चुनाव आयोग की टीम आज जम्मू-कश्मीर दौरे पर, विधानसभा चुनाव की तैयारियों की करेगी समीक्षा
भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की एक उच्चस्तरीय टीम केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पहुंच रही है।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार की अध्यक्षता में भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की एक उच्चस्तरीय टीम केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पहुंच रही है।
इस दौरान चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू भी मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ रहेंगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, ईसीआई की टीम सुबह 10 बजे श्रीनगर पहुंचेगी। इसके बाद सुबह 11:15 बजे टीम बीजेपी, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (सीपीआई-एम) और आम आदमी पार्टी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगी।
ईसीआई सदस्य पैंथर्स पार्टी के प्रतिनिधियों से मुलाकात नहीं करेंगे। आयोग ने 20 मार्च को इसका नाम और चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया था।
विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ बैठक करने के बाद आयोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी 20 जिलों के उपायुक्तों (डीसी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) के साथ संयुक्त बैठक करेगा। बैठक दोपहर 2 बजे शुरू होगी।
शाम 7 बजे चुनाव आयोग की टीम जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), राज्य चुनाव नोडल अधिकारी और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के समन्वयक से मुलाकात कर चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेगी।
रात गुजारने के बाद टीम के सदस्य शुक्रवार सुबह 9 बजे मुख्य सचिव अटल डुल्लू और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरआर स्वैन के साथ बैठक करेंगे। वे शुक्रवार को सुबह 11:40 बजे जम्मू के लिए रवाना होंगे।
शुक्रवार दोपहर 1 बजे ईसीआई की टीम जम्मू में विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों से मुलाकात करेगी और नई दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले दोपहर करीब 2:30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेगी।
जम्मू-कश्मीर की आखिरी निर्वाचित सरकार जून 2018 में भंग कर दी गई थी, जब बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।
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