महाराष्ट्र : सरकार से लिखित आश्वासन के बाद किसानों ने वापस लिया आंदोलन, विशेष ट्रेनों से घर वापसी शुरु
महाराष्ट्र में करीब 200 किलोमीटर का पैदल मार्च कर विधानसभा घेरने पहुंचे किसानों से सरकार से लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन वापस ले लिया। उन्हें विशेष ट्रेनों से घर वापस भेजने की व्यवस्था की गई है।
महाराष्ट्र में किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया गया है। सोमवार 12 मार्च को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से मुलाकात के बाद इस बात का ऐलान किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को उनकी मांगे मानने का लिखित आश्वासन दिया, इसके बाद किसान विशेष ट्रेनों से अपने अपने घर लौटने लगे।
सरकार ने ऐलान किया कि, ”हमने उनकी (किसानों) अधिकतर मांगें मान ली हैं और उन्हें लिखित पत्र दिया है।” पिंक बोल कीड़े और ओलों से प्रभावित किसानों को महाराष्ट्र सरकार मुआवजा देगी।
इस बीच खबरें हैं कि आंदोलन में शामिल काफी किसानों की तबीयत खराब हुई है और उनका मुंबई के अस्पतालों में इलाज चल रहा है। जिन किसानों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है उनमें ज्यादातर को तेज बुखार, पेट दर्द और दूसरी शिकायतें हैं। बड़ी संख्या में किसान ऐसे हैं जिनके पैरों में दर्द है और उनके पैरों में छाले पड़ गए हैं। नासिक से शुरु हुआ किसानों का मार्च मुंबई के करीब पहुंचने पर बहुत सी ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं, जिनमें किसानों के पैरों में जख्मों को दिखाया गया था।
किसानों ने खेती की खस्ता हालत को लेकर बीते 10 महीनों में दूसरी बार राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और विधानसभा तक विरोध मार्च किया। इस मार्च में पुरुषों, महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों सहित 50,000 से अधिक किसानों ने छह दिनों से ज्यादा समय में 180 किलोमीटर लंबे मार्च को पूरा किया। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की ओर से आयोजित इस मार्च में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के किसान धड़े के किसान लाल टोपी पहने, हाथों में लाल झंडे लिए ड्रम बजाते हुए शामिल हुए।
मुंबई पहुंचने पर दोपहर बाद किसानों का प्रतिनिधिमंडल सरकार से मिला। सरकार और किसानों के बीत करीब तीन घंटे बातचीत चली थी। इस बातचीत में किसानों ने करीब 14 मुद्दे सामने रखे। बैठक के बाद महाराष्ट्र सरकार के मंत्री विष्णु सावरा ने कहा, "किसानों की शिकायत है कि उनकी जो जमीन है, उससे कम उनके नाम है। जितनी जमीन पर वो फसलें बो रहे हैं वो उनके नाम होनी चाहिए। इस पर सीएम सहमत हो गए हैं। मामले को चीफ सेक्रेटरी देख रहे हैं, 6 महीने में किसानों की मांगों पर काम शुरू हो जाएगा।''
किसानों ने सरकार के साथ बातचीत को कामयाब बताया। किसान संजय सुखदेव ने कहा, "सरकार ने हमारी मांगें मान ली हैं। हम खुश हैं। सभी दलों के नेताओं और मुंबई की जनता ने हमारा पूरा सहयोग किया। हमारी ताकत उनकी ताकत से मिलने के बाद ही यह रिजल्ट सामने आया है।''
लेकिन जिस तरह अनुशासित और मर्यादित तरीके से किसानों के अपनी मांगों के लिए विधानसभा का घेराव किया और बिना किसी को परेशान किए शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी, उसने मुंबई वासियों का दिल जीत लिया। महाराष्ट्र में चल रही परीक्षाओं के दौरान छात्रों को परेशानी न हो इसे ध्यान में रखते हुए जिस तरह किसानों ने दिन के बजाय रात में ही आजाद मैदान कूच किया, उससे किसानों को पूरे मुंबई का जबरदस्त समर्थन मिला।
किसानों के इस रुख को देखते हुए मुबंई वासियों ने किसानों के लिए पानी, नाश्ते, खाने और यहां तक कि चप्पलों आदि का भी इंतजाम किया। किसानों की जो मांगे हैं उनमें प्रमुख हैं:
- संपूर्ण कर्जमाफी
- कृषि उत्पाद को दोगुना भाव मिले
- वन अधिकार कानून पर अमल हो
- जिस जमीन पर आदिवासी खेती कर रहे हैं, उसे आदिवासियों के नाम पर किया जाए
- नदी जोड़ो परियोजना से सिंचाई के लिए पानी मिले
- बिजली के बिल में छूट मिले
किसानों के इस अनुशासन और संयम को देखते हुए सरकार ने किसानों के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आनन-फानन में छह सदस्यीय मंत्रिमंडलीय समिति गठित की थी। किसानों के नेता अजीत नवाले ने बताया था कि उनकी प्रमुख मांगों में जून 2017 में घोषित हुए किसान कर्ज माफी को लागू करना है, जिससे किसान पूरी तरह से कर्जमुक्त हो सकें।
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Published: 13 Mar 2018, 1:00 AM