दिल्ली पुलिस के DCP और SI ने प्रमोशन के लिए मांगा रिश्वत, इंस्पेक्टर ने लगाए आरोप, गृह मंत्रालय तक की शिकायत

अजय गुप्ता ने आरोप लगाया कि 20,000 रुपये रिश्वत लेने के बाद भी वे सभी मामलों को लंबित रखते रहे। 1 अगस्त को सुनवाई के लिए बुलाया गया, लेकिन डीसीपी मीणा ने उसे स्थगित कर दिया और 5 लाख रुपये की व्यवस्था करने या परिणाम भुगतने का अल्टीमेटम जारी किया।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने आरोप लगाया है कि एक डीसीपी और एक सब इंस्पेक्टर ने उसे प्रमोशन, बकाया और वेतन वृद्धि के संबंध में अनुकूल आदेश के बदले कथित तौर पर 5 लाख रुपये की रिश्वत देने के लिए मजबूर किया। डीसीपी और एक जूनियर अधिकारी पर ये गंभीर आरोप लगाने वाले दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर अजय गुप्ता फिलहाल 5वीं बटालियन में तैनात हैं। इंस्पेक्टर अजय गुप्ता द्वारा शिकायत दर्ज कराने से पहले डीसीपी ने उनके खिलाफ एक विभागीय जांच (डीई) का आदेश दिया। हालांकि, गुप्ता ने दावा किया कि रिश्वत देने से इनकार करने के बाद डीई शुरू की गई।

8 अगस्त को गृह मंत्रालय, उपराज्यपाल, लोकायुक्त और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा सहित कई संबंधित अधिकारियों के पास दायर की गई अपनी शिकायत में गुप्ता ने आरोप लगाया कि उन्हें कृष्णा मीणा (5वीं बटालियन डीएपी के डीसीपी) और एसआई राजीव नायर ने पांच लाख रुपये की रिश्वत देने के लिए मजबूर किया। गुप्ता ने बताया कि एसआई ने एडवांस के तौर पर 20 हजार रुपये ले लिये थे। 

इंस्पेक्टर अजय गुप्ता ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए एसआई के साथ बातचीत की रिकॉर्डिंग सहित इलेक्ट्रॉनिक सबूत होने का दावा किया है। इंस्पेक्टर अजय गुप्ता ने अपनी शियाकत में कहा है कि एक झूठे आपराधिक मामले में शामिल होने के कारण मेरे प्रमोशन में देरी हुई, मामले में मुझे 28 अक्टूबर 2022 को बरी कर दिया गया था। तब से, मेरा प्रमोशन, बकाया, वेतन वृद्धि और अन्य लाभ संबंधी मामले मेरी 5वीं बटालियन डीएपी दिल्ली में लंबित हैं।


इंस्पेक्टर अजय गुप्ता ने कहा कि इन मामलों के संबंध में, मैंने लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान का अनुरोध करने के लिए डीएएनपी/डीसीपी कृष्ण मीणा से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। गुप्ता ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि 26 अप्रैल को, उन्होंने अपने मामलों और लंबित प्रारंभिक जांच के संबंध में फिर से डीसीपी मीणा से संपर्क किया।

गुप्ता ने कहा कि संबंधित विभागों को निर्देश देने के बजाय, डीसीपी मीणा ने मुझे एसआई राजीव से संपर्क करने का निर्देश दिया। मैंने बताया कि राजीव केवल एक एसआई है, और एक डीसीपी के रूप में मीणा को सहायता की पेशकश करनी चाहिए। जवाब में, मीणा ने मुझे चिंता नहीं करने की सलाह दी और आश्वासन दिया कि राजीव उनकी सभी समस्याओं का समाधान करेंगे।

गुप्ता ने शिकायत में कहा कि डीसीपी मीणा के व्यवहार और रवैये के आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि डीसीपी एसआई राजीव के माध्यम से उनसे अवैध रिश्वत मांग रहे थे। गुप्ता की शिकायत में कहा गया है कि अगले दिन एसआई राजीव मुझसे अकेले में मिले। उनके दुर्भावनापूर्ण इरादे और गुप्त उद्देश्यों को पहचानते हुए, मैंने हमारी बातचीत रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया।

एसआई राजीव ने जोर देकर कहा कि मैं अपनी वेतन वृद्धि में समायोजन और प्रारंभिक जांच को अंतिम रूप देने के लिए एक लाख रुपये का भुगतान करूं। गुप्ता ने इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई और कटौती का अनुरोध किया, लेकिन एसआई राजीव अड़े रहे। गुप्ता ने 20,000 रुपये का भुगतान किया और बकाया राशि प्राप्त होने के बाद पूरी राशि का भुगतान करने का वादा किया।


गुप्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि 20,000 रुपये रिश्वत लेने के बाद भी वे मेरे सभी मामलों को लंबित रखते रहे। 1 अगस्त को मुझे सुनवाई के लिए बुलाया गया, लेकिन डीसीपी मीणा ने इसे स्थगित कर दिया और पर्याप्त बकाया के कारण 5 लाख रुपये की व्यवस्था करने या परिणाम भुगतने का अल्टीमेटम जारी किया।  गुप्ता ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से डीसीपी मीणा और एसआई राजीव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने में मदद करने की अपील की है।

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