कांग्रेस-जेडीएस ने मिलकर ध्वस्त कर दी अमित शाह की ‘मास्टर स्ट्रैटजिस्ट’ की छवि

कर्नाटक के सियासी अखाड़े में कांग्रेस-जेडीएस ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की उस छवि की धज्जियां उड़ा दीं जिसमें मुख्यधारा का ज्यादातर मीडिया उन्हें मास्टर स्टैटजिस्ट कहता रहा है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस के लिए यह संतोष भी है और आश्चर्य भी, कि उनका एक भी विधायक कर्नाटक विधानसभा में बहुमत परीक्षण की घड़ी नजदीक आते वक्त गैरहाजिर नहीं था, न ही किसी ने बीजेपी का दामन थामा। जेडीएस के विधायक भी अपनी पार्टी और अपने नए गठबंधन में एकजुट रहे, और उन्होंने बी एस येदियुरप्पा की ढाई दिन की सरकार को ढहा दिया। इतना ही नहीं कांग्रेस और जेडीएस ने बीजेपी की उस अजेय छवि को तहस-नहस कर दिया जिसमें कहा जाता रहा है कि उसे हराया नहीं जा सकता।

कर्नाटक में राजनीतिक घटनाक्रम अब भी तेज़ी से घूम रहा है, लेकिन अभी तक कांग्रेस और जेडीएस दोनों ही उस दबाव से डटकर मुकाबला करने में कामयाब रहे हैं जो बीजेपी से हाथ मिलाने के लिए उन पर केंद्रीय एजेंसियों के जरिए डाला जा रहा था।

संभवत: भारतीय राजनीति के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी विपक्षी दल ने बहुमत के लिए शक्ति परीक्षण में उतरने वाली सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ कम से कम 5 ऑडियो टेप सार्वजनिक कर साबित किया किस तरह वह विरोधी दलों को विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। इन टेप में बीजेपी के नेता विधायकों को तरह-तरह के लालच दे रहे हैं। हालांकि कर्नाटक बीजेपी ने इस टेप को फर्जी बताया, लेकिन फिर भी इन टेप की जांच तो होनी ही चाहिए आखिर वह कौन लोग थे जिन्होंने बहुमत परीक्षण को प्रभावित करने की कोशिश की।

कर्नाटक में अब तक हुई सियासी उठापटक से कुछ बिंदु निकलकर आते हैं:

  • कांग्रेस ने कर्नाटक में उस तेजी और राजनीतिक फुर्ती और नर्मी का प्रदर्शन किया, जो वह गोवा, मणिपुर और गुजरात में करने में चूक गई थी। यहां उसने समय रहते जेडीएस से न सिर्फ हाथ मिलाया, बल्कि उसे यह भरोसा भी दिलाया कि वह उसे समर्थन दे रही है, न कि बड़ा दल होने के नाते सरकार में हिस्सा मांग रही है।
  • कांग्रेस ने बी एस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने के लिए बेहद तेज़ी से सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, नतीजतन सुप्रीम कोर्ट को आधी रात में अदालत लगानी पड़ी। कोई भी क्षेत्रीय दल अपने स्तर पर इतनी तेजी से इस कदम को नहीं उठा सकता था।
  • कांग्रेस ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के मुद्दे पर एक बार फिर राज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, और बदले में उसे विधानसभा की कार्यवाही लाइव टेलीकास्ट कराए जाने का आदेश मिल गया।
  • इस दौरान कांग्रेस ने अपनी संगठनात्मक क्षमता को इस्तेमाल करते हुए सभी विधायकों को सुरक्षित बेंग्लुरु से हैदराबाद शिफ्ट करा दिया, ताकि उन्हें बीजेपी की बुरी नजर से बचाया जा सके
  • कांग्रेस जानती थी कि बीजेपी उसके विधायकों को परिवारों पर दबाव डालेगी या पेशकश करेगी। उसने सुनिश्चित किया कि सभी विधायकों के परिवार वाले किसी भी बीजेपी दूत या नेता का फोन आने पर उसकी रिकॉर्डिंग करें

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Published: 19 May 2018, 5:40 PM