मणिपुर में विस्थापितों के लिए उखरूल में राहत शिविर बनाने पर विवाद, नागा संगठन ने विरोध का किया ऐलान
टीएनएल ने एक बयान में कहा कि उखरूल जिले में अर्द्ध स्थायी राहत शिविर की स्थापना और संचालन में अन्य जिलों के विस्थापित व्यक्तियों को वहां नहीं रखना चहिए। मणिपुर में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए सरकार को विस्थापितों को उनके मूल स्थान पर रखना चहिए।
मणिपुर के उखरूल जिले में अन्य जिलों के विस्थापित लोगों के लिए एक अर्ध स्थायी राहत शिविर स्थापित करने के सरकार के फैसले का एक नागा संगठन ने कड़ा विरोध किया है। तांगखुल नागा लॉन्ग (टीएनएल) ने बयान जारी कर इस फैसले का विरोध करने का ऐलान किया है और कहा है कि इससे जो भी स्थिति उत्पन्न होगी, उसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
तांगखुल नागा लॉन्ग (टीएनएल) ने मणिपुर गृह विभाग की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने उखरुल जिले सहित मणिपुर के विभिन्न जिलों में अर्ध-स्थायी राहत शिविर स्थापित करने का निर्णय लिया है। टीएनएल ने एक बयान में कहा कि उखरूल जिले में अर्ध स्थायी राहत शिविर की स्थापना और संचालन में अन्य जिलों के विस्थापित व्यक्तियों को वहां नहीं रखना चहिए। मणिपुर में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए सरकार को विस्थापितों को उनके मूल स्थान पर रखना चहिए।
टीएनएल ने कहा कि अगर किसी अन्य जिले के विस्थापित व्यक्ति को उखरुल जिले में रखा जाता है तो टीएनएल इसका विरोध करेगी और इससे जो भी स्थिति उत्पन्न होगी, उसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि नागा लोगों का निवास उखरुल जिले की सीमा नागालैंड और म्यांमार से लगती है।
मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह ने पहले घोषणा की थी कि 3 मई को हुई जातीय हिंसा में विस्थापित हुए लोगों के लिए 4,000 पूर्वनिर्मित अस्थायी घरों का निर्माण किया जाएगा। सरकार ने निर्माण सामग्री एकत्र करने और अस्थायी घर स्थापित करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। मणिपुर में जातीय संघर्ष के मद्देनजर विभिन्न समुदायों के लगभग 50,650 पुरुष, महिलाएं और बच्चे हिंसा में विस्थापित हुए हैं, जो स्कूलों, सरकारी भवनों और सभागारों सहित 50 शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
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