CPM ने त्रिपुरा निकाय चुनाव रद्द करने की मांग की, सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया
कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को त्रिपुरा नगरपालिका चुनाव के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए दावा किया कि राज्य में हिंसा जारी है। सिब्बल ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने बीजेपी पर त्रिपुरा नगर पालिका चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया है। सीपीआईएम ने चुनाव आयोग से राज्य में नगर निकायों के चुनावों को रद्द करने की मांग की है। सीपीआईएम पोलित ब्यूरो ने अगरतला नगर निगम और 19 अन्य नगर निकायों में हुए चुनाव को लेकर बीजेपी पर आरोप लगाया है कि चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली और विपक्षी उम्मीदवारों को डराने-धमकाने काम बीजेपी की तरफ से किया गया है। सीपीएम ने चुनाव आयोग को राज्य में अगरतला, धर्मनगर, खोवाई, बेलोनिया और मेलाघर नगर निकायों के चुनावों को रद्द करने की मांग की है।
वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को त्रिपुरा नगरपालिका चुनाव के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए दावा किया कि राज्य में हिंसा जारी है। सिब्बल ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। उन्होंने प्रस्तुत किया कि समाचार रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि त्रिपुरा में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन किया गया है।
कपिल सिब्बल ने कहा, "उम्मीदवारों को बूथों में प्रवेश करने नहीं दिया गया। सीएपीएफ के 2 कांस्टेबल, 2 बटालियन प्रदान नहीं किए गए। पूरी तबाही है। कृपया इसे (मामले की सुनवाई) आज दोपहर में लें। जो हुआ वह भयानक है हमारे पास जमीन पर मौजूद लोगों की तस्वीरें हैं, जो दिखाती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया।" सिब्बल ने जोर देकर कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है और शीर्ष अदालत से इस मामले की सुनवाई शुक्रवार या शनिवार को करने का आग्रह किया। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि बेंच का आज का शेड्यूल बेहद टाइट है। उन्होंने आगे कहा कि मैं इसे दोपहर के भोजन के बाद देखता हूं और अपने बंधुओं के साथ चर्चा करता हूं क्योंकि बेंच की संरचना भी अलग है।
वहीं, सीपीआईएम नेता और पूर्व सांसद सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि मतदान के एक दिन पहले से अगरतला और अन्य शहरों में, बीजेपी के हिंसक गिरोहों ने घरों का दौरा करना शुरू कर दिया और सीपीएम उम्मीदवारों, मतदान एजेंटों और स्थानीय नेताओं को धमकी दी कि वे मतदान के दिन बाहर न जाएं। मतदान के दिन अगरतला, धर्मनगर, खोवाई, बेलोनिया और मेलाघर में बीजेपी के लोगों द्वारा व्यापक बूथ कैप्चरिंग और कई जगहों पर मतदाताओं की शारीरिक रोकथाम की गई। अगरतला कस्बे में वाम दलों के पोलिंग एजेंटों को पीटा गया और कई बूथों से खदेड़ दिया गया। अधिकांश बूथों पर मतदान शुरू होते ही कब्जा कर लिया गया।
सीपीएम नेता येचुरी के अनुसार इससे पहले सात नगर पालिकाओं में विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोका गया। नतीजा यह रहा कि नाम वापस लेने के बाद बीजेपी प्रत्याशी निर्विरोध चुन लिए गए। चुनाव प्रणाली, लोकतंत्र और वोट के अधिकार पर ये सभी हमले सुप्रीम कोर्ट के कमेंट के बावजूद हुए हैं। कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित करने के लिए केंद्रीय बलों की पर्याप्त तैनाती सुनिश्चित करने के आदेश पारित किए। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन किया है। चुनाव में धांधली को लेकर पुलिस और केंद्रीय पुलिस बल मूकदर्शक बने रहे।
वहीं दूसरी ओर मतदान के बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी सत्तारूढ़ बीजेपी पर हिंसा का आरोप लगाया। पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 नवंबर को मतगणना होने तक मतपेटियों की सुरक्षा के लिए सीएपीएफ कर्मियों को तैनात किया गया है।
गौरतलब है कि त्रिपुरा के 14 नगर निकायों के चुनाव के लिए गुरुवार को 81 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वहीं विपक्षी दलों- सीपीएम और टीएमसी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की। त्रिपुरा की सभी निकाय सीटों पर बीजेपी ने उम्मीदवार उतारे थे।
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