किसान आंदोलनः सरकार ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल रोकने का दिया प्रस्ताव, 22 जनवरी की बैठक में किसान देंगे जवाब
सरकार से मिले प्रस्ताव पर किसान नेताओं ने कहा कि वे सभी किसान संगठनों के साथ 21 जनवरी को सरकार के इस प्रस्ताव पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे और 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में संपन्न होने वाली बैठक में सरकार को अपने फैसले से अवगत कराएंगे।
विवादित कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध को दूर करने की दिशा में दो कदम बढ़ाते हुए सरकार ने आज किसानों के साथ बैठक में विवादित कानूनों के अमल पर डेढ़ साल के लिए रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है। किसान प्रतिनिधियों के साथ 10वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि किसान यूनियनों को नए कानून के अमल पर एक या डेढ़ साल तक रोक लगाने और इस बीच सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाकर मसले का समाधान करने का प्रस्ताव दिया है।
आज की बैठक में सरकार से मिले प्रस्ताव पर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे सभी किसान संगठनों के साथ 21 जनवरी को सरकार के इस प्रस्ताव पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे और 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में संपन्न होने वाली बैठक में सरकार को अपने फैसले से अवगत कराएंगे। किसानों ने कहा कि आज की वार्ता सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई।
इससे पहले किसान प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में कृषि मंत्री तोमर के अलावा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री तोमर ने बैठक के आरंभ में सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी के 354वें प्रकाश पर्व पर सभी को बधाई दी। उन्होंने किसान संगठनों को आंदोलन के दौरान अनुशासन बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया और आंदोलन समाप्त करने के लिए पुन आग्रह किया।
बैठक के बाद सरकार द्वारा कहा गया कि अब तक कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों और एमएसपी के सारे आयामों पर बिन्दुवार सकारात्मक चर्चा नहीं हुई है। सरकार ने यह भी कहा कि हमें किसान आंदोलन को संवेदनशीलता से देखना चाहिए और किसानों तथा देशहित में समग्रता की दृष्टि से उसे समाप्त करने के लिए ठोस प्रयास करना चाहिए।
बैठक में तोमर ने कहा, "यदि किसान संगठनों को इन कानूनों पर एतराज है या आप कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो हम उन बिंदुओं पर आपसे चर्चा करने के लिए सदैव तैयार हैं। कृषि मंत्री ने पुनः आग्रह करते हुए कहा कि कानूनों को वापस लेने के अलावा इसके प्रावधानों पर बिन्दुवार चर्चा करके समाधान किया जा सकता है। पिछली बैठकों में अन्य विकल्पों पर चर्चा न होने की वजह से कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पाया था, हम चर्चा को सार्थक बनाने का आग्रह करते हैं। शुरू से ही सरकार विकल्पों के माध्यम से किसानों के साथ चर्चा करने के लिए खुले मन से प्रयास कर रही है। सरकार कृषि क्षेत्र को उन्नत और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।"
किसानों की जमीन हड़पी जाने संबंधी भ्रांति दूर करते हुए तोमर ने साफ तौर पर कहा कि, "इन कानूनों के रहते कोई भी व्यक्ति देश में किसानों की जमीन हड़पने की ताकत नहीं रखता। हम खेती को आगे बढ़ाने और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये कानून किसानों के जीवन में क्रान्तिकारी बदलाव लाएंगे, जिससे किसानों की दशा-दिशा बदलेगी और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।"
उन्होंने कहा कि श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर, कड़कड़ाती सर्दी में चल रहे किसान आन्दोलन की समाप्ति को दृष्टिगत रखते हुए, सरकार की तरफ से यह प्रस्ताव दिया गया कि कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित किया जा सकता है। इस दौरान किसान संगठन और सरकार के प्रतिनिधि किसान आन्दोलन के मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श करके उचित समाधान पर पहुंच सकते हैं।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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Published: 20 Jan 2021, 11:45 PM