डीपफेक ने बढ़ाई चिंता, केंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को निपटने के लिए 7 दिन की समयसीमा दी
पीएम मोदी द्वारा हाल में डीपफेक का शिकार होने का खुलासा किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को अपने मंच पर इसके प्रसार से निपटने के लिए भारतीय नियमों के अनुसार अपनी नीतियों में बदलाव करने के लिए सात दिन की समय सीमा दी है।
डीपफेक ने भारत में भी चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में पीएम मोदी द्वारा डीपफेक का शिकार होने का खुलासा किए जाने के बाद अब केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को अपने प्लेटफॉर्म पर डीपफेक के प्रसार से निपटने के लिए भारतीय नियमों के अनुसार अपनी नीतियों में बदलाव करने के लिए सात दिन की समय सीमा दी है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि डीपफेक पर मौजूदा आईटी नियमों, विशेष रूप से नियम 3(1)(बी) के तहत कार्रवाई की जा सकती है, जो उपयोगकर्ता की शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर 12 प्रकार की सामग्री को हटाने का आदेश देता है। सरकार भविष्य में भी ऐसे 100 फीसदी उल्लंघनों पर आईटी नियमों के तहत कार्रवाई करेगी।
मंत्री ने कहा,"किसी उपयोगकर्ता या सरकारी प्राधिकरण से रिपोर्ट प्राप्त होने पर उन्हें 24 घंटे के भीतर ऐसी सामग्री को हटाने का आदेश दिया गया है। इस आवश्यकता का पालन करने में विफलता नियम 7 को लागू करती है, जो पीड़ित व्यक्तियों को भारतीय दंड के प्रावधानों के तहत अदालत में जाने का अधिकार देती है।"
चंद्रशेखर ने कहा कि जो लोग खुद को डीपफेक से प्रभावित पाते हैं, मैं आपको अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करता हूं। उन्होंने कहा कि आईटी मंत्रालय पीड़ित उपयोगकर्ताओं को डीपफेक के संबंध में एफआईआर दर्ज करने में मदद भी करेगा।
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी गुरुवार को कहा कि भारत डीपफेक के प्रसार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से होने वाले अन्य उपयोगकर्ता नुकसान को नियंत्रित करने के लिए विनियमन पर विचार कर रहा है। बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्म और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद मंत्री ने कहा कि भारत डीपफेक के प्रसार को पहचानने और सीमित करने के लिए नए नियमों का मसौदा तैयार करेगा। नया विनियमन लोगों के लिए ऐसे डीपफेक वीडियो की रिपोर्टिंग प्रक्रिया को भी मजबूत करेगा।
वैष्णव ने कहा, "सोशल मीडिया कंपनियां हमारी चिंताओं को साझा करती हैं और वे समझती हैं कि डीपफेक मुक्त भाषण नहीं है। वे इसके लिए विनियमन की आवश्यकता को समझते हैं और हम विनियमन का मसौदा तैयार करना शुरू करेंगे।" वैष्णव ने कहा, "हमें समाज में विश्वास को मजबूत करने और अपने लोकतंत्र को डीपफेक से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।"
उम्मीद है कि मंत्री अगले महीने इस ज्वलंत विषय पर सोशल मीडिया कंपनियों से फिर मिलेंगे। वैष्णव ने कहा कि नया विनियमन व्यक्तियों के लिए ऐसे वीडियो की रिपोर्ट करने के लिए रिपोर्टिंग तंत्र को मजबूत करने और सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सक्रिय और समय पर कार्रवाई पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
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