उत्तर प्रदेशः अपराध का ‘विकास’ चरम पर, रोज खुल रही सत्ता से साठगांठ की हिस्ट्रीशीट

हाल यह है कि मंत्री और बीजेपी के विधायकों पर बलात्कार के आरोप लगाने वाली लड़कियों को जेलहो रही है और मंत्री-विधायक को बेल। बीजेपी नेताओं की हत्या, बलात्कार से लेकर अपहरण के मामलों में संलिप्तता लगातार उजागर हो रही है और गुंडे ही पुलिस का एनकाउंटर कर रहे हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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के संतोष

योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर से सांसद का चुनाव लड़ते थे, तब वह कहते थे, ‘मच्छर और माफिया से निजात दिलाएंगे।’ तीन साल पहले उन्होंने जब यूपी के मुख्यमंत्री का पद संभाला, तो दावा किया था कि 2019 आते-आते यूपी में रामराज्य होगा- चहुंओर शांति होगी। लेकिन अभी हाल यह है कि मंत्री और बीजेपी के विधायकों पर बलात्कार के आरोप लगाने वाली लड़कियों को जेल मिल रही है और मंत्री-विधायक को बेल। बीजेपी नेताओं की हत्या, बलात्कार से लेकर अपहरण के मामलों में संलिप्तता लगातार उजागर हो रही है और गुंडे ही पुलिस का एनकाउंटर कर रहे हैं।

सच्चाई तो यही है कि यहां दिन-प्रतिदिन गुंडाराज का ‘विकास’ हो रहा है। खुद बीजेपी के ही कई मंत्री-विधायक ऑफ द रिकॉर्ड कह दे रहे हैं कि ऐसी बेबसी कभी नहीं दिखी। आखिर, कहें क्यों नहीं! योगी का गृह जनपद गोरखपुर हो या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी, कहीं भी क्राइम पर कोई कंट्रोल नहीं है। गोरखपुर की जेल से अपराधी सुपारी दे रहे हैं, रंगदारी वसूल रहे हैं।

ये सूचनाएं भी सार्वजनिक हैं कि पुलिस वाले ही अपराधियों को फिरौती की रकम दिला रहे हैं। रिटायर्ड पुलिस अधिकारी कमल यादव कहते हैं कि ‘सभी जिलों में टॉप टेन अपराधियों की सूची बनाई गई है। लेकिन इन पर कार्रवाई उनकी जाति और धर्म देखकर हो रही है। ऐसे हालात में अपराध पर नियंत्रण की बात करना भी बेमानी है।’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने गृह जनपद में क्राइम और कोरोना को लेकर लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। लेकिन दोनों बेकाबू हैं। बीते पहली अगस्त को ब्रह्मभोज में निकले सरदार नगर की ब्लॉक प्रमुख शशिकला यादव के भाई दिनेश यादव की दबंगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी और लाश को पास ही खेत में फेंक दिया। पुलिस ने हत्या के मामले में जिस प्रधान को अभियुक्त बनाया है, वह सत्ताधारी दल से जुड़ा बताया जा रहा है।

इसी तरह जुलाई महीने में आजमगढ़ में बाइक सवार दो बदमाशों ने एक मुर्गी फार्म के मैनेजर की गोली मारकर हत्या कर दी, तो बीते 5 जुलाई को जौनपुर में इंटर कालेज के प्रबंधक की हत्या कर दी गई। सरकार के ही आंकड़े बता रहे हैं कि पहली जून से 3 जुलाई के बीच प्रदेश में 100 से अधिक हत्याएं हो चुकी हैं। आगरा जोन में तो हर दिन एक हत्या हो रही है।

बागपत में फेसबुक विवाद में पूर्व प्रधान के पौत्र की हत्या कर दी गई। बलिया में व्यवसायी की, तो कानपुर के रेल बाजार थाने में घर में घुसकर बदमाशों ने दंपति की हत्या कर दी। आगरा में प्रधान हरिकिशन को बदमाशों ने झोपड़ी में जिंदा जलाकर मार डाला। अमेठी में एक सैनिक के पिता की बदमाशों ने धारदार हथियार से हत्या कर दी। सैनिक बेटा न्याय की गुहार लगाता रहा, लेकिन पुलिस अपने दलीलों में मशगूल रही।

महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की मॉब लिंचिंग पर पूरे देश में हंगामा करने वाली बीजेपी बीते अप्रैल महीने में बुलंदशहर में हुए दो साधुओं की हत्या पर चुप्पी साधे हुए है। इसी तरह पिछले वर्ष अक्तूबर महीने में लखनऊ में मारे गए हिन्दूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या की जांच शुरुआती तेजी के बाद सुस्त है।

यूपी में पत्रकारों की हत्या के मामलों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। कुशीनगर में एक बड़े अखबार के पत्रकार के बेटे की बदमाशों ने हत्या कर दी। गाजियाबाद में छेड़खानी को लेकर विरोध करने पर पत्रकार विक्रम जोशी को बदमाशों ने सरेराह गोलियों से भून दिया। इन सारी घटनाओं पर बीजेपी की सरकार पूरी तरह खामोशी ओढ़े हुए है।

अपराध में लिप्त बीजेपी नेता

कई ऐसी घटनाएं हैं जिनमें बीजेपी नेताओं की सीधी संलिप्तता दिखती है। पिछले दिनों आगरा में पुलिस ने बीजेपी नेता के फार्महाउस से देह व्यापार के आरोप में 12 लोगों को गिरफ्तार किया था। गोरखपुर में एक बड़े बीजेपी नेता के परिवार के ईंट-भट्ठे से कच्ची शराब बनाते हुए पकड़ा गया। वहीं मध्यप्रदेश में एक करोड़ रुपये के फिरौती मामले में पुलिस ने कानपुर के एक वरिष्ठ नेता को गिरफ्तार किया है।

इतना ही नहीं, बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के आरोपी शिखर अग्रवाल को पीएम जनकल्याण योजना अभियान का महामंत्री बना दिया गया। मारे गए इंस्पेक्टर की पत्नी और बेटे सवाल कर रहे हैं कि क्या इससे अपराधियों को बढ़ावा नहीं मिलेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा भी कि ‘सीएम आदित्यनाथ कहते हैं कि बदमाश अपराध करेंगे, तो ठोक दिए जाएंगे। पुलिस ने कई एनकाउंटर तो किए, हालांकि इनमें से कई सवालों में हैं। बावजूद गुंडों की बंदूकें आम लोगों की जान ले रही है।’

अपहरण बन गया उद्योग

इन्वेस्टर समिट में करोड़ों रुपये फूंकने के बाद भी देसी, विदेशी कंपनियां प्रदेश में निवेश को तैयार नहीं हैं। वहीं पुलिस और राजनेताओं के गठजोड़ से प्रदेश में अपहरण उद्योग की शक्ल ले चुका है। इसी का नतीजा है कि गोरखपुर के पिपराइच क्षेत्र के महाजन गुप्ता के बेटे की बदमाशों ने अपहरण के बाद हत्या कर दी। बदमाशों ने परिवार वालों से एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी। कानपुर में अपहरण के 11 दिन बाद व्यापारी बृजेश की लाश कुएं में मिली।

वहीं, कानपुर के लैब टेक्निशियन संजीत यादव की अपहरण के बाद बदमाशों ने हत्या कर दी। परिवार के लोगों ने बिचैलिये पुलिस वालों के कहने पर बदमाशों को 30 लाख रुपये भी दे दिए, इसके बाद भी हत्या कर दी गई। परिवार वालों ने न्याय को लेकर धरना दिया, तब मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की गई।

इसके फौरन बाद गोंडा में बदमाशों ने किराना व्यापारी के बेटे का अपहरण कर चार करोड़ की फिरौती मांगी। मामला मीडिया में उछलने के बाद सक्रिय हुई पुलिस ने बच्चे को बरामद किया। वहीं गाजियाबाद में बदमाशों ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोजेक्ट इंजीनियर विक्रम त्यागी का जून महीने में अपहरण कर लिया था। एसपी सरकार में मंत्री रहे राधेश्याम सिंह का कहना है कि ‘ये तो वे मामले हैं जो उजागर हो गए। तमाम परिवार खुद ही बदमाशों से बातचीत कर करोड़ों की लेनदेन को विवश हैं।’

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