चुनाव आयोग ने अपनी रूलबुक से निष्पक्षता का पेज फाड़कर फेंका, प्रियंका ने बीजेपी नेता का बैन घटाने पर बोला हमला
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी कहा कि आयोग के पास अपने ही आदेश को बरकरार रखने की भी हिम्मत तक नहीं है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग मोदी सरकार के दबाव में काम कर रहा है। इस पाप के लिए इतिहास न तो चुनाव आयोग और न ही भाजपा को क्षमा करेगा।
चुनाव आयोग द्वारा शनिवार को एक ताजा आदेश में असम के बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा के असम चुनाव में प्रचार करने पर लगे 48 घंटे के प्रतिबंध को घटाकर 24 घंटा करने पर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर हमला बोला है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग के इस ताजा कदम से ऐसा लगता है कि आयोग ने अपनी रूलबुक से निष्पक्षता वाला पन्ना फाड़कर फेंक दिया है।
चुनाव आयोग के फैसले के बाद प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, “चुनाव आयोग से हम बीजेपी नेता की गाड़ी में ईवीएम मिलने के मामले में कड़ी कार्रवाई का इंतजार कर ही रहे थे कि आयोग के एक और कदम से ऐसा लगता है कि उसने अपनी रुलबुक से निष्पक्षता वाला पेज फाड़के फेंक दिया है। आखिर किस दबाव में धमकी देने वाले बीजेपी नेता के बैन को 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे किया गया?”
कांग्रेस ने भी इस फैसले पर आयोग की निंदा करते हुए इसे संसदीय लोकतंत्र में एक काला दिन करार दिया। कांग्रेस ने कहा कि आयोग के पास खुद के आदेश को बरकरार रखने की हिम्मत नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा, "संसदीय लोकतंत्र में एक काला दिन। आयोग के पास अपने ही आदेश को बरकरार रखने की भी हिम्मत तक नहीं है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग मोदी सरकार के दबाव में काम कर रहा है। इस पाप के लिए इतिहास न तो चुनाव आयोग और न ही भाजपा को क्षमा करेगा।"
सुरजेवाला ने आगे कहा, "क्या निर्वाचन आयोग बताएगा कि क्या यह उलट-फेर स्वत:संज्ञान लेते हुए किया गया है या भाजपा/हिमंत बिस्व सरमा की ताजा याचिका पर फैसला लिया गया? यदि हां, तो चुनाव आयोग ने शिकायतकर्ता- बीपीएफ और कांग्रेस को क्यों नहीं बुलाया? अगर नहीं, तो यह अफसोसनाक हृदय-परिवर्तन क्यों?
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी एक ट्वीट में आयोग की खिंचाई करते हुए कहा, "हिमंत बिस्व सरमा पर प्रतिबंध में ढील देकर चुनाव आयोग ने खुद सबूत दे दिया है कि वे भाजपा के लिए चुनाव तय करने में शामिल हैं। चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि अचानक हृदय-परिवर्तन क्यों? भाजपा में वह कौन है, जिसने उन्हें धमकाया है? चुनाव आयोग बेशर्मी से लोकतंत्र का अपहरण कर भाजपा का सह-षड़यंत्रकारी बन रहा है।"
बता दें कि चुनाव आयोग ने 24 घंटे में ही अपना फैसला पलटते हुए आज बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा के उस अनुरोध पर प्रतिबंध की अवधि घटा दी जिसमें उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में 6 अप्रैल को वोटिंग की दलील देते हुए प्रतिबंध हटाने की अपील की थी। सरमा ने कहा कि "भविष्य में एमसीसी (आदर्श आचार संहिता) का पालन करने का आश्वासन स्वीकार करें और प्रचार अभियान पर प्रतिबंध की अवधि 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे कर दी जाए।" इसके बाद आयोग ने सरमा पर प्रतिबंध को घटाकर 24 घंटे कर दिया।
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Published: 03 Apr 2021, 10:36 PM