जांच के दायरे में आई 41 कंपनियों ने बीजेपी को चंदे में दिए ₹2,471 करोड़, बदले में मिले लाखों के प्रोजेक्ट
सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने वाले का आरोप है कि, ‘‘बीजेपी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 1,751 करोड़ रुपये का चंदा देने के बदले में उन कंपनियों को परियोजनाओं और अनुबंधों में कुल 3.7 लाख करोड़ रुपये मिले हैं।''
‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग (आईटी) की जांच का सामना कर रही 41 कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 2,471 करोड़ रुपये दिये और इनमें से 1,698 करोड़ रुपये इन एजेंसियों के छापों के बाद दिये गये। सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाले कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को यह दावा किया।
चुनाव आयोग द्वारा इलेक्टोरेल बॉन्ड के नये आंकड़े सार्वजनिक किए जाने के बाद मीडिया से बातचीत में याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कम से कम 30 फर्जी कंपनियों ने 143 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे। उन्होंने कहा कि सरकार से 172 प्रमुख कॉन्ट्रैक्ट और प्रोजेक्ट हासिल करने वाले 33 समूहों ने भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘बीजेपी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 1,751 करोड़ रुपये का चंदा देने के बदले में उन कंपनियों को परियोजनाओं और अनुबंधों में कुल 3.7 लाख करोड़ रुपये मिले हैं।''
प्रशांत भूषण ने यह भी दावा किया कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग द्वारा छापे का सामना करने वाली 41 कंपनियों ने बीजेपी को 2,471 करोड़ रुपये दिए और इसमें से 1,698 करोड़ रुपये इन छापों के बाद दिए गए और छापेमारी के तुरंत बाद तीन महीने में 121 करोड़ रुपये दिए गए। भूषण ने दावा किया कि कल्पतरु समूह ने पिछले साल तीन अगस्त को आईटी विभाग की छापेमारी के तीन महीने के भीतर बीजेपी को 5.5 करोड़ रुपये दिए थे।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘फ्यूचर गेमिंग ने क्रमशः 12 नवंबर, 2023 और एक दिसंबर, 2021 को आईटी और ईडी द्वारा छापा मारे जाने के तीन महीने के भीतर बीजेपी को 60 करोड़ रुपये दिए। अरबिंदो फार्मा ने 10 नवंबर, 2022 को ईडी द्वारा छापा मारे जाने के तीन महीने के भीतर भाजपा को पांच करोड़ रुपये दिए।’’
भूषण ने चुनावी बॉण्ड योजना को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए आरोप लगाया कि इसके जरिये चार श्रेणियों में भ्रष्टाचार किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘पहला है- चंदा दो, धंधा लो। दूसरा है- हफ्ता-वसूली (जबरन वसूली), तीसरा है ठेका लो, रिश्वत दो और चौथा है- फर्जी कंपनी।’’ मामले में याचिकाकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने भी मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की।
उन्होंने कहा, ‘‘जांचकर्ता की जांच कौन करेगा? चुनावी बॉण्ड के माध्यम से किये गये भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक स्वतंत्र एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए।’’
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