वसीम रिजवी की गिरफ्तारी की मांग तेज, मुस्लिम धर्मगुरु दिल्ली में बैठक कर करेंगे विरोध-प्रदर्शन

ऑल इंडिया शिया काउंसिल के प्रवक्ता मौलाना जलाल हैदर नकवी ने बताया कि, रिजवी पर दिल्ली की जामा मस्जिद में उलेमाओं की एक बैठक है, उसके बाद हम मीडिया को संबोधित करेंगे। इतना ही नहीं गृह मंत्री अमित शाह को एक मेमोरेंडम भेजेंगे, जिसमें रिजवी की गिरफ्तारी की मांग करेंगे।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी पर शिया और सुन्नी सहित तमाम मुस्लिम धर्मगुरुओं में नाराजगी है। इसी को लेकर कुछ उलेमा गुरुवार को दिल्ली में एक बैठक करेंगे, इसके बाद प्रेस वार्ता भी होगी। बताया ये भी जा रहा है कि सभी उलेमा रिजवी पर अपना नजरिया रखेंगे। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह को रिजवी की गिरफ्तारी की मांग कर एक मेमोरेंडम भेजेंगे। ऑल इंडिया शिया काउंसिल के प्रवक्ता मौलाना जलाल हैदर नकवी ने बताया कि, रिजवी पर दिल्ली की जामा मस्जिद में उलेमाओं की एक बैठक है, उसके बाद हम मीडिया को संबोधित करेंगे। इसमें हम अपना नजरिया रखेंगे। इतना ही नहीं गृह मंत्री अमित शाह को एक मेमोरेंडम भेजेंगे, जिसमें रिजवी की गिरफ्तारी की मांग करेंगे।

इसके अलावा शुक्रवार को दिल्ली की जामा मस्जिद पर भी मुस्लिम धर्मगुरुओं की एक बैठक बुलाई गई है। जानकारी के अनुसार जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी एक भाषण देंगे।

ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम, डॉ इमाम उमेर अहमद इल्यासी ने बताया, "कुरान अल्लाह का कलाम है, इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता। दुनिया की कोई अदालत उसे बदल नहीं सकती, क्योंकि वह अल्लाह की किताब है। कुरान पूरी कायनात के लिए है, यह किसी मजहब के लिए नहीं है।"

"जो लोग कहते है कि इससे आतंकवाद का मामला बनता है तो उनको ये समझ लेना चाहिए कि जो कुरान को पढ़ते हैं वह शांति की दूत बनते हैं। इसलिए इसपर ज्यादा बात करना भी ठीक नहीं।"


इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने बताया कि, "उनके द्वारा कही गई बेबुनियाद बात है, पिछले साढ़े 1400 सालों से कुरान में एक भी शब्द का बदलाव नहीं किया जा सका है। अदलात पर हमें पूरा यकीन है रिजवी द्वारा दाखिल पीआईएल खारिज कर दी जाएगी।"

दरअसल, वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कुरान की 26 आयतें आतंक को बढ़ावा देने वाली हैं और उन्हें हटाना जाना चाहिए ताकि आतंकी गतिविधियों से मुस्लिम समुदाय का नाम न जुड़ सके । इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि ये आयतें मूल कुरान का हिस्सा नहीं थी, बल्कि उन्हें बाद में जोड़ा गया है।

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