डॉक्टर कफील के भाई का दर्द: ‘उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हमारा जीना मुहाल कर दिया’

आठ महीने के बाद जेल से जमानत पर रिहा होने वाले डॉक्टर कफील जल्द हीबी आर डी मेडिकल कॉलेज से निलंबित किए जाने के खिलाफ अर्जी दायर करेंगे। उनका मकसदफिर से लोगों की सेवा करना है।

फोटो : सोशल मीडिया
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तनवीर अहमद

आठ महीने के बाद जेल से जमानत पर रिहा होने वाले डॉक्टर कफील जल्द ही बी आर डी मेडिकल कॉलेज से निलंबित किए जाने के खिलाफ अर्जी दायर करेंगे। उनका मकसद फिर से लोगों की सेवा करना है।

डॉक्टर कफील अहमद खान करीब 8 महीने तक जेल की कैद झेलने के बाद 28 अप्रैल की रात घर पहुंचे और जिस तरह वह अपनी मां से गले लगकर फूट-फूट कर रोए, उसे देखने वालों के कलेजे फट पड़े। उनका यह रूदन इस बात की गवाही दे रहा था कि उन्हें जेल में कितनी यातनाओं से दो-चार होना पड़ा, वह उस गुनाह के लिए जो उन्होंने किया ही नहीं।

डॉक्टर कफील की बेबसी और तकलीफों की बातें मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंच रही थीं, लेकिन इस दरम्यान उनके घर वालों ने भी किसी जेल की सजा से कम बुरी जिंदगी नहीं गुजारी। लेकिन इस बारे में लोगों को ज्यादा मालूम नहीं है।

लेकिन डॉक्टर कफील की जेल से रिहाई को लेकर गोरखपुर के लोगों में जो उत्साह नजर आया, उससे उनकी लोकप्रियता जरूर साबित होती है। नीचे दी गई तस्वीरों से स्पष्ट है कि किस तरह लोग उनके स्वागत के लिए इंतजार कर रहे थे।

डॉक्टर कफील के बड़े भाई अदील अहमद खान ने कौमी आवाज से बातचीत में कहा कि, “एक तरफ पुलिस मेरे बेकसूर भाई पर अत्याचार कर रही थी, और दूसरी तरफ योगी सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए थे, कि मेरे बिजनेस पर बुरी तरह असर पड़ा। इस सबके चलते परिवार के आर्थिक हालात बदतर हो गए हैं।”

डॉक्टर कफील के भाई का दर्द: ‘उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हमारा जीना मुहाल कर दिया’

अदील अहमद खान ने इन 8 महीनों में उनके साथ गुजरे हालात बताते हुए कहा कि, इस दौरान एक एक क्षण घर के हर शख्स के लिए मुश्किल भरा था। उनका कहना है कि डॉक्टर कफील को तो जेल में डाल ही दिया गया था, परिवार के लोगों को भी परेशान किया गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान नतो मुस्लिम नेता उनकी मदद को आगे आए और न ही कोई सामाजिक कार्यकर्ता उनके लिए आवाज उठा रहा था। रिश्तेदार और दोस्तों ने किनार कर लिया था। उन्होंने कहा कि, “ऐसा महसूस होता था मानो हमें अछूत बना दिया गया हो।”

अदील अहमद खान ने बताया कि, “मेरे भाई के साथ 8 महीने तक जानवरों जैसा व्यवहार किया गया। बीमार होने पर भी उसकी इलाज नहीं कराया गया। उसे माइनर हार्ट अटैक हुआ था, लेकिन जेल प्रशासन और पुलिस नहीं पसीजा। कोर्ट के दखल के बाद ही उन्हें अस्पताल ले जाया गया।” उनका कहना है कि डॉक्टर कफील को जमानत मिलने में हुई देरी से पूरे परिवार को परेशान कर रखा था, सबसे ज्यादा चिंता उनकी सेहत को लेकर थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने तमाम लोगों से संपर्क कर मदद मांगी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अदील बताते हैं कि डॉक्टर कफील पर जो आरोप लगाए गए हैं, वे झूठे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि, “ये सारे आरोप योगी सरकार द्वारा उन्हें परेशान करने के अलावा कुछ नहीं है।” अदील ने बताया कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज से निलंबन के खिलाफ डॉक्टर कफील अपील करेंगे, ताकि वह एक बार फिर से जनसेवा कर सकें।

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