जम्मू-कश्मीर में चुनाव की आहट! चुनाव आयुक्त कल दौरे पर पहुंचेंगे, अगले दिन राजनीतिक दलों से होगी मुलाकात

साल 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद यह विधानसभा का पहला चुनाव होगा। परिसीमन के बाद, इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है।

चुनाव आयुक्त कल जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचेंगे, अगले दिन राजनीतिक दलों से होगी मुलाकात
चुनाव आयुक्त कल जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचेंगे, अगले दिन राजनीतिक दलों से होगी मुलाकात
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नवजीवन डेस्क

जम्मू-कश्मीर में चुनाव की आहट होने लगी है। चुनाव आयोग की टीम गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचेगी। इस दौरान चुनाव आयुक्त राज्य के निर्वाचन, प्रशासन और पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ ही राजनीतिक दलों के नेताओं से भी मुलाकात करेगें। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर 8 अगस्त को मुलाकात के लिए आमंत्रित किया है।

चुनाव आयोग का यह तीन दिवसीय दौरा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया की तैयारियों को लेकर है। अपने इस दौरे के दौरान चुनाव आयोग की टीम सभी जिलों के चुनाव अधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ तैयारियों की समीक्षा करेगी। इस बैठक में चुनाव आयोग अधिकारियों को चुनाव के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दे सकता है।


घाटी में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और 2019 में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद विधानसभा का पहला चुनाव होगा। परिसीमन के बाद, इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है। 10 अगस्त को चुनाव आयोग की एजेंसियों के साथ समीक्षा बैठक है। बैठक में बनी सहमति की जानकारी मीडिया जरिए दी जाएगी।

इससे पहले रविवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो कर रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने संसद के पटल पर बड़ी जिम्मेदारी से चुनाव की बात कही है। परिसीमन का होना जरूरी था और हो गया। सभी काम पूरे हो चुके हैं। हमें उम्मीद है कि सितंबर या अक्टूबर में यहां लोकतांत्रिक सरकार बनेगी। घाटी में हो रही आतंकी घटनाओं को लेकर उन्होंने कहा था कि दुश्मन कभी-कभी अपने इरादों में कामयाब हो जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम अपने जवानों पर सवाल उठाएं।

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