आर्थिक मंदी की मार से हीरा कारोबार भी बेहाल, पीएम मोदी के गुजरात में गई हजारों लोगों की नौकरी
हीरे के कारोबार से अकेले गुजरात में 20 लाख लोग जुड़े हैं, जिसमें से करीब 8 लाख लोग हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग के काम में लगे हैं। आर्थिक मंदी से बुरे दौर से गुजर रहीं कई कंपनियां आजकल सिर्फ केवल एक पाली में काम करा रही हैं।
देश की अर्थव्यवस्था पर छाई मंदी का असर गुजरात की हीरा मंडी तक पहुंच गया है। पिछले कुछ महीनों के दौरान यहां के 40 फीसदी फैक्ट्रियों में काम ठप हो गया है। जिसकी वजह से इस कारोबार से जुड़े करीब 60 हजार लोगों की नौकरियां चली गई हैं। इसके पीछे साल 2016 में लागू नोटबंदी और फिर इसके बाद आई जीएसटी को माना जाता है।
गुजरात के सूरत को हीरा कारोबार का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है। कारोबारियों के मुताबिक नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद से ही हालात काफी मुश्किल हो गए थे। फिर उसके बाद जुलाई 2017 में जीएसटी और कुछ ही महीने बाद फरवरी 2018 में नीरव मोदी, मेहुल चौकसी के बैंक घोटालों ने इस कारोबार की कमर एक तरह से तोड़ दी। गुजरात के ही अमरेली और भावनगर में भी बड़े पैमाने पर हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग का काम होता है, लेकिन वहां भी कारोबार में सुस्ती है।
हीरा कारोबार में इस मंदी की एक और बड़ी वजह है कि बीते कुछ दिनों से पूरे विश्व में भारतीय हीरे की मांग कम होती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय हीरों की चीन में मांग 20 फीसदी कम हुई है। जबकि खाड़ी देशों, यूरोप और अमेरिका में भी मांग घटी है। पिछले साल के मुकाबले वर्तमान वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में देश के हीरा कारोबार में 15.11 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसके साथ ही जुलाई में कट पोलिश हीरे का निर्यात 18.15 फीसदी घट गया है।
आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई में केवल 18,633.10 करोड़ रुपये के हीरे का निर्यात हुआ, जो कि पिछले साल के मुकाबले 11.08 फीसदी कम है। पिछले साल इसी महीने 84,272.30 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। ऐसा तब है कि भारत दुनिया में रफ डायमंड की कटिंग और पॉलिशिंग का सबसे बड़ा केंद्र है। दुनिया के 15 में से 14 रफ डायमंड की पॉलिश यहीं होती है।
गौरतलब है कि हीरे के कारोबार से अकेले गुजरात में 20 लाख लोग जुड़े हैं, जिसमें से करीब 8 लाख लोग हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग के काम में लगे हैं। आर्थिक मंदी से बुरे दौर से गुजर रहीं कई कंपनियां आजकल सिर्फ केवल एक पाली में काम करा रही हैं। जबकि आमतौर पर इन कंपनियों में तीन पालियों में काम होता था। इस दौरान हीरे की कीमत में भी 6 से 10 फीसदी की कमी हुई है।
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