कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का 10 सितंबर को भारत बंद, कहा- जनता महंगाई से त्रस्त, मोदी जी जुमलेबाज़ी में मस्त
रुपए में जारी ऐतिहासिक गिरावट, तेल कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी और आम इस्तेमाल की वस्तुओं की कीमतों उछाल के खिलाफ कांग्रेस ने देश के विपक्षी दलों के साथ मिलकर 10 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। कांग्रेस ने इस बंद में सभी समाजसेवियों और कार्यकर्ताओं से शामिल होने की अपील की है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी, रुपए में लगातार जारी गिरावट और इस मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार की निरंकुशता के खिलाफ 10 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। गुरुवार को दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत, रणदीप सुरजेवाला, मोतीलाल वोरा, अहमद पटेल और मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के कारण देश त्राहिमाम कर रहा है।
कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि, “देश परेशान है मंहगाई से लेकिन सरकार खामोश है। कांग्रेस पार्टी ने तय किया है कि विपक्षी दलों के साथ मिलकर इस सरकार को जगाने के लिए सोमवार 10 सितंबर को भारत बंद किया जाए ताकि देश के लोगों के आक्रोश की भावनाओं का आदर करते हुए उन्हें इंसाफ दिलाया जाए।“ अशोक गहलोत ने कहा, “यह बंद सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक होगा ताकि आम लोगों को ज्यादा परेशानी न हो। साथ ही सभी पेट्रोल पंपों पर धरना भी दिया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि, “यूपीए शासन में कई बार कीमतें बढ़ी थीं, लेकिन सरकार को आम लोगों की चिंता थी और सरकार ने समय रहते एलपीजी के दाम कम किए, एक्साइज़ ड्यूटी घटाई। लेकिन यह सरकार भी चाहे तो कीमतें कम कर सकती है, लेकिन उसे आम लोगों की परेशानियों की कोई चिंता नहीं है।“
प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस मीडिया सेल प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने अपनी बात की शुरुआत चार शब्दों से की। उन्होंने कहा कि, “आज देश में जो माहौल है उसे चार शब्दों में बयान किया जा सकता है।- गिरता रुपया, महंगा तेल, मोदी जी के भाषण फेल।” उन्होंने आगे कहा कि, “पेट्रोल 80 के पार, डीज़ल और रुपया 72 के पार, देश की जनता पर रोज हो रहा वार, जनता महंगाई से त्रस्त, मोदी जी जुमलेबाजी में मस्त।” सुरजेवाला ने कहा कि यूपीए शासन और मोदी सरकार के साढ़े चार साल की तुलना करते हुए बताया कि मोदी सरकार ने साढ़े 4 साल में तेल पर टैक्स लगाकर करीब 11 लाख करोड़ कमाया। उन्होंने कहा कि, “देशवासियों से कहा गया था कि यह कुर्बानी राष्ट्र हित में दे रहे हैं। लेकिन आम लोगों की जेब पर डाका डालकर और बजट बिगाड़कर जो बोझ डाला गया, वह पैसा किसकी जेब में गया? मोदी जी इसका जवाब नहीं दे पाए।”
सुरजेवाला ने बताया, “16 मई 2014 को पेट्रोल की कीमत 51 रुपए प्रति लीटर के करीब थी, आज 79 रुपए से ज्यादा हो गई है। यानी साढ़े चार साल में एक लीटर पेट्रोल करीब 28 रुपए महंगा हो गया। इसी तरह 16 मई 2014 को एक लीटर डीज़ल 44 रुपए 40 पैसे प्रति लीटर था, जो आज 71 रुपए 55 पैसे है। इसमें 27 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई। आखिर तेल कीमतों में करीब 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी से आया पैसा कहां गया?”
सुरजेवाला ने बताया कि मई 2014 से अब तक मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी में 214 फीसदी का इजाफा किया है। उन्होंने कहा कि मई 2014 में एक लीटर पेट्रोल पर 9 रुपए 20 पैसे एक्साइज़ ड्यूटी लगती थी जो अब बढ़कर 19 रुपए 48 पैसे हो गई है। वहीं डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी में 444 फीसदी बढ़ोत्तरी कर सरकार ने इसे 3 रुपए 46 पैसे प्रति लीटर से बढ़ाकर 15 रुपए 33 पैसे प्रति लीटर कर दिया है। सुरजेवाला ने जानकारी दी कि बीते साढ़े चार साल में सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल पर 12 बार एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाई और करीब 11 लाख करोड़ रुपए आम लोगों की जेब से लूट लिए।
कांग्रेस ने कहा कि इस बारे में सवाल पूछने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली जी कहते हैं कि उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार के दौर में कच्चे तेल की कीमत औसतन 108 डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि मोदी सरकार के दौर में कच्चा तेल औसतन 60 डॉलर प्रति बैरल है, फिर भी कीमतों में आग लगी है। मोदी सरकार के पास इसका क्या जवाब है।
सुरजेवाला ने बताया कि, “एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि भारत 29 देशों को तेल बेचता है जिसकी कीमत भारत के मुकाबले 34 और 37 रुपए सस्ता बेचती है। आखिर देशवासियों के साथ ऐसा अन्याय क्यों?” उन्होंने कहा कि सिर्फ तेल ही नहीं, आम इस्तेमाल की हर वस्तु के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि दूध 2014 में 40 रुपए था जो 55 रुपए पहुंच गया, रसोई गैस सिलेंडर 400 के आसपास था जो 800 के करीब पहुंच गया, दाल 70 रुपए से बढ़कर 160 रुपए पहुंच गई, रेल किराया बढ़ गया। उन्होंने कहा कि, “महंगाई की मार, ऐसी है मोदी सरकार”
सुरजेवाला ने बताया कि पिछले साल से कांग्रेस अध्यक्ष और अन्य नेता लगातार सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाएं, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने बताया कि जीएसटी के दायरे में आने के बाद 10 से 15 रुपए प्रति लीटर की कमी होने की संभावना है।
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