डिप्टी सीएम फडणवीस के एजेंडे ही लागू कर रहे हैं सीएम शिंदे: क्या एकनाथ शिंदे सिर्फ कठपुतली हैं!

राजनीतिक विश्लेषक अभिमन्यु शितोले भी कहते हैं कि भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बनने से शिंदे के लिए भाजपा का एजेंडा चलाना मजबूरी है। भाजपा की कठपुतली होने की वजह से शिंदे के लिए कोई ठोस निर्णय लेना मुश्किल है।

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नवीन कुमार

मीडिया पर वायरल दो वीडियो पर आपकी भी नजर जरूर ही गई होगी। इनमें से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। महाराष्ट्रके नए-नए मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे इसमें अपनी बातें रख रहे हैं। उनसे एक मीडियाकर्मी कोई सवाल पूछता है। शिंदे बोलना शुरू करते हैं कि उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस उनके सामने से माइक हटा लेते हैं और जवाब देने लगते हैं। वही , दूसरा वायरल वीडियो महाराष्ट्र विधानसभा का है। इसमें फडणवीस अपनी बात रख रहे हैं। इसी दौरान एकनाथ शिंदे उनसे पूछते हैं कि क्या वह बोल सकते हैं। इस पर फडणवीस इशारा करते हैं कि हां, बोल लो।

शिव सेना से बगावत कर मुख्यमंत्री बनने वाले शिंदे का असली हाल यही है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार में शिंदे जिन परियोजनाओं का विरोध कर रहे थे, अब भाजपा के साथ सरकार बनाकर वह उन परियोजनाओं को ही दोबारा शुरू कर रहे हैं। आखिर, पद पर बने रहने के लिए इसके सिवा उनके पास विकल्प ही क्या है?

2019 में फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर अंतिम फैसला मेट्रो कार शेड बनाने के लिए आरे जंगल जोन के पेड़ों को काटने का लिया था। यह काम भी रात के अंधेरे में किया गया ताकि पर्यावरण एक्टिविस्ट शोर न मचा पाएं। बाद में ठाकरे सरकार ने विधानसभा में पारित प्रस्ताव के आधार पर इस क्षेत्र को संरक्षित जंगल घोषित कर दिया। शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पहला काम इन पेड़ों पर आरी चलाने की अनुमति देने का ही किया। स्वाभाविक है कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े चिंतित लोग इसे बचाने के लिए फिर गोलबंद हो रहे हैं।

वैसे, लगता नहीं कि शिंदे-फडणवीस सरकार को पर्यावरण की कोई चिंता है। फडणवीस ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में रत्नागिरी जिले के नाणार में तीन लाख करोड़ रुपये की प्रस्तावित रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल्स कॉम्लेक्स (आरपीसी) परियोजना पर काफी काम किया था। लेकिन इस परियोजना के कारण पर्यावरण बिगड़ने के डर से स्थानीय लोगों ने विरोध किया था और छह करोड़ मीट्रिक टन सालाना की क्षमता वाली यह परियोजना अभी ठप पड़ी है। आदित्य ठाकरे उद्धव सरकार में पर्यावरण मंत्री थे और उन्होंने विरोध करने वाले लोगों से मिलने के बाद कहा था कि स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर ही इसे चालू किया जा सकता है। लेकिन अब शिंदे ने स्थानीय लोगों से बात किए बिना ही इसे भी चालू करने की घोषणा कर दी है।


यही नहीं, मुख्यमंत्री शिंदे को फडणवीस की महत्वाकांक्षी परियोजना जलयुक्त शिवार को फिर से चालू कराने की घोषणा भी करनी पड़ी है। इस परियोजना के तहत पूरे किए गए 71 प्रतिशत कार्यों में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं सामने आने के बाद उद्धव सरकार ने 2021 में इसे बंद कर दिया था। लेकिन, पता नहीं, शिंदे की सहमति की फिक्र की या नहीं, फडणवीस ने संबंधित विभागीय अधिकारियों को इस परियोजना को दोबारा चालू करने का आदेश भी दे दिया।

कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने इस पर सही टिप्पणी की कि फडणवीस की जलयुक्त शिवार योजना से किसानों को फायदा होने वाला तो नहीं ही था, कैट की रिपोर्ट में भी इसमें आर्थिक गड़बड़ियां सामने आई थीं। फिर भी, इसे दोबारा चालू करना किसी भी तरह उचित नहीं है।

इसी तरह, सब जानते हैं कि बुलेट ट्रेन परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है। इसके निर्माण में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसमें महाराष्ट्र के किसानों और आदिवासियों को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ेगा। यही नहीं, विभिन्न संगठन और संस्थान वर्तमान स्थिति भविष्य की विभिन्न परियोजनाओं के आकलन के आधार पर कहते रहे हैं कि अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन की जरूरत नहीं है क्योंकि हर वर्ग के लिए प्लेन, ट्रेन और सड़क से यात्रा की सुविधाओं में न कोई कमी है, न रहेगी। एक पेंच यह भी है कि केन्द्र सरकार बुलेट ट्रेन टर्मिनल के लिए बांद्रा-कुर्ला परिसर में जगह चाहती है जबकि उद्धव सरकार उस जगह पर ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की वित्तीय सेवाओं की बिल्डिंग बना रही थी। उस वक्त शिंदे इसका समर्थन कर रहे थे लेकिन अब बुलेट ट्रेन परियोजना का रास्ता निकालने की जुगत उन्हें भिड़ानी है।

सुप्रीम कोर्ट से रोक लगने के बाद भी शिंदे ने मराठा आरक्षण और ओबीसी आरक्षण को लागू कराने की बात कही है जबकि उद्धव सरकार ने इसके लिए राज्य के सभी दलों को साथ करके अदालती लड़ाई लड़ी थी। देखना होगा कि शिंदे-फडणवीस सरकार इस पर कैसे अमल करती है।

जब फडणवीस मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि किसानों को कर्जमुक्ति के लिए महाराष्ट्र सरकार के पास पैसे नहीं हैं। उस वक्त किसान बीमा में भी घोटाले सामने आए थे। फिर भी, शिंदे ने कहा है कि वह फडणवीस के दिशा-निर्देश में साथ मिलकर काम करेंगे और महाराष्ट्र को किसान आत्महत्या मुक्त राज्य बनाएंगे।


ऐसी ही घोषणाओं की वजह से एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे कटाक्ष करते हैं कि भाजपा की कृपा से मुख्यमंत्री बन गए शिंदे उद्धव सरकार में लगभग नंबर 2 की स्थिति में थे। उन्हें पता है कि भाजपानीत परियोजनाओं से राज्य को किस तरह का नुकसान हो रहा था और राज्य की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में, समझा जा सकता है कि वह महज कुर्सी बचाए रखने के लिए यह सब कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक अभिमन्यु शितोले भी कहते हैं कि भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बनने से शिंदे के लिए भाजपा का एजेंडा चलाना मजबूरी है। भाजपा की कठपुतली होने की वजह से शिंदे के लिए कोई ठोस निर्णय लेना मुश्किल है।

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