सियाचिन में जवानों को जरूरी कपड़े-खाना नहीं मिलने का मुद्दा कांग्रेस ने लोकसभा में उठाया, इसे बताया शर्मनाक

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सियाचिन में जवानों को जरूरत के हिसाब से कपड़े खाने नहीं मिलने के मुद्दे को उठाया है। बीते दिनों सियाचिन में तैनात उत्तराखंड के टिहरी जिले के निवासी जवान की अत्यधिक ठंड और ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत हो गई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सियाचिन में जवानों को जरूरत के हिसाब से कपड़े खाने नहीं मिलने के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने सदन में कहा कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जवानों को जरूरत के हिसाब से कपड़े और खाने नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार विज्ञापन करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन जवानों को जरूरी चीजें मुहैया नहीं करा रही है। यह बेहद शर्मनाक है।

बीते दिनों सियाचिन में तैनात उत्तराखंड के टिहरी जिले के निवासी जवान की अत्यधिक ठंड और ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत हो गई है। जवान रमेश बहुगुणा फरवरी 2002 में महार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। अगस्त 2019 में उनकी तैनाती सियाचिन में हुई थी। 31 जनवरी को जवान की तबियत बिगड़ने पर उन्हें उपचार के लिए एक फरवरी को चंडीगढ़ सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीन दिन अस्पताल में उपचार के दौरान उन्होंने सोमवार रात को अंतिम सांस ली। चिकित्सकों ने रमेश की मौत का कारण अत्यधिक ठंड और ऑक्सीजन की कमी होना बताया था।


सियाचिन में जवान की मौत का मामला ऐसे समय में सामने आया है। सीएजी यानी कैग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में सियाचिन, लद्दाख और डोकलम में मौजूद सैनिकों को पौष्टिक भोजन की कमी, बर्फ पर चमकती तेज धूप से बचने के लिए लगाए जाने वाले खास चश्मे और ठंड से बचने के लिए कपड़े और जूते तक न मिल पाने का दावा किया था। कैग ने खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा है कि जवानों को चार सालों तक बर्फीले स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़ों और दूसरे सामानों की तंगी झेलनी पड़ी है। कैग की ये रिपोर्ट सोमवार को संसद में पेश की गई।

कैग की रिपोर्ट को सोमवार को संसद के दोनों सदनों में पेश किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2015 से लेकर सितंबर 2016 तक जवानों को जूता नहीं दिया गया। इस वजह से जवानों को पुराने जूतों को ही रिसाइकल कर काम चलाना पड़ा। कैग ने अपने रिपोर्ट में कहा, “सामानों की खरीद में कमी, पुराने चीजों की सप्लाई या फिर पूरी तरह से सप्लाई बंद होने की वजह से ऊंचे स्थानों पर तैनात जवानों की सेहत और स्वास्थ्य प्रभावित हुए।”

कैग ने जानकारी दी मार्च 2019 में रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया था कि बजट की तंगी और आर्मी की जरूरतों में बढ़ोतरी की वजह से जवानों को ये किल्लत हुई। रिपोर्ट में कहा गया कि 2017 में बर्फीले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सामान की मांग बढ़कर 64,131 हो गई। इस वजह से सेना मुख्यालय में इन सामानों की कमी हो गई। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने कहा कि धीरे-धीरे इन कमियों को पूरा कर लिया जाएगा।

बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने साल 2015-16 से लेकर 2017-18 तक जवानों को सामानों की हुई किल्लत को लेकर पिछले साल मार्च 2019 में सफाई दी थी।

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