लखनऊ में कारोबारी की हिरासत में मौत, थाना प्रभारी समेत कई पर हत्या का मुकदमा, दो सप्ताह में दूसरी हिरासत में मौत

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस हिरासत में मौत के मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया है। जहां समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश ने इसे हत्या करार दिया है, वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवार से मिलकर मदद करने का आश्वासन दिया है।

पुलिस हिरासत में मृत कारोबारी मोहित पांडे और दाएं हवालात का सीसीटीवी फूटेज का स्क्रीनशॉट (सोशल मीडिया के सौजन्य से)
पुलिस हिरासत में मृत कारोबारी मोहित पांडे और दाएं हवालात का सीसीटीवी फूटेज का स्क्रीनशॉट (सोशल मीडिया के सौजन्य से)
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नवजीवन डेस्क

यूपी की राजधानी लखनऊ में  बीते 16 दिनों के दौरान पुलिस हिरासत में मौत का दूसरा मामला सामने आया है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे हत्या करार देते हुए एक्स पर  लिखा कि ‘नाम बदलने में माहिर सरकार को अब पुलिस हिरासत का नाम बदलकर अत्याचार गृह कर देना चाहिए।’ उन्होंने पीड़ित परिवार की हर मांग पूरी करने का आग्रह करते हुए परिवार के साथ होने की बता कही।

इस घटना के सामने आने के बाद लखनऊ के चिनहट थाने, जहां का यह मामला है वहां के थाना प्रभारी और अन्य लोगों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की गई है और थानाध्यक्ष को हटा दिया गया है।

दरअसल मामला चिनहट थाने के 32 साल के कपड़ा कारोबारी मोहित पांडे की मौत से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक मोहित पांडे को पुलिस ने शांति भंग करे के आरोप में हिरासत में लिया था। आरोप है कि एक नेता के इशारे पर थाने में मोहित को बेरहमी से पीटा गया जिससे उसकी हवालात में ही मौत हो गई।

बताया जाता है कि मोहित पांडे और उसके पड़ोसी आदेश कुमार के बीच किसी बात पर कहासुनी हो गई थी। उसने पुलिस में शिकायत की जिसके बाद मोहित को पुलिस थाने ले गई। मोहित के परिवार का आरोप है कि आदेश और उसके चाचा के एक नेता के साथ रिश्ते हैं जिनके दखल के बाद पुलिस ने मोहित पांडे को बेरहमी से पीटा। इसी पिटाई से मोहित की मौत हो गई।


मोहित की मां तगेश्वरी देवी की शिकायत पर चिनहट पुलिस थाने में आदेश, उसके अज्ञात चाचा, थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार चतुर्वेदी और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। मामले में हत्या और आपराधिक साजिश की धाराएं लगाई गई हैं। आरोप है कि मोहित की खैर खबर लेने जब उसके बड़े भाई शोभा राम थाने गए थे तो उनके साथ ही बदसुलूकी कर हिरासत में ले लिया गया था। शिकायतकर्ता में कहा गया है कि पुलिस ने मोहित के साथ बेरहमी से मारपीट की, जिससे उसकी मौत हो गई और मामले को छिपाने के लिए पुलिस उसे अस्पताल ले गई जहां मोहित को मृत घोषित कर दिया गया।

इसके बाद पुलिस ने परिवार को मोहित की मौत की सूचना दी। घटना के बाद भारी भीड़ जमा हो गई और मोहित के परिवार ने पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने पोस्टमार्टम के लिए भेजने से पहले उन्हें शव देखने की अनुमति नहीं दी।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने इस मामले को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा है कि "उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कस्टोडियल डेथ के मामले में यूपी पहले स्थान पर है। आखिर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की पुलिस ऐसा क्या कर रही है जिससे लोग हिरासत में ही दम तोड़ दे रहे हैं? इन मौतों का ज़िम्मेदार कौन है? हिरासत में हो रही हत्याओं पर किसी जिम्मेदार की जुबान क्यों नहीं खुलती? ऐसे सभी सवालों पर सरकार की चुप्पी कब टूटेगी?"

इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को पीड़ित परिवार से मुलाकात की और परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद के साथ ही बच्चों को निःशुल्क शिक्षा और सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करने का आश्वासन दिया।

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