जहांगीरपुरी 'बुलडोजर एक्शन' पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- तोड़फोड़ पर अगले 2 हफ्ते तक जारी रहेगी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है। हालांकि, तब तक कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी रखा है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों से जवाब मांगा है।
जहांगीरपुरी में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है। हालांकि, तब तक कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी रखा है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों से जवाब मांगा है।
कोर्ट ने कहा, सभी लोग एक दूसरे की दलीलों पर जवाब दें। हम सभी याचिकाओं पर नोटिस कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा, हमारे आदेश के बाद भी कार्रवाई चलती रही है, तो हम इसे भी गंभीरता से लेते हैं। कोर्ट ने साफ कर दिया कि यथास्थिति का आदेश सिर्फ दिल्ली के लिए है।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा- अतिक्रमण हटाना है तो सैनिक फार्म में आएं
इससे पहले याचिकाकर्ताओं के वकील दवे ने कहा कि “यह मामला यहां संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के दूरगामी प्रश्न उठाता है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय महत्व क्या है यह एक क्षेत्र के बारे में है। वकील दवे ने कहा कि बुलडोजर राज्य की नीति का एक उपकरण है।
वकील दवे ने कहा, “यह 2002 में नहीं किया गया था तो अब क्यों। दिल्ली में एक अधिनियम है। समाज के खास वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है। संवैधानिक निर्माताओं ने हमें यही चेतावनी दी है। उन्होंने इस घटना के बारे में बात की।”
वकील दवे ने कहा, “उन्हें पता था कि हम सुबह 10.30 बजे जिक्र करेंगे और इसलिए 9 बजे तोड़फोड़ शुरू हुई। यथास्थिति के आदेश पारित होने के बाद भी वे जारी रहे। यह कानून के शासन को प्रभावित करता है और कोई लोकतंत्र नहीं बचेगा।”
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा, “बीजेपी नेता ऐसा पत्र कैसे लिख सकते हैं जिसे आप ध्वस्त कर दें और एनडीएमसी उसे ध्वस्त कर दे। दिल्ली अधिनियम में नोटिस का प्रावधान है और अपील का भी प्रावधान है। ओल्गा टेलिस मामले को भी देखें और कैसे सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारों की रक्षा की।”
वकील दवे ने कोर्ट से कहा कि कृपया दिल्ली नगर पालिका अधिनियम की प्रस्तावना देखें, जहां यह नोट किया गया है कि कैसे दिल्ली में अत्यधिक प्रवासन हुआ है और दिल्ली मास्टर प्लान से परे कैसे परिवर्तन हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने वकील दवे से कहा, “अभी आप जो पढ़ रहे है वह नियमितीकरण के बारे मे है। अब अतिक्रमण पर आओ। अधिनियम में कौन सा प्रावधान है जो नोटिस प्रदान करता है?”
वकील दवे ने कहा, “कृपया एमसीडी एक्ट की धारा 343 देखें। अन्यथा भी इस न्यायालय द्वारा यह माना गया है कि जीवन के अधिकार में आश्रय का अधिकार शामिल है। हमें पहले रिकॉर्ड में सुधार करने का अधिकार है और फिर यह कहता है कि कोई भी विध्वंस नहीं होगा जब तक कि व्यक्ति को उचित अवसर नहीं दिया जाता है।”
SC के आदेश के बाद भी बुलडोजर चलने की बात को याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में रखा
याचिकाकर्ताओं के वकील दवे ने आगे कहा, “यह गरीब लोग हैं। अतिक्रमण हटाना है तो सैनिक फार्म में आएं। गोल्फ लिंक्स पर आएं जहां मैं रहता हूं और हर दूसरे घर में कहीं न कहीं अतिक्रमण है लेकिन आप इसे बिल्कुल भी नहीं छूते हैं। पुलिस और नागरिक प्राधिकरण संविधान से बंधे हैं, न कि किसी भाजपा नेता द्वारा लिखे गए पत्रों से। यह एक दुखद परिदृश्य है।”
वकील दवे ने कहा, “नेता ने लिखा कि कुछ असामाजिक तत्वों ने शोभा यात्रा पर पथराव किया और उन्हें आप नेताओं का समर्थन प्राप्त है और वह चाहते हैं कि ऐसे लोगों के घरों को बुलडोजर बंद कर दिया जाए।”
वकील दवे ने कहा सुप्रीम कोर्ट से कहा, “उन्होंने सुबह 9 बजे विध्वंस शुरू किया जब उन्हे पता था कि हम उल्लेख करेंगे।यथास्थिति के आदेश के बाद भी तोड़ते चले गए।”
मुसलमानों को अतिक्रमण से जोड़ा जा रहा है, उन्हें टारगेट किया जा रहा है: कपिल सिब्बल
वहीं, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “अतिक्रमण पूरे भारत मे एक गंभीर समस्या है, लेकिन मुद्दा यह है कि मुसलमानों को अतिक्रमण से जोड़ा जा रहा है। मेरी दलील है कि ऐसे मामले दूसरे राज्यों में भी हो रहे हैं। जब जुलूस निकाले जाते हैं और झगड़े होते हैं, केवल एक समुदाय के घरों में बुलडोजर चला जाता है और सत्ता में राजनीति जज करती है कि क्या होता है या नहीं होता है।”
वकील सिब्बल ने आगे कहा, “मध्य प्रदेश को देखिए जहां मंत्री कहते हैं कि अगर मुसलमान ऐसा करता है तो वे न्याय की उम्मीद नहीं कर सकते। यह कौन तय करता है? किसने उसे वह शक्ति दी। कोई जेल में है उसका घर गिरा दिया गया, कोई जिसने रेप किया उसका घर भी टूट गया।”
उन्होंने कहा, “दिल्ली में भी कुछ इलाकों में समुदाय मे गेट और बंद कर दिया गया था। वे क्या चाहते हैं? डर पैदा करना या उन्हें दूर करना? अतिक्रमण 'ए' समुदाय और बी समुदाय तक सीमित नहीं है, आप उनके घरों को तोड़कर यह नहीं कह सकते कि उन्होंने अतिक्रमण किया है। यह राजनीति का मंच नहीं है और यह मंच यह दिखाने के लिए है कि कानून का शासन कायम है।”
जहांगीरपुरी में कल की बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने की ये टिप्पणी
वहीं वरिष्ठ वकील पीवी सुरेंद्रनाथ ने कहा, “मैंने 10.45 बजे बृंदा करात को आदेश की सूचना दी थी इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को नहीं तो वकील सुरेंद्रनाथ ने कह कि बृंदा करात ने अधिकारियों को सूचित किया। वे नहीं रुके और 12.45 तक चले। प्रक्रिया को रोकने के लिए उन्हें शारीरिक रूप से खड़ा होना पड़ा।”
याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि एनडीएमसी मेयर ने मीडिया से कहा कि सुबह 11 बजे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा लेकिन यह चलता रहा। वहीं, जूस की दुकान के मालिक गणेश गुप्ता के लिए वरिष्ठ वकली संजय हेगड़े पेश हुए। उन्होंने कहा कि हमरे मुअक्किल वहां थे, उनकी दुकान को ध्वस्त कर दिया गया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वकली संजय हेगड़े से कहा कि कृपया मुझे कागजात दें। इस पर वकील हेगड़े ने कहा कि हम ऐसे विध्वंस अधिनियम के लिए मुआवजे की मांग करते हैं जो अवैध था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “यही कारण है कि संगठन यहां आए हैं और व्यक्ति नहीं क्योंकि उन्हें सबूत दिखाना है और यह देखा जा सकता है कि नोटिस जारी किए गए थे। खरगोन विध्वंस में 88 प्रभावित पक्ष हिंदू थे और 26 मुस्लिम थे। यह बहस का विषय है। 2021 में थे नोटिस।”
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