अडानी मामले पर पीएम मोदी से कांग्रेस ने फिर पूछे 3 सवाल- LIC ने जोखिम भरे समूह में भारी निवेश कैसे किया?
कांग्रेस ने एक दिन पहले अडानी मामले पर पीएम मोदी से सीधे सवालों की सीरीज शुरू की है। सवालों की पहली कड़ी में रविवार को कांग्रेस ने पूछा था कि आपकी खामोशी में यह सवाल लाजिमी है कि आप अडानी के हैं कौन!
अडानी मामले पर यूं तो अभी तक वित्त मंत्री, आरबीआई, सेबी और वित्त मंत्रालय ने गोलमोल जवाब दिए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक इस पूरे मामले पर संदिग्ध खामोशी ओढ़े हुए हैं। इसी खामोशी पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने रविवार को ऐलान किया था कि वह प्रधानमंत्री से अडानी मामले पर रोज 3 सवाल पूछेगी। इस सीरीज में आज भी कांग्रेस ने पीएम मोदी के सामने सवाल रखे हैं और उनके जवाब मांगे हैं।
कांग्रेस नेता और कम्यूनिकेशन प्रभारी जयराम रमेश ने आज दूसरे दिन प्रधानमंत्री से तीन सवाल पूछे हैं। प्रेस रिलीज में जयराम रमेश ने कहा कि "जैसा कि कल वादा किया गया था, यह है, आज का, आपके लिए तीन प्रश्नों का सेट। इसलिए अब तो बताइए-आप अडानी के हैं कौन।" इसी के साथ ही जयराम रमेश ने आज की सीरीज में जो तीन सवाल पूछे हैं, उनमें पहले सवाल के तौर पर उन्होंने पूछा है कि:
1. आपकी सरकार का आईडीबीआई बैंक, न्यू इंडिया एश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन जैसे असफल विनिवेशों को एलआईसी निधियों का उपयोग करके उबारने का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को उबारना एक बात है और अपने दोस्तों को समृद्ध बनाने के लिए 30 करोड़ वफादार पॉलिसीधारकों की बचत का उपयोग करना दूसरी बात है। एलआईसी ने जोखिम भरे अडानी समूह में इतना भारी निवेश कैसे किया कि निजी फंड मैनेजरों ने भी इससे (अडानी से) किनारा कर लिया था?
क्या यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य नहीं है कि महत्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान अपने निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में अपने निवेश में अधिक रूढ़िवादी हैं? या फिर यह आपके "मन की बैंकिंग" का एक और मामला था जिससे आप अपने मित्रों को लाभान्वित कर सकें?
सवाल नंबर 2:
अडानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप कुछ समय से ज्ञात हैं। अडानी समूह में निवेश करने वाले प्रमुख फंडों के अंतिम लाभकारी मालिक कौन हैं, इस पर कई सवाल उठे हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा अपने अपतटीय निवेशकों (offshore investers) के वास्तविक स्वामित्व सहित चार प्रमुख धोखाधड़ी की जांच की गई है। इस तथ्य को देखते हुए, क्या प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय या खुद एलआईसी में किसी ने इन संदिग्ध निवेशों के बारे में कोई चिंता जताई? क्या ऐसी चिंताओं को खारिज कर दिया गया था और यदि हां, तो किसके द्वारा?
सवाल नंबर 3:
हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद हुई पहली बिकवाली के बाद, एलआईसी द्वारा रखे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 32,000 करोड़ गिर गया, जिससे एलआईसी के स्वयं के प्रवेश द्वारा 27 जनवरी 2023 को उन होल्डिंग्स का मूल्य 56,142 करोड़ हो गया। तब से अडानी इंफ्रास्ट्रक्चर के कई शेयरों में और 50% की गिरावट आई है। क्या आप 24 जनवरी के बाद एलआईसी को अडानी के निवेश से हुए नुकसान की सही सीमा साझा करेंगे?
निफ्टी 50 इंडेक्स में 2% की गिरावट की तुलना में एलआईसी का सूचीबद्ध मूल्य पिछले दो हफ्तों में 14% गिर गया है। चूंकि एलआईसी के गुमराह अडानी निवेश अपने 34 लाख खुदरा शेयरधारकों के विश्वास को आघात पहुंचा रहे हैं, तो क्या आप उनकी चिंताओं को कम करने के लिए, कदम उठाएंगे?
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Published: 06 Feb 2023, 8:46 PM