कोरोना का डेल्टा प्लस फैला रहा अपने डैने, ऐसे में वैक्सीनेशन के सब्जबाग दिखाना क्या सही है!

सरकार वैसे तो दावा कर रही थी कि इस साल दिसंबर तक उसके पास 216 करोड़ से भी ज्यादा डोज होंगे लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उसने हलफनामा दिया तो यह संख्या गिरकर 135 करोड़ पर आ गई। इसी से पता चलता है कि कथनी और करनी में कितना अंतर है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दुनिया में अब भी कोरोना और इसके अलग-अलग म्यूटेंट से बचाव का एक ही कारगर रास्ता है- वैक्सिनेशन। इसके बूते कई देशों ने बार-बार आने वाली लहरों को रोकने में कामयाबी पाई है। प्रमुख देशों के आंकड़े बताते हैं कि जहां-जहां 20 फीसदी लोगों का वैक्सिनेशन हो चुका है, वहां कोरोना की संभावित लहर नहीं आई। उस लिहाज से तो भारत में 21 फीसदी से ज्यादा लोगों का वैक्सिनेशन हो चुका है, लेकिन वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाली आबादी का प्रतिशत अभी 4 फीसदी पर ही है। फिर भी हम निश्चिंत होकर नहीं बैठ सकते क्योंकि तबाही मचाने वाला डेल्टा वेरिएंट अपना रूप और भी बदल चुका है और अब डेल्टा प्लस अपने डैने फैला रहा है। ऐसे में वैक्सिनेशन पर सब्जबाग दिखाना क्या सही है?

सरकार वैसे तो दावा कर रही थी कि इस साल दिसंबर तक उसके पास 216 करोड़ से भी ज्यादा डोज होंगे लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उसने हलफनामा दिया तो यह संख्या गिरकर 135 करोड़ पर आ गई। इसी से पता चलता है कि कथनी और करनी में कितना अंतर है।

डेल्टा वेरिएंट का खौफ

भारत में दूसरी लहर के दौरान तबाही मचाने में डेल्टा वेरिएंट का ही हाथ था और इसी का एक म्यूटेशन है डेल्टा प्लस जिसके मामले सामने आने लगे हैं। इसके बारे में अभी बहुत ज्यादा आंकड़े नहीं, लिहाजा कुछ भी बोलना मुश्किल है।

नए लक्षण

कोरोना मरीजों में पेट दर्द और मल में खून के लक्षण भी देखने को मिले हैं। अब तक ऐसे पांच केस सामने आए हैं। सभी में ये लक्षण संक्रमण के 20-30 दिन बाद उभरे हैं। विशेषज्ञ इन मामलों पर नजर रखे हुए हैं क्योंकि आने वाले समय में यह कैसे और कितना खतरनाक हो सकता है, अभी पता नहीं।

वैक्सीन है जरूरी

भारत में सबसे ज्यादा कोवीशील्ड वैक्सीन दी गई है और इसे डेल्टा के खिलाफ 70 फीसदी कारगर पाया गया है। हां, डेल्टा प्लस से जुड़ा कोई आंकड़ा नहीं जिससे कोई नतीजा निकाला जा सके।


कई देशों ने रोकी लहर

अमेरिका में औसतन हर तीसरे माह कोरोना की लहर आ रही थी। एक से उबरे नहीं कि दूसरी और दूसरी से निकले नहीं कि तीसरी। लेकिन वहां पांच माह से ज्यादा समय बीत चुका है और कोई लहर नहीं आई।

इटली

इटली में दूसरी लहर 3 और तीसरी चार माह बाद आई यानी जैसे-जैसे वैक्सिनेशन का प्रतिशत बढ़ता गया, लहरों के आने का अंतराल बढ़ता गया। ब्रिटेन में हर तीन माह में लहर आती रही, लेकिन 20 फीसदी आबादी को टीका मिल जाने के बाद नए केसों में कमी आई। पहले जहां 65 हजार मामले आ रहे थे, अब इसके 10 हजार के आसपास आ जाने का अनुमान है।

फ्रांस

तीन माह पर आई थी लहर। बीस फीसदी वैक्सिनेशन के बाद चार माह हो गए लकिन और लहर नहीं आई।

ब्राजील से सीख

ब्राजील में 30 फीसदी आबादी को कम-से-कम पहला डोज लग चुका है। फिर भी वहां चौथी लहर चल ही रही है। हालांकि, ब्राजील में बड़ी संख्या में लोगों को चाइनीज वैक्सीन लगाई गई जिसकी क्षमता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। एक और वजह यह भी हो सकती है कि जब वैक्सिनेशन शुरू हुआ तो पहले से ही लहर चल रही थी जिसके कारण संभव है कि असर नहीं दिख रहा हो।

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Published: 03 Jul 2021, 8:55 AM