दिल्ली के अस्पताल का हाल, 'हर 10 मिनट पर निकल रहा एक शव', मौतों से घबराया बेटा पिता को अस्पताल से निकाल ले गया घर
दिल्ली में कोरोना संक्रमण इतना है कि संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बेड मिलने में बेहद परेशानी हो रही है, हालांकि जिन परिजनों के अपने भर्ती हैं, वे अस्पताल के रवैये से नाखुश हैं।
दिल्ली में कोरोना संक्रमण इतना है कि संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बेड मिलने में बेहद परेशानी हो रही है, हालांकि जिन परिजनों के अपने भर्ती हैं, वे अस्पताल के रवैये से नाखुश हैं, इसलिए कई लोग मरीज को अस्पताल से निकालने की व्यवस्था करते हुए दिख रहे हैं। एलएनजेपी अस्पताल के बाहर न जाने ऐसे कितने मरीज खड़े हैं, जिनको अपनों के बारे में जानकारी तक नहीं कि मरीज कैसा है ? वहीं कुछ शव लेने के लिए खड़े हुए हैं।
हालांकि अस्पताल के बाहर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो शव निकलते देख घबरा गए हैं और अपने मरीज को अस्पताल से निकालना चाहते हैं। अस्पताल के गेट पर बैठ एक बेटा अपने पिता को अस्पताल से बाहर निकालने के लिए सीएमओ को चिठ्ठी लिख रहा है।
अस्पताल के सीएमओ को चिट्ठी लीख रहे विभाष ने आईएएनएस को बताया कि, "मेरे पिता कोरोना संक्रमित हैं, 7 दिन से भर्ती कराया हुआ है लेकिन अभी तक पिता की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है, बल्कि पहले से ज्यादा कमजोर हो गए हैं।"
"अस्पताल में पिता को देखने के लिए कोई नहीं है। 7 दिन से कुछ खाया तक नहीं है। हम मरीज को अपने घर ले जाएंगे, ताकि उन्हें कुछ खिला सकें और ध्यान रख सकें।"
हालांकि बाद में विभाष ने पिता को अस्पताल से निकाल लिया और फिलहाल घर पर उनका ध्यान रखा जा रहा है। लेकिन साथ ही उनके लिए दूसरा अस्पताल भी ढूंढ रहा है।
उन्होंने बताया, "एलएनजेपी अस्पताल से मरीज का ब्योरा तक नहीं दिया गया, की क्या इलाज हुआ, क्या दवाई हुई ? अस्पताल की तरफ से ऐसी रिपोर्ट दी गई है कि मैं कहीं किसी अस्पताल में भर्ती भी नहीं करा सकता।"
विभाष ने अपने पिता को अस्पताल से निकालने की वजह बताते हुए आईएएनएस से कहा कि, "अस्पताल से हर 10 मिनट पर एक शव निकल रहा, मेरे पिता जी वार्ड में अकेले पड़ गए थे, वह घबरा गए थे। क्या करता उन्हें अकेला छोड़ कर?"
विभाष जैसे न जाने और कितने लोग ऐसे ही हैं, जो आने मरीजों के जल्द ठीक होने की दुआएं कर रहे हैं। हालांकि दिल्ली में पिछले 24 घंटे में 24,638 नए केस सामने आए, वहीं 249 मरीजों की मौत हुई है।
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