कांग्रेस का PM से सवाल- गरीबों को सुविधा देना 'रेवड़ी' तो अमीरों को मुफ्त में दिए जाने वाले 'गजक' पर कब होगी बहस?

कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने कहा कि जो बट्टे खाते में 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपया सरकारी बैंकों का डूबा है उस गजक के बारे में प्रधानमंत्री जी बताएं कि इस पर कब बहस होगी? आपको तकलीफ यह हो रही है कि किसान से एमएसपी पर अनाज खरीदा जा रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ‘रेवड़ी कल्चर’ वाले बयान पर घेरा है। कांग्रेस नेता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस से बात की। उन्होंने कहा, “देश में इस बार 14 जनवरी के पहले रेवड़ियों की चर्चा बहुत हो रही है। लेकिन समस्या यह है कि देश की सरकार को मुफ्त की रेवड़ियां तो दिखती हैं। लेकिन जो मुफ्त की गजक बंट रही है, वह उन्हें दिख नहीं रही है। आप कहेंगे कि रेवड़ी और गजक में क्या अंतर है? रेवड़ी गुड़, चाशनी, तिल और घी के मिश्रण से बनती है। उस एक मिश्रण से, जिससे एक गजक बनती है, उसमें सैकड़ों रेवड़ियां बन जाती हैं। अगर मुफ्त की रेवड़ियां खराब हैं तो मोदी जी मुफ्त की गजक कैसे अच्छी हो गई?”

उन्होंने कहा, “दूसरा बात यह है कि देश को रेवड़ी कल्चर नहीं, झूठ की गठरी कल्चर से मुक्त कराना है। आज पूरा डाटा के साथ मैं आपके सामने बात रखूंगा। मुफ्त कि रेवड़ियां खराब है और मुफ्त की गजक अच्छी? रेवड़ियां खराब और झूठ की गठरी कल्चर अच्छी? इस पूरे मुद्दें पर आज हम बात करेंगे।”


गौरव वल्लभ ने कहा, “खाद्य सुरक्षा अधिनियम यूपीए सरकार द्वारा 2013 में लाया गया और उसी को आधार बनाकर कोरोना काल में आपदा के समय केंद्र सरकार ने लोगों के घरों में राशन पहुंचाने का काम किया। 80 करोड़ लोगों को उससे लाभ मिला। मतलब 60 फीसदी देश की जनता को राशन पहुंचाने का काम खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत किया गया। मतलब यह कि यूपीए के दौरान जो खाद्य सुरक्षा अधिनियम बना उसके जरिए राशन पहुंचाने का काम हुआ। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आप एक तरफ आपदा के समय राशन दे रहे हो। दूसरी तरफ उस राशन को एमएसपी पर किसानों से खरीद रहे हो। वो तो हो गई रेवड़ी कल्चर।”

कांग्रेस नेता ने कहा, “वहीं, दूसरी तरफ 10 लाख करोड़ रुपये का बट्टे खाते में डालना, उस गजक कल्चर पर प्रधानमंत्री जी कब बहस होगी? आप कहेंगे बट्टे खाते में डालना और लोन माफी में अंतर होता है। बहुत सही सवाल है। बट्टे खाते में डालना अलग बात होती है। लोन माफ करना अलग बात होती है। अभी संसद में सरकार ने खुद बताया कि पिछले 5 सालों में 10 लाख करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते में डाला गया, जिसमें 7 लाख 27 हजार करोड़ का लोन सरकारी बैंकों ने बट्टे खाते में डाला। उसी पांच सालों में सरकारी बैंकों ने उस बट्टे खाते में डाले गए लोन में से मात्र 1 लाख 3 हजार करोड़ रिकवर किया। 7 लाख 27 में से 1 लाख 3 हजार करोड़ ही रिकवर किया गया। जितना सरकारी बैंकों ने बट्टे खाते में डाला, रिकवरी मात्र 14 फीसदी हुई। मान लेते हैं कि आने वाले समय में 6 फीसदी और वह रिकवरी कर लेंगे। ऐसा मान लेता हूं कि कुल 20 फीसदी रिकवरी हो जाएगी। बावजूद इसके 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का लोन तो डूब जाएगा। लोन का पैसा जब सरकारी बैंकों का डूबा तो किसका डूबा? हर उस करदाता का डूबा जिसने केंद्र सरकार को समय पर जीएसटी दी। हर उस किसान का पैसा डूबा जिसने अपने ट्रैक्टर में डीजल भरवाए तो केंद्र सरकार को एक्साइज ड्यूटी का पैसा दिया।”


गौरव वल्लभ ने आगे कहा, “जो बट्टे खाते में 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपया सरकारी बैंकों का डूबा है उस गजक के बारे में बहस कब होगी प्रधानमंत्री जी? आपको तकलीफ यह हो रही है कि किसान से एमएसपी पर अनाज नहीं खरीदा जाना चाहिए। क्योंकि वह मुफ्त की रेवड़ी है। आपको तकलीफ यह है कि आपदा के समय लोगों को फ्री राशन पहुंचाना बंद करना है, क्योंकि वह मुफ्त की रेवड़ी है। लेकिन यह 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपये जो सरकारी बैंकों का पिछले 5 सालों में डूब गया उस मुफ्त की गजक का हिसाब कौन देगा?”

उन्होंने कहा, “दूसरा एक और उदाहरण देता हूं। यूपीए सरकार ने 2005 में मनरेगा एक्ट लाकर ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिनों का रोजगार देने की गारंटी दी। उस मनरेगा से लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी हुआ। आपके हिसाब से मनरेगा मुफ्त की रेवड़ी है? लेकिन 2019 में जब कॉरपोरेट टैक्स रेट को कट किया गया, जिसके कारण प्रति वर्ष भारत सरकार को 1 लाख 45 हजार करोड़ का नुकसान है उस मुफ्त की गजक के बारे में कोई बहस नहीं हुई। क्यों मोदीजी, उनसे ऐसा क्या रिश्ता है? उन गजक खाने वाले लोगों से आपका क्या रिश्ता है? 2019 में कोरोना से पहले केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स की जो रेट थी उसे कम किया।”


कांग्रेस नेता ने कहा, “सरकार के उस फैसले से देश के सिर्फ एक फीसदी कॉरपोरेट को फायदा मिला। कॉरपोरेट टैक्स में कमी करने की वजह से देश की सरकार को प्रति वर्ष 1 लाख 45 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उस मुफ्त की गजक के बारे में हिसाब कौन देगा? मिड-डे-मील, जिसमें 12 करोड़ बच्चों को प्रति दिन भोजन दिया जाता है वह मुफ्त की रेवड़ी है, लेकिन 1 लाख 45 हजार करोड़ रुपये को केंद्र सरकार ने छोड़ दिया उस मुफ्त की गजक के बारे में कोई बहस नहीं हुई। अगर मुफ्त की रेवड़ी खराब है तो यह मुफ्त की गजक अच्छी कैसे? इसे कब रोका जाएगा?”

गौरव वल्लभ ने पीएम मोदी को उनके द्वारा किए गए वादों की याद दिलाई, जिसके पूरा होने का सपना पीएम मोदी ने देशवासियों को दिखाया था। गौरव वल्लभ ने कहा, "तीसरी बात यह है कि रेवड़ी कल्चर से ज्यादा झूठ की गठरी कल्चर से देश ज्यादा परेशान है। झूठ की गठरी कल्चर से देश को मुक्त कराना बहुत जरूरी है। दो दिन बाद हम देश की स्वाधीनता के 75 वर्ष मनाएंगे। जिस दिन देश आजादी के 75 वर्ष मनाएगा उस दिन हमारे प्रधानमंत्री जी उदास रहेंगे। आप पूछेंगे की पीएम मोदी उदास क्यों रहेंगे? क्योंकि प्रधानमंत्री जी का सपना था कि 2022 में जब स्वाधीनता दिवस मनाएं तो उस समय हर भारतीय के पास घर हो। इस झूठ की गठरी कल्चर से देश कब मुक्त होगा? प्रधानमंत्री जी का सपना था कि 2022 में किसानों की आय डबल हो जाए। उस झूठ की गठरी कल्चर से यह देश कब मुक्त होगा? प्रधानमंत्री जी का सपना था कि 2022 में अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन में हम लोग सफर करें। इस झूठ की गठरी कल्चर से यह देश कब मुक्त होगा? प्रधानंत्रीजी का सपना था कि 2022 में भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाए। इस झूठ की गठरी कल्चर से देश कब मुक्त होगा? प्रधानमंत्रीजी से मैं पूछता हूं कि आपके इतने सारे सपने पूरे नहीं हुए, बताइए आप कितने उदास होंगे।?”

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