मोदी सरकार को किसानों की दो टूक, कहा- मरोड़ देंगे केंद्र की अकड़, कुछ दिन में सब कर देंगे पवित्र

पिछले 16 दिन से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे देश के अन्नदाओं का गुस्सा 7वें आसमान पर है। किसान पहले ही आंदोलन तेज करने का ऐलान कर चुके हैं। यही कारण है कि अब धीरे-धीरे दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

दिल्ली के यूपी बॉर्डर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन के सैकड़ों लोग जुटे हैं। एक दिन यह संख्या हजारों में भी पहुंची है। गुरुवार को दोपहर यह संख्या 200-300 किसानों की थी। सिंघु और टिकरी बॉर्डर के लाखों किसानों के सामने यह संख्या 'मुट्ठी' भर ही है। ये अलग बात है कि ये मुट्ठी भर किसान भी बुलंद हौसले वाले है। भारतीय किसान यूनियन वही संगठन है जिसकी स्थापना पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खांटी किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने की थी। यही टिकैत 90 के दशक में लाखों किसानों के साथ दिल्ली घेर कर बैठ गए थे।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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गाजीपुर के इस बॉर्डर पर बाबा टिकैत के बारे में बात हो रही है। यहां मौजूद लोग भोपा के नईमा कांड में उनके संघर्ष को याद कर रहे हैं। एक किसान कहता है कि" उनकी एक आवाज़ पर लाखों लोग आ जाते थे। अभी किसान बहुत व्यस्त है। गेंहू बो रहे हैं। गन्ना मिल में डल रहा है। थोड़ा सब्र करो। दिल्ली में पैर रखने की जगह नहीं मिलेगी। "

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भारतीय किसान की कमान अब चौधरी टिकैत के बड़े बेटे नरेश टिकैत के हाथ मे हैं। मगर नरेश खेती करने में अधिक रुचि लेते हैं, यूनियन का प्रमुख चेहरा उनके छोटे भाई और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत है। राकेश टिकैत राजनीतिक तौर पर परिपक्व हो चुके हैं वो गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत के लिए गए प्रतिनिधिमण्डल में शामिल थे। राकेश टिकैत इस समय यहां नही हैं। धरने के प्रबंधन गौरव के हाथों में है। गौरव टिकैत, नरेश टिकैत के बेटे है।

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यहां मौजूद अशोक कुमार कहते हैं कि "तेल देखिए तेल की धार देखिए, सब पवित्र कर देंगे"। पिछले दो दिनों से राकेश टिकैत बहुत अधिक चर्चा में हैं। ख़ासकर जब ऐसे समय जब यह कहा जा रहा है कि यह आंदोलन सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसानों का है तो वो बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। अशोक कहते हैं कि "भारत बंद वाले दिन सिसौली में एक पत्ता नहीं खडका, इससे असर पता चलता है। थोड़ा सा समय बीतने दीजिए। दिल्ली ही सिसौली बन जाएगी!

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अशोक कुमार की बात में इसलिए भी दम लगता है कि सितंबर में नवजीवन के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में उनके नेता राकेश टिकैत ने दावा किया था कि धान की फसल की बिक्री के बाद दिल्ली में किसान क्रांति आने वाली है और पंजाब के किसान एक सैलाब लेकर आयंगे। ऐसा ही हो रहा है। भारतीय किसान यूनियन भी समझ चुकी है कि यह लंबी लड़ाई है। इसके लिए नई स्ट्रेटजी बन रही है। बिजनोर के जिलाध्यक्ष दिगंबर सिंह यूनियन का पक्ष टीवी पर रख रहे हैं वो कहते हैं " हमारे नेता राकेश टिकैत एमएसपी पर कानून बनाने की मांग पहले दिन से ही कर रहे हैं। अब तीनों बिल रद्द किए जाने से कम पर बात नही बनेगी अब सरकार जिद पर आ गई तो हम भी लडेंगे"।

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यूनियन के एक और 'स्ट्रेटजी मेकर' और प्रदेश अध्यक्ष राजदीप सिंह जादौन कहते हैं कि इस बार 26 जनवरी की परेड में किसान ट्रेक्टर के साथ शामिल होंगे। सरकार की अकड़ को मरोड़ने का काम किसान करेगा। अब यह लड़ाई किसानो के अस्तित्व की भी बन गई है। राकेश टिकैत कहते हैं " केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कुछ नहीं किया है इस सरकार के 6 साल के कार्यकाल के दौरान आज भी किसान आधे दामों पर फसलों को बेचने के लिए मजबूर है। अब हम किसान अपना आंदोलन तेज करेंगे, 14 दिसंबर को भारतीय किसान यूनियन के नेता प्रदेश के जिलों के जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपेंगे।

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किसान अब अपनी मांगों को बिना पूरा करवाएं, दिल्ली से नहीं लौटेगा किसान पहले ही केंद्र सरकार के प्रस्तावों को खारिज कर चुका है, पराली पर भी किसान को कोई समझौता नहीं चाहिए ,12 तारीख को टोल फ्री कराया जाएगा और 14 तारीख को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी के मंत्रियों का भी घेराव किया जाएगा"।

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