कोरोना वायरस ने भारतीय उपभोक्ताओं को स्थायी रूप से बदला, ऑनलाइन शॉपिंग और स्थानीय ब्रांडों पर भरोसा बढ़ा

सर्वेक्षण में पाया गया कि कोरोना ने लोगों को ऑनलाइन खरीदारी के लिए प्रेरित किया है। अब उपभोक्ता पहले से अधिक सामाजिक, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और स्वास्थ्य के लिहाज से विकल्प चुन रहे हैं। सर्वे में स्थानीय वस्तुओं और स्थानीय ब्रांडों की मांग भी बढ़ी है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

कोरोना वायरस महामारी ने भारत में उपभोक्ताओं के व्यवहार को स्थायी रूप से बदल दिया है। सोमवार को एक रिपोर्ट में सामने आया है कि एक सर्वे में शामिल 90 प्रतिशत लोगों में उनके रहने, काम करने और खरीदारी के तरीके में ऐसे स्थायी बदलाव आए हैं, जो अब शायद महामारी फैलने के पहले के दिनों की तरह फिर से नहीं हो पाएंगे।

एक्सेंचर की 'कोविड-19 कंज्यूमर पल्स रिसर्च' के अनुसार, 85 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खरीदारी की। वहीं 85 फीसदी ने कहा कि उन्होंने खाने की बर्बादी को रोकने पर फोकस किया। यह सर्वे मार्च और जून के बीच भारत में 2,500 (वैश्विक स्तर पर कुल 45,000 के बीच) उपभोक्ताओं के बीच किया गया था।

भारत में एक्सेंचर के स्ट्रेटजी और कंसल्टिंग के मैनेजिंग एडिटर अनुराग गुप्ता ने कहा, "कोरोना महामारी ने ब्रांड लॉयलिटी को लेकर खासा बदलाव लाया है, अब उपभोक्ता पहले से अधिक सामाजिक, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और स्वास्थ के लिहाज से बेहतर विकल्प चुन रहे हैं।" उपभोक्ता खाद्य पदार्थों की बर्बादी रोकने के लिए सीमित खरीदारी कर रहे हैं।

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि महामारी ने लोगों को ऑनलाइन किराने का सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया है। इस दौरान 71 प्रतिशत ने ब्रांड को और 75 फीसदी ने कीमत के प्रति जागरूकता दिखाई। सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में स्थानीय वस्तुओं और स्थानीय ब्रांडों की मांग बढ़ रही है।

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