अनिल अंबानी को देश से बाहर जाने से रोका जाए, नहीं चुकाए 550 करोड़ रुपए: एरिक्सन की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
अनिल अंबानीऔर रिलायंस टेलीकॉम के दो बड़े अफसरों के देश से बाहर जाने पर रोक लगाई जाए। इनलोगों ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद 550 करोड़ रुपए का भुगतनानहीं किया है। स्वीडन की टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायरकी है।
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन के खिलाफ 550 करोड़ रुपए का बकाया न चुकाने पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका स्वीडन की कंपनी एरिक्सन ने दायर की है। हालांकि रिलायंस कम्यूनिकेशन बकाया न चुकाए जाने के लिए केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग (डॉट) को दोषी ठहराया है।
एरिक्सन ने सोमवार को दायर याचिका में रिलायंस टेलीकॉम पर आरोप लगाया गया है कि उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सितंबर 2018 खत्म होने से पहले स्वीडन की एरिक्सन टेलीकॉम को 550 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया। एरिक्सन टेलीकॉम इक्विपमेंट बनाती है। याचिका में रिलांय रिलायंस कम्यूनिकेशन के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया गया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन को सितंबर 2018 के आखिर तक एरिक्सन के बकाए में से 550 करोड़ रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद रिलायंस की दिवालिया प्रक्रिया शुरु करने पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन रिलायंस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मीयाद खत्म होने के बाद भी यह भुगतान नहीं किया। इसके बाद एरिक्सन ने कोर्ट की अवमानना को मुद्दा बनाकर फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
इकॉनोमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, रिलायंस कम्यूनिकेशन ने एरिक्सन से यह मीयाद 60 दिन बढ़ाने की अपील की थी, लेकिन एरिक्सन ने इससे इंकार कर दिया। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक रिलायंस कम्यूनिकेशन ने इसके लिए दूरसंचार विभाग यानी डॉट को जिम्मेदार ठहराते हुए उसके रास्ते में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया है। रिलायंस कम्यूनिकेशन ने कहा कि डॉट के कारण वह रिलायंस जियो को स्पेक्ट्रम नहीं बेच पा रही और न ही एरिक्सन का 550 करोड़ का भुगतान कर पा रही है। स्टॉक एक्सचेंज को भेजे एक नोटिस में रिलायंस कम्यूनिकेशन ने कहा कि, “एरिक्सन इंडिया लिमिटेड उसका एक गैर सुरक्षित लेनदार है और उसने 1 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट में 550 करोड़ के भुगतान निपटारे के लिए याचिका दायर की है। एरिक्सन की यह याचिका गैरजरूरी है।”
माना जा रहा है कि रिलायंस कम्यूनिकेशन द्वारा बकाए का भुगतान नहीं कर पाने के कारण कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में डाला जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो रिलायंस कम्यूनिकेशन और जियो के बीच हुई स्पेक्ट्रम की बिक्री का सौदा खतरे में पड़ सकता है, जिससे करीब 46000 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबी रिलायंस को बड़ा झटका लगेगा। दिवालिया प्रक्रिया शुरु होने के बाद रिलायंस कम्यूनिकेशन अपनी किसी भी संपत्ति को बेच नहीं सकेगी। इस मुद्दे पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल 3 अक्टूबर यानी गुरुवार को सुनवाई करेगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर 4 अक्टूबर को सुनवाई करेगा
खबर के अनुसार, साल 2014 में एरिक्सन और रिलायंस कम्यूनिकेशन के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत एरिक्सन को 7 सालों तक रिलायंस कम्यूनिकेशन के पूरे देश में फैले टेलीकॉम नेटवर्क को मैनेज और ऑपरेट करना था। करीब 1000 करोड़ की इस डील का रिलायंस द्वारा अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। इसके बाद कई महीनों की कानूनी प्रक्रिया के बाद रिलायंस कम्यूनिकेशन ने दिवालिया प्रक्रिया से बचने के लिए सितंबर अंत तक बकाए की आधा रकम यानि कि 550 करोड़ रुपए का भुगतान करने का वादा किया था।
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