और अनुशासित मार्च करेंगे।
इसके अलावा एसकेएम ने उत्तर भारतीय राज्यों के किसानों से 26 नवंबर को एक वर्ष पूरे होने पर विभिन्न मोर्चा स्थलों पर पहुंचने की अपील की है। इसी तरह, जिन टोल प्लाजा को किसी भी शुल्क संग्रह से मुक्त किया गया है, उन्हें ऐसे ही रखा जाएगा। वहीं दिल्ली से दूर विभिन्न राज्यों में 26 नवंबर को पहली वर्षगांठ के मौके पर अन्य प्रदर्शनों के साथ-साथ राजधानियों में भी ट्रैक्टर और बैलगाड़ी की परेड निकलेगी और 28 तारीख को 100 से अधिक संगठनों के साथ संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा के बैनर तले मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल महाराष्ट्रव्यापी किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन में अब तक 670 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। केंद्र सरकार ने अपने अड़ियल और अहंकारी व्यवहार के कारण प्रदर्शनकारियों पर भारी मानवीय कीमत को स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया है।
मोर्चा ने अपनी मांग रखते हुए आगे कहा है कि आंदोलन में जान गंवाने वाले सभी शहीदों के परिवारों को मुआवजे और रोजगार के अवसरों के साथ समर्थन दिया जाना चाहिए। वहीं शहीदों को संसद सत्र में श्रद्धांजलि मिले और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश आदि विभिन्न राज्यों में हजारों किसानों के खिलाफ सैकड़ों झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन सभी मामलों को बिना शर्त वापस लेना चाहिए। ब
बता दें कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था। जिसके बाद किसानों ने इस फैसले का स्वागत तो किया लेकिन सीमाओं से उठने से इनकार कर दिया।
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