क्या पाकिस्तान को पहले से पता था, भारत हटाने वाला है कश्मीर से धारा 370?

पाकिस्तान के नेता भारत के साथ युद्ध नहीं चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान के आम अवाम का मानना है कि कश्मीर के बारे में भारत के फैसले की जानकारी पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ ही अन्य विश्व नेताओं को भी पहले से थी।

फोटो : सोशल मीडिया
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भारत ने जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को खत्म कर उसका विभाजन किया है, इसकी या तो पाकिस्तान को हवा तक नहीं थी, या फिर वह इस मुद्दे पर हल्की-फुल्की प्रतिक्रिया देकर पाकिस्तानी अवाम को गुमराह कर रहा है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में भारत ने जो कुछ किया उसे लेकर पाकिस्तान में एक तरह की खामोशी सी है। हालांकि दिखावे के लिए पाकिस्तानी संसद का विशेष संयुक्त सत्र बुलाया गया, लेकिन इसमें कोई फैसला नहीं हुआ और बिना किसी प्रस्ताव के बैठक खत्म हो गई।

इस सत्र में पाकिस्तानी के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो कुछ कहा, वह ध्यान देने लायक हैं। उन्होंने विपक्ष की आलोचना के जवाब में कहा, “मुझे बताओ, मैं क्या करूं। क्या भारत पर हमला कर दूं?” इसके बाद विपक्ष के नेता शाहबाज़ शरीफ ने कहा, “नहीं, मैं भारत के साथ युद्ध शुरु करने की बात नहीं कह रहा हूं।” इसके बाद इमरान खान ने विपक्ष से इस मामले में प्रस्ताव देने की बात कही। इस तरह देखें तो कश्मीर में भारत के फैसले को लेकर पाकिस्तानी संसद मोटे तौर पर एकमत थी और संदेश सीधे-सीधे यह निकला कि भारत के साथ युद्ध नहीं करना है।

पाकिस्तान सेना भी इन हालात में कूटनीतिक तरीका ही अपनाया। वैसे फॉर्मेशन कमांडर्स की आपात बैठक बुलाई गई थी, लेकिन इसके बाद जो प्रेस रिलीज़ आया उसमें कहा गया कि इस मामले में कोई कार्रवाई न करने का फैसला हुआ। रिलीज मे बताया गया कि, “भारत द्वारा कश्मीर के बारे में किए गए फैसले को पाकिस्तान सरकार द्वारा खारिज करने का फॉर्मेशन कमांडर समर्थन करता है। पाकिस्तान कभी भी जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाकर उसे भारतीय संघ में शामिल करने को मान्यता नहीं देता है। पाकिस्तान सेना कश्मीरियों के इंसाफ की लड़ाई में उनके साथ है। इस बारे में हम किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।


पाकिस्तान के कुछ विश्लेषकों की नजर में यह प्रेस रिलीज़ महज एक धोखा है। इसमें न तो किसी कार्रवाई करने का जिक्र है, न किसी रणनीति और न ही इस स्थिति में आगे क्या करना है, इसका कोई उल्लेख है। यह सिर्फ लोगों को गुमराह करने वाला बयान है।

लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय दो किस्म की रणनीति पर काम करता दिख रहा है, लेकिन उसे इसकी कामयाबी का भरोसा नहीं है। पाक विदेश विभाग के सूत्रों के मुताबिक शिमला समझौते में साफ लिखा है कि जब तक कश्मीर का मुद्दा नहीं सुलझ जाता, दोनों ही देश विवादित क्षेत्र की स्थिति में बदलाव नहीं करेंगे। ऐसे में भारत ने जिस तरह कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल किया है वह भारत-पाकिस्तान के बीच हुए शिमला समझौते का उल्लंघन है।

लेकिन इस उल्लंघन की शिकायत किस अंतरराष्ट्रीय फोरम में की जाए. इसे लेकर विदेश विभाग असमंजस में है, क्योंकि इस समझौते में कोई भी अंतरराष्ट्रीय फोरम गारंटर के रूप में शामिल है ही नहीं। विदेश विभाग के सामने एक विकल्प अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में जाना है ताकि भारत के खिलाफ फैसला ला पाए। दूसरा विकल्प है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाया जाए, क्योंकि 1948 के कश्मीर प्रस्ताव का मामला वहां पहले से है। लेकिन इन दोनों ही विकल्प पर एक राय नहीं बनी है। आशंका यह भी है कि ये दोनों ही विकल्प उलटे भी पड़ सकते हैं। ऐसा हुआ तो क्या होगा?

हालांकि पाकिस्तानी अवाम के बीच माहौल युद्ध की ललकार दे रहा है, लेकिन नेता कम से कम इस विकल्प के पक्ष में तो नहीं ही दिख रहे हैं।


इन सारी बातों के मद्देनज़र आम राय यह बन रही है कि इमरान खान को पहले से पता था कि भारत कश्मीर में क्या करने वाला है, इसीलिए उन्हें इससे कोई ताज्जुब नहीं हुआ। वहीं हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने मध्यस्थता की जो पेशकश की थी, उससे पहले संभवत: ट्रम्प ने इमरान खान को भारत द्वारा कश्मीर पर उठाए जाने वाले कदम के बारे में पहले से बता दिया था।

ध्यान रहे कि पाकिस्तान ने आतंकी हाफिज़ सईद को पहली बार गिरफ्तार कर जेल में डाला है। उसके संगठन जमात-उद-दावा पर पाबंदी लगा दी गई है। पाकिस्तान में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। न सिर्फ हाफिज सईद जेल में है, बल्कि उसके बहुत साथी भी जेल भेज दिए गए हैं।

इमरान खान और पाकिस्तान स्टैबलिशमेंट लोगों की भावनाओं को काबू में रखने की कोशिश भर कर रहे हैं। लेकिन इस सबके बीच ऐसे लोग भी हैं जो मानते हैं कि पाकिस्तान को कश्मीर पर भारत के कदम को स्वीकार कर लेना चाहिए और अपने कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के बारे में भी ऐसा ही फैसला करना चाहिए। इन लोगों की नजर में इस तरह दोनों देशों के बीच दशकों से चला आ रहा कश्मीर विवाद खत्म हो जाएगा।

पाकिस्तान के एक रक्षा विशेषज्ञ ने नाम बताने की शर्त पर कहा कि अगर पंजाब और बंगाल भारत और पाकिस्तान के बीच बंट सकते हैं तो कश्मीर क्यों नहीं। उन्होंने कहा, ”पाकिस्तान अपने हिस्से वाले कश्मीर को अपना घोषित कर दे और भारत अपने कश्मीर पर राज करे। पाकिस्तान के सारे प्रांतों में इस किस्म के बंटवारे हुए हैं। पंजाब और बंगाल इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। यहां तक कि सिंध भी कभी मुंबई का हिस्सा होता था, खैबर पख्तूनख्वा भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बंटा है। आधा बलूचिस्तान ईरान के साथ है। तो अगर कश्मीर भी भारत और पाकिस्तान के बीच बंट जाएगा तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा।”

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्लाह का 2017 का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कहते दिखाई दे रहे हैं कि, “जब वाजपेयी जी लाहौर गए थे, तो उन्होंने पाकिस्तान के सामने प्रस्ताव रखा था कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर को रख ले और भारत नियंत्रण रेखा के इधर वाला हिस्सा रख ले। लेकिन इस प्रस्ताव पर अमल नहीं हो सका।”

पाकिस्तान में लोगों को विश्वास है कि भारत की तरफ से इस किस्म की पेशकश कई साल से की जा रही है, लेकिन पाकिस्तान कभी इसे मानने को तैयार नहीं हुआ। लेकिन अब संभवत: नरेंद्र मोदी और इमरान खान के बीच ऐसी कोई सहमति बनती दिख रही है। इस मामले में अमेरिका और दूसरे विश्व नेताओं को भरोसे में लिया गया है। भारत ने पहला कदम उठा लिया है, और अब ऐसा ही कदम पीओके के बारे में पाकिस्तान को उठाना है। ऐसा करने पर पाकिस्तान कम से कम कुछ खोता हुआ तो नहीं दिखेगा।

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