पंजाब से कश्मीर जैसा बरताव कर रहा केंद्र: मालगाड़ियां ठप, ग्रामीण विकास का पैसा रोका, कोयला खत्म, ब्लैकआउट का खतरा
किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन वापस ले लिए हैं। फिर भी केंद्र सरकार ट्रेनें चलाने को तैयार नहीं है। इस वजह से कोयले की आपूर्ति रुक गई है जिससे बिजली उत्पादन लगभग ठप है और राज्य सरकार को महंगी दरों पर दूसरे राज्यों से बिजली खरीदनी पड़ रही है।
किसानों के आंदोलन से नाराज केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पंजाब के साथ ‘कश्मीर’-जैसा व्यवहार कर रही है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के प्रयासों से किसानों ने अपना रुख थोड़ा बदला है और कई किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन वापस ले लिए हैं। फिर भी केंद्र सरकार ट्रेनें चलाने को तैयार नहीं है। इस वजह से कोयले की आपूर्ति रुक गई है जिससे बिजली उत्पादन लगभग ठप है और राज्य सरकार को महंगी दरों पर दूसरे राज्यों से बिजली खरीदनी पड़ रही है।
दिक्कत इतनी ही नहीं, पंजाब के साथ-साथ जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में लगभग सभी जरूरी सामान की किल्लत गहरी होती जा रही है। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने पंजाब के ग्रामीण विकास फंड (आरडीएफ) के उपयोग में गड़बड़ी की जांच के नाम पर इस साल चावल के लिए 1,000 करोड़ रुपये के भुगतान को रोक दिया है।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने 24 सितंबर को छह जगहों पर रेल रोको आंदोलन शुरू किया था। बाद में इसे दो जगहों पर कर दिया गया। जब केंद्र सरकार ने सम्मानजनक बातचीत के रास्ते नहीं खोले, तो किसानों ने 33 जगहों पर रेल रोको शुरू किया और यात्री और मालगाड़ी- सबको रोक दिया। मुख्यमंत्री की पहल के बाद अब कुछ ही संगठन इस तरह का आंदोलन कुछ जगहों पर चला रहे हैं। फिर भी, रेल मंत्रालय ने सारी गाड़ियां फिलहाल न चलाने का फैसला किया है। फिरोजपुर डिवीजन के डीआरएम राजेश अग्रवाल का कहना है कि 29 अक्तूबर तक तो रेलगाड़ियां न चलाने का फैसला लिया जा चुका है।
भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) ने रेलवे के इस कदम को आंदोलनरत किसानों के दमन के लिए उठाया गया कदम बताया है। राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा है कि मालगाड़ियां न चलाने का कदम उठाकर केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा कर रहे जवानों की रसद आपूर्ति को भी बाधित कर रही है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी कहा है कि सरकार जिस किस्म के कदम उठा रही है, उससे किसानों का गुस्सा भड़क सकता है
मालगाड़ियों को रोक देने की वजह से बिजली का संकट दिनों दिन गहरा रहा है। कोयले की सप्लाई रुक गई है जिस कारण बठिंडा, रोपड़ और लेहरा मोहब्बत, तलवंडी साबू की सरकारी बिजली निर्माण इकाइयों में उत्पादन बंद है। गोइंदवाल थर्मल पावर प्लांट भी बंद हो गया है। राजपुरा प्लांट के भी जल्दी ही बंद हो जाने की आशंका है। पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के सीएमडी ए वेणु प्रसाद का कहना है कि हमारे पास अब कुछ ही दिनों का स्टॉक बचा है। तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के सीईओ और निदेशक विकास शर्मा ने भी कहा कि कोयला न होने की वजह से उन्हें अपना उत्पादन बंद कर देना पड़ा है।
जालंधर के उद्योगपति अश्वनी कुमार का कहना है कि रेलगाड़ियां बंद रहने की वजह से पंजाब के उद्योग मुश्किल में हैं। कच्चा माल आ नहीं रहा और तैयार माल बाहर जा नहीं पा रहा। उधर, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी यही हाल है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से तो कश्मीर घाटी में पहले से ही जरूरी सामान की आपूर्ति का हाल बुरा था, अब जम्मू और लद्दाख में भी जरूरी सामान की भारी किल्लत होने लगी है। जम्मू-कश्मीर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन अनन शर्मा का कहना है कि 1 अक्तूबर के बाद से जम्मू में एक वैगन भी नहीं आया है। जब तक स्थिति नहीं सुधरती है, तब तक जम्मू- कश्मीर और लद्दाख में सामान्य सप्लाई संभव नहीं है।
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