दिल्ली हिंसा: नताशा, कालिता और तन्हा को दिल्ली हाई कोर्ट ने दी जमानत, कहा- विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दिल्ली दंगा मामले में आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है ।
पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य नताशा नरवाल समेत तीन आरोपियों को जमानत दे दी है। हाई कोर्ट ने जेएनयू की छात्रा नताशा के अलावा देवांगना कालिता और जामिया के स्टूडेंट आसिफ इकबाल तन्हा को भी जमानत दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है। बता दें कि तीनों को बीते साल फरवरी महीने में दिल्ली में हुई हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में इन लोगों के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) भी लगाया गया था।
हाई कोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने तीनों आरोपियों को जमानत देने से इनकार करने वाले निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और उन्हें नियमित जमानत पर स्वीकार करते हुए उनकी अपीलों को मान लिया। जमानत 50,000 रुपये के व्यक्तिगत बांड और दो स्थानीय जमानत दाखिल करने पर मिलेगा। जमानत की शर्तों में तीनों को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा और ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे जो मामले में बाधा डालती हैं। इन्हें जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है।
बता दें कि राजधानी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हिंसा के दौरान कई दुकानों को फूंक दिया गया था और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। विवादित सिटीजनशिप लॉ को लेकर यह हिंसा हुई थी।
कुछ समय पहले नताशा नरवाल के पिता की कोरोना से मौत हो गई थी, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने नताशा को जमानत दे दी थी। नताशा को 50 हजार के निजी मुचलके पर रिहा किया गया था। कोर्ट ने नताशा से पुलिस के लगातार संपर्क में बने रहने और अपना मोबाइल नंबर देने के लिए कहा था। बाद में जमानत की अवधि खत्म होने के बाद नताशा वापस तिहाड़ जेल चली गई थी। नताशा और देवंगाना को दंगों से जुड़े साजिश के मामले में पिछले साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था। इन्हें, इससे पहले ही इसी से मिलते जुलते आरोपों-दिल्ली के जाफराबाद इलाके में नागरिकता कानून के दंगों से संबंधित मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जमानत दे दी गई थी। पहली जमानत के आदेश के बाद ही दिल्ली पुलिस ने नताशा और देवांगना को दूसरी बार गिरफ्तार कर लिया था।
आसिफ इकबाल तन्हा जामिया मिलिया इस्लामिया में बीए (ऑनर्स) (फारसी) कार्यक्रम के अंतिम वर्ष का छात्र हैं। उन्हें मई 2020 में यूएपीए के तहत दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से लगातार हिरासत में हैं। नताशा नरवाल और देवांगना कलिता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर हैं, जो पिंजरा तोड़ कलेक्टिव से जुड़ी हैं।
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