पीएम किसान निधि पर मोदी का भाषण खत्म होते ही अन्नदाता पर टूटा कहर, खाद कंपनियों ने 60 फीसदी तक बढ़ा दिए दाम

किसानों के खाते में 2000 रुपए डालने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का टीवी पर भाषण खत्म होते ही देश की कंपनियों ने खाद के दामों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी का ऐलान कर दिया। विपक्ष ने इसे किसानों के साथ क्रूर मजाक बताते हुए बढ़ोत्तरी को वापस लेने की मांग की है।

फोटो : आईएएनएस
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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गाजे-बाजे के साथ किसान सम्मान निधि योजना के 2000 रुपए किसानों के खाते में पहुंचने के साथ ही देश की खाद कंपनियों ने किसानों को जबरदस्त झटका दिया है। पीएम के टीवी पर प्रसारित कार्यक्रम के बमुश्किल 24 घंटे बाद, और बीजेपी नेताओं के सोशल मीडिया पर तारीफों भरें संदेशों के बीच ही देश की सभी प्रमुख कंपनियों ने 15 मई को खाद की विभिन्न श्रेणियों की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी कर दी।

इसके बाद कई कंपनियों, थोक और रिटेल डीलरों ने सप्ताह खत्म होते-होते खाद की नई कीमतों को लागू कर दिया। ध्यान रहे कि किसान इस समय मानसून की बुवाई के लिए तीन-चार सप्ताह से तैयारी कर रहा है। खाद की कीमतों में 20 से 60 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी से सदमें आए किसानों का कहना है कि किसानों पर पहले से ही काफी बोझ है, ऐसे में खाद की कीमतों पर बढ़ोत्तरी का असर पूरे कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा।

फोटो : Getty Images
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इस मुद्दे को सबसे पहले उठाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री, डी.वी. सदानंद गौड़ा को पत्र लिखकर खाद की कीमतों में बढ़ोतरी को "दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय" बताया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। वहीं पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और एनसीपी अध्यश्र शरद पवार ने भी मंगलवार को कहा कि यह (कीमत वृद्धि) बुवाई से पहले की कृषि गतिविधियों में रुकावट खड़ी होगी। उन्होंने इसे किसानों के घावोंपर नमक छिड़कने की संज्ञा दी।

पवार का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री शिवसेना के किसान नेता और वसंतराव नाइक शेती स्वावलंबन मिशन (वीएनएसएसएम) के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने कहा कि खाद कंपनियों द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी "पूर्व नियोजित है और सरकार के साथ सांठगांठ के साथ की गई लगती है। उन्होंने पूछा है कि, "किसानों को मात्र 2000 रुपए देने के पीएम के अत्यधिक प्रचारित कार्यक्रम के फौरन बाद ही खाद की कीमतों में वृद्धि से शक पैदा होता है। आखिर देश के हालात को जानते हुए भी पीएम और मंत्री (गौड़ा) इस पर चुप क्यों हैं?"


वहीं शरद पवार ने कहा कि, “कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने वैसे ही आम लोगों के जीवन पर गहरा असर डाला है और उसकी रोजो-रोटी पर संकट आ गया है। ऐसे में किसान समुदाय पर आई इस मुसीबत का हल निकाला जाना चाहिए।”

उधर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी कहा कि मोदी सरकार सिर्फ चंद पसंदीदा पूंजीपतियों के लाभ के लिए ही काम करती है और इसका खामियाजा पूरा देश भुगतता है। उन्होंने कहा कि, “बीते 12 महीनों में यह दूसरा मौका है जब बीजेपी सरकार ने किसानों की पीठ में छुरा घोंपा है। पिछले साल तीन विवादित कृषि कानून किसानों पर लाद दिए गए और अब ऐन मॉनसून के मौके पर खाद की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर दी गई। सरकार ने उन्हें एक हाथ से 2000 रुपए दिए और दूसरे हाथ से खाद की कीमतों के बहाने उन्हें छीन लिया।”

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पीएम-किसान योजना के तहत 15 मई को देश के 9.50 करोड़ किसानों के खाते में 19000 करोड़ रुपए डाले थे ,यानी हर किसान के हिस्से में 2000 रुपए आए थे। किसान निधि योजना दिसबंर 2018 में शुरु की गई थी, इसके तहत छोटे और हाशिए पर पड़े किसानों को हर साल तीन किस्तों में कुल 6000 रुपए की आर्थिक राहत दी जाती है।

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