मीडिया के चुभने वाले सवालों से बचने वाले पीएम मोदी ने अपनी ‘पाठशाला’ में छात्र को दी पत्रकार बनने की सलाह

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम के तहत छात्र-छत्राओं से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने एक छात्र को पत्रकार बनने की सलाह दी।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छात्र-छात्राओं से मुखातिब हुए। अपनी इस ‘पाठशाला’ में पीएम मोदी ने बड़ी ही बेबाकी से परीक्षाओं के दौरान तनाव मुक्त रहने के लिए छात्र-छात्राओं को तरीके बताए। सवाल-जवाब के सिलसिले के बीच एक छात्र ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की ‘परीक्षा’ की तैयारी के बारे में पूछ लिया। मीडिया और पत्रकारों को अपने जरूरत के हिसाब से अच्छा और बुरा कहने वाले पीएम मोदी ने 11वीं कक्षा के छात्र के सवाल का जवाब मुस्कुराते हुए दिया। छात्र के सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी का कथित ‘पत्रकार प्रेम’ छलक उठा और उन्होंने छात्र से कहा, “अगर मैं आपका गुरु होता तो आप से पत्रकार बनने के लिए कहता, क्योंकि ऐसे घुमाकर सवाल एक पत्रकार ही पूछ सकता है।” कहा जाता है कि पीएम मोदी को मीडिया के चुभते और घुमाकर पूछे जाने वाले सवाल पसंद नहीं है और छात्र के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब में भी यह साफ देखने को मिला।

प्रधानमंत्री मोदी की ‘पाठशाला’ में 11वीं क्लास के छात्र की ओर से पूछा गया सवाल सुर्खियों में है। दरअसल छात्र ने पीएम मोदी से पूछा था कि अगले साल यानी 2019 में लोकसभा चुनाव है, साथ ही बोर्ड की परीक्षाएं भी हैं, ऐसे में चुनाव को लेकर आपकी कैसी तैयारी है? इसी सवाल के जबाव में पीएम मोदी ने छात्र को पत्रकार बनने की सलाह दे डाली।

मीडिया और पत्रकारों से पीएम मोदी कितना प्रेम करते हैं, यह जग जाहिर है। यह उन्हीं की सरकार है, जिसके करीब 4 साल के कार्यकाल में मीडिया के दमन का आरोप लगा। जिन मीडिया समूहों ने सरकार से तीखे सवाल पूछे, उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा और जो सत्ता के साथ हैं, वे चैन से जी रहे हैं।

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प्रख्यात पत्रकार एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने बीते 25 जनवरी को भारत के मौजूदा राजनीतिक हालात को ‘विकेंद्रीकृत आपातकाल’ बताया था। शौरी ने कहा था कि आपातकाल के दौरान भी देश में ऐसी बेबसी और डर का माहौल नहीं था। उन्होंने कुछ मीडिया संस्थानों को व्यवस्था का हिस्सा और शासकों का हथियार बन जाने तक का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि पहले मीडिया का जुनून सार्वजनिक हित के मुद्दे होते थे और आज उसका जुनून पैसा हो गया है।

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Published: 16 Feb 2018, 7:34 PM