राजस्थान का कोरोना केयर सेंटर बना मिसाल, संगीत और योग के साथ लोगों को मिल रहा उनकी पसंद का खाना
राजस्थान के डूंगरपुर जिले में बनाया गया कोविड केयर सेंटर एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है, क्योंकि यहां रहने वाले लोगों के लिए संगीत, ध्यान और एरोबिक्स जैसी गतिविधियों के साथ उनका भरपूर ख्याल रखा जा रहा है। यही नहीं यहां रहने वाले लोगों को अपनी पसंद का भोजन भी मुहैया कराया जा रहा है।
राजस्थान के डूंगरपुर जिले में बनाया गया कोविड केयर सेंटर एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है, क्योंकि यहां रहने वाले लोगों के लिए संगीत, ध्यान और एरोबिक्स जैसी गतिविधियों के साथ उनका भरपूर ख्याल रखा जा रहा है। यही नहीं यहां रहने वाले लोगों को अपनी पसंद का भोजन भी मुहैया कराया जा रहा है।
पारदा चुंडावत नामक इस एकांतवास केंद्र का शांत वातावरण है, जहां लोग सुखदायक संगीत सुनते हुए जागते हैं। इसके बाद उनके लिए योग और ध्यान कक्षाओं का आयोजन होता है, जहां वे अपने दिमाग से नकारात्मकता को दूर करने के लिए व्यायाम करते हैं।
इस केंद्र में भर्ती होने वालों का दैनिक कार्यक्रम काफी प्रभावशाली है। वे सुबह छह बजे मधुर भजनों को सुनते हुए उठते हैं। इसके तुरंत बाद दो योग कक्षाएं होती हैं। एक कक्षा उन लोगों के लिए रखी जाती है, जो इमारत के अंदर (इनडोर) व्यायाम करना पसंद करते हैं, जबकि दूसरी कक्षा उन लोगों के लिए है, जो खुले आसमान के नीचे योग करना पसंद करते हैं।
यहां रह रहे लोग योग करते समय सामाजिक दूरी के सभी दिशा-निदेशरें का बखूबी पालन करते हैं। योग के तुरंत बाद, वे एरोबिक्स के लिए जाते हैं, जहां वे अपने शरीर को अलग-अलग संगीत की धुन (बीट्स) पर तालबद्ध रूप से लचकाते हैं।
इन सभी गतिविधियों के बाद उन्हें अपनी पसंद का नाश्ता मिलता है और दोपहर में भोजन परोसा जाता है। दोपहर के भोजन के बाद वे कुछ समय सुस्ताते हैं और इसके बाद शाम पांच बजे एक और दिलचस्प गतिविधि का समय हो जाता है, जहां वे एक साथ बैठकर किशोर कुमार, रफी, आशा भोंसले, लता मंगेशकर सहित कई प्रसिद्ध गायकों के अपने पसंदीदा गीत सुनते हैं।
यहां बच्चों के लिए भी विशेष खेल और गतिविधियां कराई जाती हैं, जिनमें वर्तनी, समानार्थक शब्द, उच्चारण, पेंटिंग आदि शामिल हैं। सबला के सब डिविजनल ऑफिसर (एसडीओ) और इस केंद्र के इंचार्ज मनीष फौजदार का कहना है कि बच्चे इस माहौल में वाकई बहुत घुल-मिल गए हैं। इसके अलावा यहां मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ लोगों को परामर्श भी देते हैं।
डूंगरपुर में सूचना एवं लोक संपर्क विभाग की सहायक निदेशक छाया चौबीसा ने कहा, "यहां आने वाले लोग अपने भविष्य के जीवन, अपने जीवनसाथी और परिवारों के बारे में काफी चिंतित हैं। ये काउंसलर उन्हें वैज्ञानिक तथ्यों के साथ ध्यान से जुड़ने में मदद करते हैं, जिससे वह आनंदित महसूस करते हैं और उन्हें तनाव से भी छुटकारा मिलता है।"
फौजदार कहते हैं कि जब लोग यहां आए थे तो ये काफी व्यथित और क्रोधित थे। उन्होंने कहा, "हमने उनकी आंखों और दिमाग में एक अनजाना डर देखा था। इसलिए हमने कुछ गतिविधियों की शुरूआत की, जो उन्हें तनाव से छुटकारा दिलाती हैं और मानसिक शांति प्रदान करती हैं।"
जिला कलेक्टर कानाराम भी यहां का दौरा कर चुके हैं और उन्होंने ऐसी खास गतिविधियों की प्रशंसा भी की है।
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