दिल्ली की दमघोंटू हवा में सांस लेना मुश्किल, WHO की सीमा से 100 गुना अधिक वायु प्रदूषण
दिल्ली में स्कूल बंद कर दिए गए हैं और गैर-आवश्यक निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वस्थ मानी जाने वाली सीमा से लगभग 100 गुना तक पहुंच गया है।
दिल्ली-एनसीआर में ठंड के मौसम में करीब हर साल वायु प्रदूषण अपने काफी बढ़त जाता है। इस साल नवंबर के शुरुआत से ही वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच गया है। शुक्रवार को तो वायु प्रदूषण लगभग अधिकतम स्तर पर पहुंच गया। राष्ट्रीय राजधानी जहरीली धुंध की मोटी परत से ढकी हुई है, जो वार्षिक स्मॉग सीजन की शुरुआत का प्रतीक है।
दिल्ली में स्कूल बंद कर दिए गए हैं और गैर-आवश्यक निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वस्थ मानी जाने वाली सीमा से लगभग 100 गुना तक पहुंच गया है।
पिछले हफ्ते दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब हो गई थी, जिसका कारण पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं में नाटकीय वृद्धि माना जा रहा है। हवा के साथ ये जहरीला धुआं दिल्ली तक पहुंचा और स्मॉग में बदल गया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार देर रात घोषणा की कि राजधानी भर में सभी प्राथमिक विद्यालय कम से कम दो दिनों के लिए बंद रहेंगे।
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी के 33 मिलियन रहवासियों में से कई लोगों ने आंखों में जलन और गले में खुजली की शिकायत की। हवा का रंग गहरा भूरा हो गया है।
शहर के डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने राजधानी में लोगों पर प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव को देखना शुरू कर दिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, अक्टूबर में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 2020 के बाद से सबसे खराब था। दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर माना जाता है।
किसानों द्वारा पराली जलाने से निकलने वाला धुआं, वाहनों से निकलने वाला धुंआ और फैक्ट्री से निकलने वाला धुआं हर सर्दी के मौसम में दिल्ली को दमघोंटू धुंध में ढक देता है।
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा संकलित इस वर्ष के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार, दिल्ली के लोग जिस खराब हवा में सांस लेते हैं, उसके कारण उनका जीवन 11.9 वर्ष कम हो सकता है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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