किसानों के बीच बातचीत के न्योते पर मंथन, पूछा- आंदोलन में 500 संगठन, तो सिर्फ 32 किसान संगठनों को क्यों बुलाया गया
किसानों ने सरकार के बातचीत के न्योते पर मंथन जारी है। किसानों ने कहा है कि इस आंदोलन में 500 किसान संगठन शामिल हैं लेकिन सरकार ने सिर्फ 32 किसानों संगठनों को ही बातचीत के लिए बुलाया। ऐसे में बात करने का कोई अर्थ नहीं है। वहीं दूसरे किसान नेताओं ने कहा कि सबसे बात करके फैसला लिया जाएगा।
सरकार से बातचीत को लेकर किसान संगठनों में मंथन जारी है। सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए आज दोपहर 3 बजे विज्ञान भवन बुलाया है, जिसमें 32 किसान संगठनों को न्योता दिया गया है। सरकारी न्योता मिलने के बाद किसानों के बीच मंत्रणा चल रही है। इस बीच पंजाब किसान संघर्ष कमेटी के महासचिव सुखविंदर सभ्रान ने कहा कि देश में करीब 500 किसान संगठन आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सरकार ने 32 संगठनों को ही बातचीत के लिए बुलाया है। ऐसे में जब तक सभी को नहीं बुलाया जाएगा, हम नहीं जाएंगे
लेकिन भारतीय किसान यूनियन ने कहा है कि सभी संगठनों से बात करने के बाद ही सरकार के निमंत्रण पर सोचेंगे। किसान नेता कृपा सिंह ने बताया कि थोड़ी ही देर में किसान संगठनों के नेताओं की एक बैठक होने जा रही है जिसमें सरकार से बातचीत के लिए जाने को लेकर फैसला लिया जाएगा। बातचीत के मुद्दों पर कृपा सिंह ने कहा किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं और बातचीत के लिए सबसे अहम मसला यही है। इसके अलावा किसान नेता पराली और बिजली बिल से संबधित अपनी मांगों पर भी चर्चा करना चाहते हैं।
इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रदर्शनकारी किसानों को आंदोलन का रास्ता छोड़कर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए चर्चा करने की अपील की। कृषि सचिव ने सोमवार को किसानों को एक पत्र भेजकर केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत के लिए एक दिसंबर को आमंत्रित किया है। पत्र में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को केंद्रीय मंत्रियों से वार्ता के लिए मंगलवार को दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन बुलाया गया है।
इससे पहले भी उनके साथ विज्ञान भवन में ही वार्ता हुई थी, जिसमें तोमर के साथ-साथ रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा, "हमने पिछली बार यह तय किया था कि वार्ता का दौर आगे भी जारी रहेगा और हमने तीन दिसंबर को किसान प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन किसान आंदोलन कर रहे हैं और सर्दी का मौसम है, साथ ही कोविड का भी संकट है, इसलिए यह फैसला लिया गया है कि वार्ता जल्द शुरू की जाए।"
ध्यान रहे कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन चल रहा है। इससे पहले 13 नवंबर को भी केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में ही वार्ता हुई थी। हालांकि वह बैठक बेनतीजा रही लेकिन दोनों पक्षों ने किसानों की समस्याओं पर आगे भी चर्चा जारी रखने पर सहमति जताई थी।
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