दिल्ली चुनाव: कालकाजी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस की शिवानी दे रही हैं कड़ी टक्कर

दक्षिण दिल्ली की कालकाजी विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है, लेकिन असली टक्कर कांग्रेस की शिवानी चोपड़ा और आप की आतिशी मरलेना के बीच दिख रही है। बीजेपी का असर कुछ इलाकों में है लेकिन उसका नतीजों पर असर पड़ेगा, स्थानीय लोग ऐसा नहीं मानते।

फोटो : सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव का प्रचार स्थानीय मुद्दे के बजाय धीरे-धीरे राष्ट्रीय मुद्दों की तरफ फोकस होता जा रहा है और इस कारण स्थिति अब त्रिकोणीय मुकाबले की बन रही है। बीजेपी ने अपने प्रचार को शाहीन बाग में जारी नागरिकता संशोधन विरोधी प्रदर्शन और धरने पर केंद्रित कर लिया है, लेकिन आम लोगों के बीच इसका कोई सीधा प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा। लेकिन हां, लोगों ने इस बारे में बात जरूर करना शुरु कर दी है।

दक्षिण दिल्ली की कालकाजी विधानसभा सीट की सीमा शाहीन बाग से लगती है और इस सीट पर आम आदमी पार्टी की आतिशी मरलेना, कांग्रेस की शिवानी चोपड़ा और बीजेपी के धर्मवीर सिंह के बीच मुकाबला है। इस विधानसभा क्षेत्र के गोविंदपुरी में किराना शॉप चलाने वाले परमिंदर सिंह का कहना है कि, “शुरु में तो सभी उम्मीदवार बिजली-पानी की बात करते थे, लेकिन अब शाहीन बाग इनके भाषणों का केंद्र बन गया है। बहुत से लोग हैं जिन्हें अभी तक सीएए, एनपीआर और एनआरसी का सही अर्थ नहीं पता है।”

इस सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवार शिवानी चोपड़ा स्थानीय नेता हैं। उनके पिता सुभाष चोपड़ा इस समय दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और इस सीट से कई बार चुनाव जीत चुके हैं। कालकाजी में रहने वाले राजू कुमार कहते हैं कि, “आप की उम्मीदवार आतिशी तो यहां के लिए बाहरी हैं। वह यहां रहती भी नहीं हैं। हम उनसे पूछना चाहते हैं कि जब उन्होंने लोकसभा चुनाव पूर्वी दिल्ली से लड़ा था तो इस बार वे यहां क्यों आई हैं।”


इसी इलाके के सुलतान कहते हैं कि, “बीजेपी के दफ्तर के पास आपको कई झंड बैनर दिख जाएंगे, लेकिन स्थानीय लोगों की मौजूदगी नहीं है वहां। उनके लिए यह चुनाव बहुत मुश्किल है। लोग समाज का बंटवार नहीं चाहते हैं। बीजेपी ने मुझ जैसे कई छोटे दुकानदारों को नोटबंदी और जीएसटी से परेशान किया है।” इसके अलावा मैट्रेस शोरूम चलाने वाले विजय कुमार का कहना है कि, “इस सीट पर कांग्रेस के पक्ष में कई बातें जाती हैं। शिवानी चोपड़ा जाना-माना चेहरा है, क्योंकि वे यहीं की रहने वाली हैं। हमने सुना है कि पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भी उनके रोड शो में आ रहे हैं। वैसे लोगों ने तय कर लिया है कि वोटों को बंटने नहीं देना है और सबसे बेहतर उम्मीदवार को जिताना है।”

लेकिन क्या यह सब इतना ही आसान है। न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पान की दुकान चलाने वाले राम यादव का कहना है कि जुलेना इलाके में बीजेपी के कुछ समर्थक तो हैं, लेकिन वे अभी ठंडे पड़े हुए हैं। वे कहते हैं, “पलड़ा फिलहाल किसी एक तरफ नहीं कह सकते।” उनका कहना है कि शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन का कोई असर नहीं पड़ने वाला, लेकिन बीजेपी इसे भुनाने की कोशिश जरूर कर रही है।

स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ता नाजिम चौधरी की अलग राय है। वे कहते हैं, “शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन से बीजेपी को फायदा हो सकता है। वे इसके जरिए ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। हम प्रदर्शन जारी रखने के पक्ष में हैं, क्योंकि यह हमारे भविष्य के लिए लड़ाई है। शाहीन बाग जाने वाले सिर्फ मुसलमान नहीं हैं, वहां पढ़े-लिखे उच्च वर्ग के नागरिक भी जा रहे हैं।”

कालकाजी क्षेत्र की एक दुकान पर गारमेंट्स खरीदने आईँ जसविंदर कौर का कहना है कि, “इस बार उन्होंने अवतार सिंह को बदल दिया है। हमें नहीं पता क्यों, वह हमारे बीच के थे। हमें आतिशी से शिकायत नहीं है, लेकिन यह सीट तो पंजाबियों की है, ऐसे में हमारी भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए था।”

इसके अलावा चितरंजन पार्क मे बीजेपी के लिए कोई संभावना नजर नहीं आती। चितरंजन पार्क के एस सेन बताते हैं कि, “यहां के लोग आप और कांग्रेस में से ही किसी को वोट देंगे। सराय जुलेना में बीजेपी के कुछ समर्थक हैं, लेकिन उससे नतीजे पर फर्क नहीं पड़ने वाला।”

कालकाजी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले ऑटो रिक्शा चालक होरेन मंजल का कनहा है कि, “क्या बीजेपी शाहीन बाग के बारे में झूठ बोल रही है। अगर कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार के पास है, तो फिर उन्होंने अब तक कुछ किया क्यों नहीं। व्हाट्सऐप पर जो कुछ बांटा जा रहा है उसमें कुछ कहा जाता है, आखिर किस पर भरोसा करें।”


कालकाजी सीट पर 2015 में 164,240 मतादाता थे। इस इलाके में पिछली बार करीब 65 फीसदी मतदान हुआ था और आप के अवतार सिंह ने बीजेपी के हरमीत सिंह को करीब 20 हजार वोटों से हराया था। सुभाष चोपड़ा तीसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट पर हुए अब तक 7 में से 4 चुनावों में सुभाष चोपड़ा की जीत हुई थी और 2 बार आम आदमी पार्टी की।

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