मन की बात में हरियाणा में बलात्कार की घटनाओं पर जवाब दें पीएमः कांग्रेस
हरियाणा में लगातार जारी बलात्कार की घटनाओं पर कांग्रेस ने एक बार फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। कांग्रेस ने पीएम से अपने मन की बात में इस मुद्दे पर जवाब देने की मांग की है।
राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और सासंद सुष्मिता देव ने हरियाणा में जारी बलात्कार की घटनाओं पर कहा कि हरियाणा में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक हालत में है। उन्होंने कहा, “वास्तव में यह देश का ‘रेप कैपिटल’ बनता जा रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरसी मिश्रा का व्यवहार इस मामले में चौंकाने वाला है। मुख्यमंत्री का ध्यान इस तरह के अपराधों पर लगान लगाने की बजाय राजनीतिक बयानबाजी और राजनीतिक दांव खेलने पर ही केंद्रित है।”
बलात्कार पीड़िताओं का परिवार मामले में निष्पक्ष सुनवाई की मांग कर रहा है। एक प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा, सुष्मिता देव और हरियाणा की कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने कहा कि सरकार चार लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान कर इस मुद्दे से हाथ नहीं झाड़ सकती है। सुष्मिता देव ने कहा, “कुरुक्षेत्र गैंगरेप में मारी गई पीड़िता पढ़ने में काफी तेज थी, उसने स्कूल में 95 प्रतिशत नंबर हासिल किया था। सरकार को पीड़ित परिवारों के एक सदस्य को स्थायी नौकरी देनी चाहिए।”
महिला कांग्रेस अध्यक्ष देव ने सवाल उठाया, “इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं। उन्हें इस मुद्दे को अपने मन की बात में शामिल करना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री को क्या लक्ष्य दिए गए हैं। देश के लोग यह जानना चाहते हैं। ये वही पार्टी है, जिसने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा उछाला था। यह कुछ और नहीं बस एक और 'जुमला' भर है।”
हरियाणा में 12 दिनों में 10 बलात्कार की घटनाएं सामने आई हैं। यह एक ऐसा राज्य है, जहां हर 8 घंटे पर एक बलात्कार होता है। सुष्मिता देव ने कहा, “यह एक गंभीर स्थिति है। मुख्यमंत्री राज्य के गृह मंत्री हैं, इसलिए सीधे तौर पर यह उनकी जिम्मेदारी है। राज्य में मिश्रा जैसे पुलिस अधिकारी भी हैं, जिन्होंने यह कहते हुए इस मामले को मामूली बताया है कि ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। यह इन लोगों की मानसिकता है। मिश्रा को हटाया जाना चाहिए।”
मुख्यमंत्री खट्टर के इस्तीफे की मांग करते हुए कुमारी शैलजा ने कहा, “2014 के बाद से हर साल महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी हुई है। ये वे मामले हैं जिनमें शिकायतें दर्ज हुई हैं, लेकिन उन मामलों का क्या जिनकी शिकायत भी दर्ज नहीं होती। यह राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति है। हमें नहीं लगता है कि महिला सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर है।”
अपने चुनाव प्रचार में खट्टर ने कहा था कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को गंभीरता से लिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी लगाए जाएंगे, उन्हें आत्मरक्षा के गुण सिखाए जाएंगे और महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों को गंभीरता से लिया जाएगा। सुष्मिता देव ने सवाल किया, “जब निर्भया मामला हुआ था, तो बीजेपी नेताओं ने मनमोहन सिंह और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का इस्तीफा मांगा था, अब क्या हुआ।”
हरियाणा के तोशाम से कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने कहा, “इस तरह के मामलों में सरकार की तरफ से कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई है। पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि इस तरह के अपराध सामान्य बात हैं। उन्हें पता है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। आखिर चुनी हुई सरकार क्यों है, जब वह अपना काम नहीं कर सकती? हम विधानसभा को चलने नहीं देंगे। यह हमारी बेटियों का सवाल है। पूरे हरियाणा को पता चलना चाहिए कि यह सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।”
17 जनवरी को कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी से मुलाकात कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली सरकार से इस्तीफा लेकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की थी।
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