सब जान चुके हैं राफेल विमान की कीमत, तब भी मोदी सरकार इसे बनाए हुए है ‘राष्ट्रीय रहस्य’: राहुल गांधी
2016 में सरकार द्वारा फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट से 36 राफेल विमान खरीदने का जो सौदा किया गया, उसमें प्रत्येक विमान की कीमत 2012 में किए गए सौदे के दौरान पेशकश की गई प्रत्येक विमान की कीमत से 40 फीसदी अधिक है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना हमला जारी रखते हुए शनिवार को फिर तंज कसा। राहुल ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि राफेल विमान की कीमत एक 'राष्ट्रीय रहस्य' है, क्योंकि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में इसका खुलासा नहीं करना चाहती है। राहुल गांधी ने व्यंग्यात्मक लहजे में ट्वीट किया, "प्रधानमंत्री को पता है। अनिल अंबानी को पता है। ओलांद और मैक्रों को पता है। अब हरेक पत्रकार को पता चल गया है। रक्षा मंत्रालय के बाबुओं को भी पता है। दसॉल्ट में सबको मालूम है। दसॉल्ट के सभी प्रतिस्पर्धियों को मालूम है। लेकिन राफेल की कीमत एक राष्ट्रीय रहस्य है, जिसका खुलासा सर्वोच्च न्यायालय में नहीं किया जा सकता है।"
उनका यह बयान मीडिया की उस रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें दावा किया गया है कि 2016 में सरकार द्वारा फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट से 36 राफेल विमान खरीदने का जो सौदा किया गया, उसमें प्रत्येक विमान की कीमत 2012 में दसॉल्ट द्वारा 126 मध्यम बहु-भूमिका लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) के सौदे के दौरान पेशकश की गई प्रत्येक विमान की कीमत से 40 फीसदी अधिक है।
दसॉल्ट के साथ 2012 के बाद के सौदे में सीधे तौर पर बातचीत में शामिल रक्षा मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारी स्तर के स्रोतों का हवाला देते हुए बिजनेस स्टैंर्ड में प्रकाशित अजय शुक्ला की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दसॉल्ट को 126 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 19.5 अरब यूरो की निविदा मिली थी। इस तरह एक विमान की कीमत 15.5 करोड़ यूरो होती है। रपट के अनुसार, 36 राफेल विमान का सौदा 7.85 अरब यूरो में हुआ है। इस प्रकार, एक विमान की कीमत 21.7 करोड़ यूरो होती है, जोकि 2012 की कीमत से 40 फीसदी अधिक है।
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को राफेल जेट सौदे के बारे में सरकार को कुछ और जानकारी देने को कहा है, जिसमें विमान की कीमत और उससे होने वाले लाभ का विवरण मांगा गया है।
अदालत ने सरकार को कीमत की जानकारी साझा करने में होने वाली कठिनाई को लेकर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इससे पहले अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया था कि कीमत का खुलासा करना संभव नहीं होगा।
हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया है कि सरकार जिस विवरण को इस समय रणनीतिक गोपनीयता मानती है, उसे याचिकाकर्ताओं के वकील से साझा किए बगैर एक बंद लिफाफे में अदालत को सौंपा जाए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ-साथ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने 4 अक्टूबर को राफेल सौदे में एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने की मांग की थी।
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