BJP के विरोध के बावजूद झारखंड विधानसभा से एंटी मॉबलिंचिंग बिल पास, दोषियों को उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान

इस विधेयक में कहा गया है कि दो या इससे अधिक व्यक्तियों द्वारा की जाने वाली हिंसा को मॉब लिंचिंग माना जाएगा और इसके लिए उम्रकैद के साथ-साथ 25 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून का रूप ले लेगा।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

झारखंड विधानसभा ने मंगलवार को मॉब लिंचिंग के खिलाफ सरकार द्वारा पेश विधेयक को पारित कर दिया है। हालांकि राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसे हड़बड़ी में और एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए लाया गया विधेयक बताते हुए सदन का बहिष्कार किया। बीजेपी विधायकों के वॉकआउट के बीच सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक में कहा गया है कि दो या इससे अधिक व्यक्तियों द्वारा की जाने वाली हिंसा को मॉब लिंचिंग माना जाएगा और इसके लिए उम्रकैद के साथ-साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माने की सजा हो सकती है।

राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून का रूप ले लेगा। बता दें कि झारखंड में 2019 में सरायकेला-खरसावां जिले में तबरेज अंसारी नामक एक युवक को चोरी के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटना और इससे जुड़े विवाद पर पूरे देश में कई महीनों तक चर्चा होती रही थी। इसके पहले रामगढ़ शहर में भी प्रतिबंधित मांस लेकर जा रहे एक युवक की भीड़ द्वारा हत्या पर भी बवाल हुआ था।

झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून लागू करने का एलान किया था। मंगलवार को विधेयक पर चर्चा के दौरान राज्य के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड में 2016 से लेकर अब तक मॉब लिंचिंग की 56 घटनाएं हुई हैं। ऐसी घटनाओं में कमजोर वर्ग के लोग हिंसा के शिकार होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून पीड़ितों को संरक्षण देने और ऐसे कृत्य को अंजाम देने वाले तत्वों को सख्त सजा दिलाने के लिए बनाया जा रहा है।

विधानसभा से पारित 'झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021' में कहा गया है कि अगर कोई मॉब लिंचिंग के कृत्य में शामिल रहता है और ऐसी घटना में पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो इसके लिए दोषी को सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति किसी को लिंच करने के षड्यंत्र में शामिल होता है या षडयंत्र करता है या लिंचिंग के कृत्य के लिए दुष्प्रेरित या उसमें सहायता या प्रयत्न करता है, तो उसके लिए भी आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।


अगर मॉब लिंचिंग में किसी को गंभीर चोट आती है, तब भी दोषी को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा होगी। इसके साथ ही तीन से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। उकसाने वालों को भी दोषी माना जाएगा और उन्हें तीन साल की सजा और एक से तीन लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इतना ही नहीं लिंचिंग के अपराध से जुड़े किसी साक्ष्य को नष्ट करने वाले को भी अपराधी मानकर एक साल की सजा और 50 हजार रुपये तक का जुर्माना होगा। अगर कोई लिंचिंग का माहौल तैयार करने में सहयोग करता है तो ऐसे व्यक्ति को तीन साल की सजा और एक से तीन लाख तक जुर्माना होगा। दंड प्रक्रिया संहिता के तहत जांच के जो प्रावधान बताए गए हैं, वही प्रक्रिया यहां भी अपनायी जाएगी। मॉब लिंचिंग से जुड़े सभी अपराध गैर जमानती होंगे।

विधेयक में यह व्यवस्था भी की गई है कि मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए पुलिस महानिदेशक स्तर के पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया जाएगा। राज्य स्तर के नोडल पदाधिकारी जिलों में स्थानीय खुफिया इकाइयों के साथ महीने में कम से कम एक बार बैठक करेंगे। जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक या वरीय पुलिस अधीक्षक जिले के लिए समन्वयक होंगे।

विधेयक के प्रावधानों पर बीजेपी के विधायकों ने सदन में विरोध जताया। विधेयक में दो या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह को मॉब की संज्ञा दिये जाने पर बीजेपी विधायक अमित मंडल ने विरोध जताते हुए कहा कि यह विधेयक हड़बड़ी में लाया गया है। इसमें कई त्रुटियां हैं। उन्होंने कहा कि दो व्यक्तियों को यदि मॉब का रूप दिया जाएगा तो घरेलू विवाद को भी मॉब लिंचिंग कहा जाएगा और इस कानून का दुरुपयोग होगा। इससे पुलिस की लालफीताशाही बढ़ जाएगी। उन्होंने संख्या को दो से बढ़कर 10 करने का संशोधन सदन में रखा। जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लाया गया है। दो या दो से अधिक व्यक्तियों की बात भी सुप्रीम कोर्ट ने ही कही है।

विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि यह बिल झारखंड विरोधी, आदिवासी विरोधी है और एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए बिल लाया गया है। विधायक प्रदीप यादव और दीपिका पांडेय सिंह ने पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग की। बीजेपी के विधायक इस विधेयक को प्रवर समिति में सौपने की मांग कर रहे थे, लेकिन यह मांग खारिज कर दी गयी। इस पर बीजेपी के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। विपक्ष की अनुपस्थिति में सदन ने विधेयक को पारित कर दिया।

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